मनोरोगियों को जल्दी ही सुलभ होंगी इन्नोवेटिव पाॅलिसियां….. मनोविकारों से पीड़ितों के लिए एक अच्छी खबर है। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से मनोरोगियों के लिए नई तरह की बीमा पालिसियां बनाने और मौजूदा में उपलब्ध उत्पादों में सुधार करने को कहा गया है। देश में जल्दी ही मनोरोगियों के लिए ऐसे बीमा उत्पाद उपलब्ध होने लगेंगे जो अभी तक विकसित देशों में मिलते हैं।
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) उक्त बदलाव लाने के लिए पहले तो स्वयं को महत्वपूर्ण और अत्यंत आवश्यक जानकारियों से लैस करने को कदम उठाया है। प्राधिकरण ने बंगलुरू स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ऐंड न्यूरोसाइंस (निम्हंस) की निदेशक प्रतिमा मूर्ती की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी का कार्यकाल दो वर्ष का होगा।
यह कमेटी मनोरोगोंऔर स्वास्थ्य बीमा के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न पहलुओं पर अद्यतन जानकारी के साथ -साथ सुझाव भी प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करेगी। कमेटी को मनोवैज्ञानिकों -विशेषज्ञों की सलाह और इस क्षेत्र की शब्दावली भी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने प्राधिकरण ने निम्हंस को 1994 में डीम्ड यूनिवर्सिटी की मान्यता प्रदान की थी। निम्हंस अबतक एक हजार से अधिक मनोचिकित्सक तथा लगभग छः सौ नैदानिक मनोवैज्ञानिक और मनोरोग नर्स तैयार कर चुका है जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर काम कर रहे हैं।
प्राधिकरण द्वारा अलग से जारी एक निर्देश में सरोगेट मदर (कृत्रिम गर्भाधान से अपने पेट में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला) और वीर्य दाता (सीमेन डोनर) से संबंधित सरोगेसी (रेगुलेशन) ऐक्ट 2021 और एआरटी ऐक्ट 2021 के प्रावधानों के अनुसार बीमा सुरक्षा नियमों का तत्काल से पालन करने को कहा गया है।
प्रणतेश बाजपेयी