छः लाख से ज्यादा देवालयों से समृद्ध भारत

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छः लाख से ज्यादा देवालयों से समृद्ध भारत…. देवालयों की संख्या के बारे में बात करें‌ तो सबसे पहला स्थान तमिलनाडु का है। महाराष्ट्र दूसरे पायदान पर खड़ा है। तीसरे स्थान पर आंध्रप्रदेश है। गुज़रात चौथे और राजपूतों की धरती राजस्थान पांचवें पायदान पर देवालयों की महिमा का समुंदर पार तक यशोगान करते हैं। इनमें से बहुतेरे देवालय न केवल शताब्दियों पूर्व अनूठे शिल्प से निर्मित किए गए थे बल्कि उन्हें ‘विश्व धरोहर’ (वर्ल्ड हेरिटेज) भी घोषित किया जा चुका है। अपने अद्वितीय स्थापत्य और भव्य निर्माण के साक्षात उदाहरण बने ये देवालय प्राचीन भारतीय संस्कृति के गौरवशाली इतिहास के मौनगाथाकार हैं। ऐसे तो कोई भी कुछ भी कहे, देवालयों की गणना को मनगढ़ंत नहीं ठहराया जा सकता है।

इस दुष्कर कार्य को संभव किया जा सका टेक्नोलॉजी के सहयोग से। इसका श्रेय जाता है आईआईटी मुंबई के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर गणेश रामकृष्णन को। प्रोफेसर गणेश रामकृष्णन की गणना के अनुसार दक्षिण भारत में सर्वाधिक देवालय हैं। संख्या के आधार पर देखा जाए तो देश में स्थित कुल में से 37 प्रतिशत यानी 2 लाख 39 हजार 982 देवालय तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना केरल और पुडुचेरी में हैं। संख्या के आधार पर 79 हजार 154 देवालयों से सजे-संवरे तमिलनाडु को प्रथम स्थान प्राप्त है। 61 हजार 232 देवालय कर्नाटक में (देश में तीसरे स्थान पर), 28 हजार 312 तेलंगाना में, केरल में 22 हजार 931और पुडुचेरी में 1201 देवालय स्थापित हैं।

देश की वित्तीय राजधानी महाराष्ट्र में 77 हजार 283 देवालय हैं और राष्ट्रीय स्तर पर यह दूसरे पायदान पर आता है। पश्चिम बंगाल में 53 हजार 658 देवालय हैं और यह चौथे पायदान पर आता है। महाराष्ट्र से सटे गुजरात का पांचवां स्थान है, इस राज्य के 49 हजार 995 देवालय अपने वैभव और विदेशी आक्रांताओं की अनंतकाल तक न भूली जा सकने वाली बर्बरता के साक्षी हैं। भगवान वेंकटेश्वर तिरुपति का विश्वविख्यात देवालय आंध्र प्रदेश में स्थापित है, इस राज्य में 47 हजार 152 देवालय स्थापित हैं और यह छठवें स्थान पर है।

हवेलियों -महलों और बावड़ियों से आबाद राजस्थान के बारे में बहुत कुछ सामने लाने का श्रेय अपने हिंदी फिल्मकारों को है। दुनियाभर में अपनी उद्यमशीलता का लोहा मनवाने वाले (मारवाड़) राजस्थान में 39 हजार 392 देवालय हैं, यह संख्या में सातवें पायदान पर है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और लीलाधारी कृष्ण- राधा -बलदाऊ के जन्मराज्य उत्तर प्रदेश में देवालयों की संख्या 37 हजार 518 है और यह आठवें स्थान पर है। 30 हजार 877 देवालय वाला उड़ीसा नौवें पायदान पर और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश 27 हजार 947 देवालयों के साथ दसवें स्थान पर आता है।

आगे बिहार में 29 हजार 748, झारखंड में 14 हजार 680, हरयाणा में 10 हजार 329, छत्तीसगढ़ में 9 हजार 484, दिल्ली में 5 हजार 367, पंजाब में 4 हजार 827, हिमाचल प्रदेश में 4 हजार 560, उत्तराखंड में 3 हजार 695, गोवा में 1 हजार 855, जम्मू-कश्मीर लद्दाख में 470 देवालय स्थापित हैं।

देश के सुदूर उत्तर-पूर्व में असम में 5 हजार 394, त्रिपुरा में 568, मौजूदा में कम्युनिटी की आग में जल रहे मणिपुर में 441, मेघालय में 128, अरुणाचल में 96, सिक्किम में 87, नगालैंड में 43 और मिज़ोरम में 32 देवालय हैं। अनंतकाल से अपनी भारतभूमि देवी -देवों, ऋषि-मुनियों की जन्मस्थली -कर्मस्थली-लीलास्थली रही है। इस तरह भारत में देवालयों की कुल संख्या 6 लाख 48 हजार 907 है। दुनिया में कोई दो सौ देश हैं, किसी भी देश को इतनी संख्या में देवालय होने का सौभाग्य नहीं मिला। आगे चलकर विश्वविख्यात देवालयों, उनके अक्षय वैभव और उन्ही देवी-देवों की कृपा से भक्तों के माध्यम से उनकी प्रसिद्धि- समृद्धि-गाथा को शेयर करना चाहेंगे।

प्रणतेश बाजपेयी