विलासिता कहीं आपकी जान की दुश्मन न बन जाए

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आधुनिक जीवन शैली और बिगड़ी हुई दिनचर्या वर्तमान समय में सुख सुविधाओं और विलासिता के साथ-साथ रोगों को दावत देने का भी साधन बन गई है। डॉ रविंद्र पोरवाल देश के जाने-माने आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं और श्रीनाथ आयुर्वेद संस्थान भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सक है, उन्होंने दीर्घायु व स्वस्थ रहने के लिए आरोग्यता प्रमुख बिंदुओं को जीवन में उतारने की सलाह दी है।

विलासिता स्वास्थ्य की कीमत पर स्वीकार न करें : विज्ञान के नए नए अनुसंधानो ने आधुनिक जीवन शैली को सुख सुविधाओं से भरपूर बनाया हैं। हमें उनका उचित ढंग से इस्तेमाल करने में कोई एतराज नहीं होना चाहिए किंतु जब स्वास्थ्य की बात सामने आए। हमारी सुख सुविधाएं विलासिता के साधन ही हमें बीमार करने लग जाए तो जीवन रक्षा के लिए सतर्कता अति आवश्यक है। हम सुख सुविधाओं का भोग जरूर करें किंतु प्रकृति के विरुद्ध चलकर सुख भोग करना सुविधाओं का लुप्त उठाना किसी भी रूप में शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए अच्छा नहीं है।

प्रकृति की शरण ना छोड़े : हमारा शरीर पंच तत्वों पृथ्वी जल अग्नि वायु और आकाश तत्व से मिलकर बना है। हमें इन पंचतत्वों का अपने जीवन में उपयोग करते समय इनके प्राकृतिक स्वरूप के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। विभिन्न प्रकार की तरह तरह की बीमारियों के निदान और रोग मुक्त स्वस्थ्य जीवन के लिए शुद्ध हवा शुद्ध पानी प्राकृतिक भोजन के साथ-साथ आदर्श रूप में बिना स्वप्न वाली निद्रा आवश्यक है। हमें इस महत्वपूर्ण विषय पर आत्म चिंतन करके जो गलतियां कर रहे हैं उनका सुधार करना चाहिए।

आहार संबंधित सजगताएं : हमें अपने खानपान में भी परिवर्तन करना चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ आहार में परिवर्तन करके हम बीमार होने से बच सकते हैं। चाय कॉफी कोल्ड ड्रिंक, कथित स्वास्थ्यवर्धक बोतल बंद शीतल पेय, जंक फूड फास्ट फूड का सेवन यथासंभव ना करें। हरी सब्जियां फल सलाद दूध दही मट्ठा अंकुरित अनाज जैसे आहार हमारे स्वास्थ्य रक्षा के साथ-साथ शरीर की जरूरतों के मुताबिक मिनरल्स बिटमिन और अन्य पोषक तत्व को की पूर्ति का प्राकृतिक साधन माने जाते है। यह हमारी इम्यूनिटी को बढाकर हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं।

जीवन हरता है नशा : किसी भी प्रकार का नशा पहले शौक शौक में किया जाता है। बाद में जब आदत पड जाती है तो नशा करना मजबूरी बन जाता है और नशा की यही आदत हमारे शरीर को खोखला कर के बीमारियों का घर बना देता है।नशा किसी भी नशीले पदार्थ का हो या किसी भी प्रकार का नशा करने का तरीका अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से किसी भी रूप में अच्छा नहीं है। नशा से बचना ही अच्छी सेहत का मार्ग है। अगर आपकी आदत बीड़ी पीने की है तो इसने बचने के लिए बुद्धिमता पूर्ण योजना बनानी चाहिए ताकि बुरे व्यसन से मुक्ति मिल सके और हमारी सेहत पर हो रहे विपरीत प्रभाव को रोका जा सके।

स्वाद लोलिपता में सेहत खराब : स्वाद लोलुपता में नियमित रूप से पूरी पराठे ज्यादा मात्रा में तेल मसालों से बना हुआ घर का बना भोजन भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है। इसलिए केवल घर का खाना खाते हैं, बाहर कुछ नहीं खाते यह कहकर आप आत्मसंतोष तो कर सकते हैं लेकिन सेहत की सच्ची रक्षा नहीं हो सकती। किचन में इस्तेमाल होने वाले मसाले हमारी सेहत के लिए अच्छे होते हैं किंतु जब उन्हें तेल में भून कर सब्जी बनाई जाती है तो मसाले के औषधि गुण नष्ट हो जाते हैं साथ ही साथ सब्जी और दालों में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व खनिज लवणों का प्राकृतिक स्वरूप और उनका प्रतिशत बिगड़ जाता है। इस प्रकार का आहार बीमारियों को दावत देता है शरीर की समर्थ कम करता है। थकावट आलस याददाश्त में कमी और कमजोरी जैसी अनेकों अनेक समस्याओं को जन्म देता है।

इन्हें भी गांठ बांध लो अच्छे स्वास्थ्य के लिए पानी भी भरपूर मात्रा में पीना चाहिए। अपने शरीर के वजन के दसवें हिस्से के बराबर पानी का सेवन निरोगी जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ताजा नींबू पानी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। 2 नींबू 2 लीटर पानी में निचोड़े और इस नींबू पानी को दिन भर में पी लें। नींबू को दाल सब्जी में निचोड़ कर अवश्य खाना चाहिए या मौसम के अन्य खट्टे फलों का सेवन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए जरूरी है।