आयुष्मान भारत योजना पर दिल्ली में केजरी का ब्रेक

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नई दिल्ली/लखनऊ। केजरीवाल सरकार की नफरत की राजनीति में केन्द्र की हर बात/योजना का अंधविरोध के चलते दिल्ली के तकरीबन 55 लाख गरीब लोग केन्द्र की प्रधानमंत्री जनआरोग्य आयुष्मान भारत योजना के लाभ से वंचित कर दिए गए है। जिसके तहत वे प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त पाने के हकदार हैं। जबकि इसके ठीक विपरीत उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस योजना को भलीभाँति तरीके से लागू करने में न सिर्फ शत-प्रतिशत सफल रही है, बल्कि देशभर में अव्वल है।

गरीबों को इसका लाभ भी मिल रहा है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 6.32 करोड़ लोगों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है और 1.10 करोड़ लोगों के गोल्डन कार्ड बनाए गए हैं। यहां तक कि 5.40 लाख लोग इस योजना का लाभ उठाकर अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज अच्छे और निजी अस्पतालों में करा चुके हैं, जो शायद इस योजना के बिना उनके लिए संभव नहीं था।

इस योजना की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। उत्तर प्रदेश में अब तक जिन 5.40 लाख लोगों ने प्रधानमंत्री जनआरोग्य आयुष्मान भारत योजना के तहत अपना पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त कराया है, उनमें से 4.15 लाख लोगों ने निजी अस्पतालों में तथा 1.25 लाख लोगों ने सरकारी अस्पतालों में इलाज कराके रोगमुक्ति पायी है।

इसका सीधा मतलब यह हुआ कि 77 फीसद लोगों ने प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की सुविधा हासिल की है। केन्द्र सरकार की इस महती योजना से अभी तक 2646 अस्पताल जुड़े हैं, जिसमें से 1544 निजी अस्पताल हैं और देश के नामचीन अस्पताल भी इसमें शामिल हैं। इन अस्पतालों से आयुष्मान योजना के तहत इलाज करा चुके उत्तर प्रदेश के मरीजों का 449 करोड़ रुपये का भुगतान भी संबंधित अस्पतालों को किया जा चुका है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हषर्वर्धन ने वर्ष 2019 में दिल्ली सरकार से आयुष्मान योजना को लागू करने की मांग। उस समय दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा था कि वह इससे बेहतर योजना लागू करेंगे, जिसमें दिल्ली के सभी लोग कवर होंगे और उन्हें 30 लाख तक का इलाज मुफ्त मिल सकेगा। लेकिन आज तक उस योजना का कहीं कुछ अता-पता नहीं है। और न ही अरविंद केजरीवाल सरकार उसकी चर्चा ही कर रही। और यह भी कि जब वे अपनी योजना नहीं लागू कर पा रहे तो कम से कम केन्द्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना ही लागू कर दें, वह भी अपनी हठधर्मिता के चलते नहीं लागू कर रहे। नतीजा यह है कि दिल्ली के गरीब लोग अपनी गंभीर बीमारियों के इलाज से महरूम होकर दम तोड़ रहे हैं।

संजय सिंह