वैश्विक वस्त्र निर्यात में भारत काफी पीछे

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महिलाएं हमारे प्रतिभा पूल का 50% हिस्सा, वैश्विक वस्त्र निर्यात में भारत की हिस्सेदारी महज 6 प्रतिशत

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने वस्त्र निर्यात और वैश्विक कपड़ा बाजार में पैर जमाने के लिए श्रमिकों के कौशल विकास और आधुनिक तकनीक अपनाए जाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे पास कच्चा माल और मानव संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है फिर भी हम वैश्विक वस्त्र निर्यात में काफी पीछे हैं क्योंकि कपड़ा बनाने वाली छोटी कंपनियां अभी भी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर रही हैं।

वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के वर्चुअल प्लेटफार्म का उद्घाटन करते हुए श्री नायडू ने कहा जब तक औसत दर्जे की वस्त्र निर्माण इकाइयां नई प्रौद्योगिकी और कुशल मानव संसाधन का इस्तेमाल नहीं करती तब तक हम विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी कीमतों वाले गुणवत्ता उत्पाद नहीं बना पाएंगे। नई तकनीक और मानव संसाधनों के कौशल विकास के जरिए ही कपड़ा क्षेत्र की आर्थिक क्षमताओं  और रोजगार के अवसरों का पूरा लाभ उठाना संभव हो पाएगा। संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (एटीयूएफएस) को छोटी कंपनियों के लिए उत्कृष्ट योजना बताते हुए उन्होंने कहा कि दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में छोटी कंपनियों को इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।

उन्होंने इसे एक सराहनीय पहल बताते हुए उम्मीद जताई के यह दुनिया भर में भारतीय परिधान निर्यात को बढ़ावा देने में लंबे समय तक मददगार साबित होगा। उन्होंने कपड़ा मंत्रालय द्वारा की जा रही पहलों के लिए कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी की सराहना की। वैश्विक वस्त्र निर्यात में भारत की हिस्सेदारी महज 6 प्रतिशत होने का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वस्त्र निर्माण करने वाली छोटी इकाइयों को आर्थिक मदद दी जानी चाहिए ताकि वे ऐसे उत्पाद बना सके जो विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी हों। उन्होंने इस संदर्भ में नीति आयोग की उसी योजना का की सराहना की जिसके तहत आयोग की  कपड़ा मंत्रालय के साथ मिलकर काफी बड़ी वस्त्र कंपनियां बनाने की योजना है ताकि निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।

श्री नायडू ने कहा कि वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा में भारत की बढ़त और ताकत कुशल श्रम शक्ति से होनी चाहिए न केवल सस्ती श्रम शक्ति से। उपराष्ट्रपति ने कपड़ा उद्यमियों से बदलती वैश्विक मांगों के अनुरूप अपने विनिर्माण पोर्टफोलियो में विविधता लाने और नए बाजारों का दोहन करने का आह्वान किया। उन्होंने परिधानों की अच्छी कीमत हासिल करने के लिए ब्रांडिंग के महत्व पर जोर दिया और उद्यमियों को ब्रांड के तहत कपड़े बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से तथा राज्यों के सहयोग के साथ कपड़ा मंत्रालय के समर्थन और निर्यात को बढ़ावा देने में आईपीसी की पहल से भारत जल्दी ही वैश्विक कपड़ा निर्यात में अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 6 प्रतिशत से बढाकर दहाई‌ अंक में करने की सोच सकेगा।

अर्थव्यवस्था में कपड़ा क्षेत्र द्वारा निभाई कई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए श्री नायडू ने कहा कि यह दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देने वाला क्षेत्र है जो लगभग 4 करोड़ 50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र देश की जनसंख्या के जरिए आर्थिक लाभ के दोहन में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है। यह भारत के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला उद्योग है जो देश के निर्यात आय में लगभग 12 प्रतिशत का योगदान करता है।

परिधान क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती श्रम शक्ति भागीदारी का उल्लेख करते हुए उन्होंने इसे महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों में सामाजिक परिवर्तन का एक प्रभावी माध्यम करार दिया। उन्होंने कहा महिलाएं हमारे प्रतिभा पूल का 50% हिस्सा है अगर उन्हें उचित प्रोत्साहन और प्रशिक्षण दिया जाता है तो वह बहुत उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। कपड़ा क्षेत्र के विकास से महिलाओं की शिक्षा और प्रजनन क्षमता में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।