बसपा में कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे

बसपा में कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे कायदे से आने पर आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को भी मिल गई माफी सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर मांगी माफी तो तुरंत ही हो गई बहाली भतीजे आनंद भी ससुर के चलते कई बार हो चुके हैं पार्टी से अंदर-बाहर सार्वजनिक माफी के जरिए मायावती ने दिया अनुशासन का कड़ा संदेश

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लखनऊ। अपनी अकड़, जिद और अनुशासन के लिए मशहूर बसपा प्रमुख मायावती का एक ही नियम है, पार्टी में कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे। और यह नियम सब पर लागू होता है चाहे वह भतीजे आकाश आनंद हों, उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ हों, पार्टी में कभी मायावती के विश्वासपात्र रहे स्वामी प्रसाद मौर्य हों, नसीमुद्दीन सिद्दीकी हो या कोई और नेता, सबको अनुशासन में रहना होगा। और बहनजी के आदेशों को अनदेखी या जरा सी गलती हुई तो या तो पद से जाओगे या फिर पार्टी से ही। ऐसे में बसपा के दूसरे नंबर के सबसे बड़े नेता मायावती के भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ के लिए भी और कोई विकल्प नहीं बचा था। जैसे ही उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर अपनी गलती के लिए सीधे माफी मांगी वैसे ही मायावती ने उनका पार्टी से निष्कासन रद्द कर दिया।

अर्थात पार्टीजनों को भी ये मैसेज दे दिया कि अब आकाश आनंद ही मेरे बाद पूरी पार्टी के सर्वेसर्वा हैं। और उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को भी मैसेज दे दिया की फिर गड़बड़ मत करना वरना फिर निकाल बाहर करेंगे, क्योंकि अनुशासन से बड़ा कुछ भी नहीं है। हम भतीजे को भी तीन बार निकाल चुके हैं। ऐसे में तुम्हारे लिए कोई अलग कानून नहीं है। यानी सख्ती और मायावती का कोई जोड़ नहीं है, और दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं। खैर यह पार्टीजनों के लिए तो अच्छा संकेत है ही, आकाश आनंद के लिए भी थोड़ी सहूलियत हो जाएगी। क्योंकि ससुर जी के बाहर रहते उनका घर के अंदर जाना शायद थोड़ा मुश्किल हो रहा होगा। पर अब वह आराम से घर जा सकेंगे।

पार्टी के संस्थापक कांशीराम की सरपरस्ती में पार्टी की बागडोर संभालने वाली मायावती ने उनसे विरासत में अनुशासन का पाठ शायद अधिक ही लिया था इसीलिए बसपा में इसका बड़ा महत्व है। न कोई संविधान न कोई कानून। कानून हैं तो सिर्फ मायावती। मायावती को जो पसंद आ गया वह पार्टी में आसमान पर चढ़ गया और जो उनकी नजर में चढ़ गया तो फिर नजर से उतर भी गया। यानी की बसपा में कानून मतलब मायावती। इसी का मुजाहिरा पिछले दिनों से पार्टी में दिखाई दिया। जिसने भी मायावती को इग्नोर करने की कोशिश की वह पार्टी से चला गया। भतीजे का आकाश आनंद, जो कभी पार्टी में नंबर दो की हैसियत में और बाकायदा घोषित उत्तराधिकारी थे, उनको भी मायावती ने तीन बार पार्टी से बाहर किया और अंदर किया। उनका अपराध इतना भर था कि उनके ससुर पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ ने आकाश आनंद में महत्वाकांक्षा जगानी शुरू कर दी थी। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने कोशिश यह भी की थी बहुजन समाज पार्टी का एक बार फिर समाजवादी पार्टी से गठबंधन कराया जाए जो मायावती को बिल्कुल पसंद नहीं था।

