कहीं आपका बच्चा झगड़ालू तो नहीं, करें ये उपाय

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छोटे-छोटे बच्चों की शैतानी, मारपीट गुस्सा, चिड़चिड़ापन, झगड़ालू स्वभाव और जिम्मेदारी का भाव ना होने जैसी समस्याओं के निदान के लिए औषधि उपचार की तुलना में योगिक क्रियाएं निरापद और शीघ्र तथा स्थाई लाभ देने वाली होती हैं। इन समस्याओं के स्थाई निवारण के लिए अत्यंत लाभकारी योगिक आसन चरणआसन की जानकारी श्रीनाथ चिकित्सालय भगवत घाट कानपुर के आयुर्वेदाचार्य डॉ रविंद्र पोरवाल, केंद्रीय आयुष मंत्रालय भारत सरकार के बोर्ड मेंबर ने दी है।

चरणासन : बच्चों का जिद्दी स्वभाव, अत्यधिक गुस्सा, मारपीट और झगड़ा करना अनेक परिवारों के लिए चिंता का विषय होता है। छोटी उम्र में मारपीट करना चिल्लाना, घरेलू सामान को तोड़ देना या फेंक देना, भाई बहनों के साथ हिंसक मारपीट कुछ बच्चों के स्वभाव में होती है। ऐसे बच्चों को यदि प्रतिदिन 2 मिनट चरण आसन का अभ्यास कराया जाए तो एक सप्ताह में ही करकस और कठोर स्वभाव वाले गुस्सैल बच्चों के स्वभाव में बहुत परिवर्तन आ जाता है। उनके अंदर शैतानी, चिड़चिड़ापन और क्रोध कम हो जाता है। शालीनता आने लगती है.. मन शांत होता है.. उदारता, कोमलता और दया भाव पैदा होने लगता है।

यह आसन उन बच्चों के लिए भी अच्छा है जो घर के खाना के स्थान पर जंक फूड फास्ट फूड मागते हैं और पूरे पूरे दिन भूखे रह लेंगे लेकिन सादा खाना नहीं खाते, जो विद्यार्थी खूब पढ़ते हैं लेकिन याददाश्त कम है.. आंखों की दृष्टि कमजोर है और चश्मा लगा है। उनकी नेत्र शक्ति को बढ़ाने के लिए यह अमृत सदृश्य लाभकारी योग का आसन है। यह आसन लंबाई बढ़ाने, बिस्तर में पेशाब कर देने वाली बुरी आदत, टांसिल एलर्जी और हमेशा जुकाम बने रहने की समस्या के साथ-साथ कान से कम सुनाई देने को भी पूरी तरह ठीक कर देता है। पढ़ाई में मन लगाने याददाश्त बढ़ाने शालीनता लाने बुद्धि और विवेक को जागृत करने के लिए यह आसन योगियों की एक महान देन है। यह आसन बच्चों के अलावा बड़े स्त्री पुरुष सभी कर सकते हैं और लाभ पा सकते हैं।

चरण आसन कैसे करें : चरण आसन का अभ्यास करने के लिए दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की तरफ ले जाते हैं और वज्रासन की स्थिति में कमर, गर्दन, रीड की हड्डी को सीधा रखते हुए बैठते हैं। अब दोनों हाथों को सिर के ऊपर आसमान की तरफ ले जाकर सीधा रखते हैं। सांस सामान्य रखते हुए दोनों हाथों को मध्य सिर को रखते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे झुकते हैं। इस दौरान पीठ सीधी रहे और गर्दन आगे नहीं झुकाते हैं और हाथों को जमीन से 4 इंच ऊपर रखते हुए निगाह सामने की ओर रखकर कम से कम 1 मिनट रुकते हैं। एक मिनट आसन की स्थिति में रुकने के बाद धीरे-धीरे धीरे-धीरे वापस आते हैं। दोनों हाथों को सामान्य स्थिति में लाते हैं और धीरे से वज्रासन को खोल देते हैं। इस योग आसन का अभ्यास प्रातः एवं साईं काल दोनों समय 1 या 2 मिनट तक सांस को सामान्य रखकर किया जा सकता है।