भूमि मुद्रीकरण योजना कागजों पर तैर रही, सीएमडी-सीईओ पद खाली पड़े…. सरकारी काम तो सरकारी तौर तरीकों से ही पूरा किया जाता है। अब देखिए न, केंद्रीय लोक उद्यमों यानी सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज़ेज़ (सीपीएसई) की फालतू पड़ी जमीनों और बिल्डिंग आदि परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण (बिक्री -मॅनिटाइज़ेशन) के जरिए अधिक से अधिक धन एकत्र करने के उद्देश्य से केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले साल नेशनल लैंड मॅनिटाइज़ेशन कार्पोरेशन (एनएलएमसी) की स्थापना करने का निर्णय किया था जिसके तहत आधिकारिक रूप 2022,3 जून को 1500 करोड़ रुपए की अधिकृत पूंजी और 150 करोड़ रुपए की चुकता शेयर पूंजी से एनएलएमसी का गठन भी हो गया। लेकिन सरकार की तत्परता के ठीक विपरीत एक साल गुजर चुका है और अभी तक एनएलएमसी के चेयरमैन, एमडी और सीईओ जैसे अतिमहत्वपूर्ण शीर्ष पद रिक्त पड़े हुए हैं।
नेशनल लैंड मॅनिटाइज़ेशन कार्पोरेशन का गठन करने में तत्परता का कारण यह था कि सरकार जल्द से जल्द वित्तीय संसाधनों को जुटाना चाहती थी। केंद्रीय लोक उद्यमों के पास जरूरत से काफी अधिक जमीनें और इमारतें हैं जो उपयोग में नहीं हैं। सरकार की मंशा यह है कि फालतू भू परसंपत्तियों का नकदीकरण करके अधिक से अधिक वित्तीय संसाधन जुटाए जाएं। ऐसे केंद्रीय लोक उद्यमों की लम्बी संख्या है जो बीमार हो चुके हैं और उत्पादन भी नहीं कर रहे हैं, कई उद्यम तो लम्बे समय से बंद पड़े हैं और उनकी परिसंपत्तियों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
आश्चर्य यह है कि केंद्रीय लोक उद्यम विभाग भी कान में तेल डाले बेफिक्र है। कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से लोक उद्यम विभाग के आला अफसरों को खटखटाया और चालू माह के समाप्त होने तक खाली पदों पर नियुक्तियां करने का निर्देश दिया है जिससे भूपरिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की प्रक्रिया शीघ्र से शीघ्र शुरू की जा सके। एक शर्त यह रखी गई है कि सीईओ पद पर सरकारी क्षेत्र के सक्षम अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए। जानकारी के अनुसार काम शुरू करने के लिए एनएलएमसी में कम से कम तीन दर्जन से अधिक पदों पर नियुक्तियां करने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त भू_परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कराने की व्यवस्था भी नहीं है, बताया गया कि इस काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित कंसल्टेंट की सेवाएं लेने की योजना है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सबसे पहले 2023, अप्रैल में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएन एल) की लखनऊ और हैदराबाद स्थित परिसंपत्तियों को एन एलएमसी को प्राप्त हुई हैं, इनका मूल्य पंद्रह सौ करोड़ बताया गया है। इसके अलावा हिंदुस्तान केबल्स, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल), सीमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया, स्कूटर इंडिया सहित दस लोक उद्यमों की लगभग 3 हजार 600 एकड़ भू परिसंपत्तियों को चिन्हित किया जा चुका है, इनका मूल्यांकन काफी पहले का है जिसकी वजह से बाजार में वर्तमान मूल्यों के बीच अच्छा खासा अंतर है।
प्रणतेश बाजपेयी