मायावती एक बार मुलायम सिंह के साथ समझौता करके सरकार बना चुकी थीं और अपमान का घूंट पी चुकी थीं। उत्तरप्रदेश का गेस्टहाउस कांड पूरे राजनीतिक जगत में फेमस है, जब मायावती को सफाईयों ने घेर लिया था और उनकी जान पर बन आई थी। उस समय फर्रुखाबाद के भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने आकर उनकी जान बचाई थी। और यही कारण है कि मायावती की भाजपा के अन्य नेताओं से भले ने बनती हो लेकिन ब्रह्मदत्त द्विवेदी के बच्चों से उनके आज भी संबंध हैं। यानी मायावती संबंध निभाना भी जानती हैं। पर यही बात स्वामी प्रसाद मौर्य और नसीमुद्दीन सिद्दीकी को शायद समझ में नहीं आई थी इसलिए ये कभी मायावती की नाक की बाल हुआ करते थे लेकिन अब पार्टी से बाहर हैं। हालांकि उन लोगों ने बाहर जाकर अपना राजनीतिक वजूद बचाने की कोशिश की किंतु जो ऊंचाई उन्हें बसपा में मिली अब वे उसके लिए तरस गए हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी कांग्रेस में जाकर कहीं खो गए हैं, तो स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी पार्टी बनाकर भी अभी राजनीतिक हासिए पर हैं।

मायावती को अगर कोई समझ में आ गया तो फिर उन्होंने उसे ऊंचा मुकाम भी दिया। इसी का उदाहरण है कि बसपा शासन काल में सतीश चंद्र मिश्रा की तूती बोला करती थी। उन्होंने जब चाहा, जैसे चाहा पार्टी को चलाया और उनको मायावती का पूर्ण समर्थन मिला। बसपा शासनकाल में जिसने सतीश चंद्र मिश्र को साध लिया, उसे मायावती का भी आशीर्वाद मिला। कभी यह स्थिति स्वामी प्रसाद मौर्य और नसीमुद्दीन सिद्दीकी की भी हुआ करती थी लेकिन बाद के दिनों में दोनों ने मायावती का विश्वास खो दिया इसलिए अब वे पार्टी से बाहर हैं। जहां तक मायावती की बात है, तो दलित वोटो पर आज भी उनका राज है। दलित समुदाय उनकी बात सुनता है और उनके कहे अनुसार मतदान भी करता है। यह अलग बात है कि उम्र के साथ-साथ धीरे-धीरे मायावती का आक्रामक अंदाज अब कम होता जा रहा है पर ठसक कम नहीं हुई है। इसलिए शायद बार-बार माफी देकर उन्होंने भतीजे आकाश आनंद को फिर पास रखने की कोशिश की है। और शायद इसीलिए ही भतीजे के ससुर अशोक सिद्धार्थ को भी एक बार और माफी दी है ताकि आकाश आनंद को भी काम करने में सुविधा रहे।

शनिवार को आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर लिखा कि मैं भविष्य में कभी गलती नहीं करूंगा। और इस पोस्ट के शाम होते होते उनकी बीएसपी में वापसी हो गई। इस पार्टी में सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद का कद बढ़ने के बाद ससुर की भी घर वापसी हो गई है। मायावती ने शनिवार को पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ का निष्काषन रद्द कर दिया और उन्हें फिर से पार्टी में शामिल कर लिया। मायावती के भतीजे आकाश आनंद के ससुर सिद्धार्थ को इस साल फरवरी में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था। उन पर आकाश आनंद का राजनीतिक करियर बर्बाद करने का भी आरोप लगाया गया था। सिद्धार्थ ने शनिवार को सोशल मीडिया पर माफी मांगते हुए लिखा कि पार्टी का काम करते हुए जाने-अनजाने में, गलत लोगों के प्रभाव में आकर मुझसे जो भी गलतियां हुई हैं, उनके लिए मैं आदरणीय बहनजी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। मैं आदरणीय बहनजी से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि मुझे माफ कर दें, मैं भविष्य में कभी गलती नहीं करूंगा और पार्टी के अनुशासन में, उनके मार्गदर्शन और निर्देशन में ही काम करूंगा। अशोक सिद्धार्थ ने आश्वासन दिया कि वह रिश्तेदारी का कोई अनुचित लाभ नहीं उठाएंगे। उन्होंने मायावती से पार्टी में उन्हें फिर से शामिल करने का आग्रह भी किया। इसके बाद मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इसका जवाब दिया। उन्होंने लिखा कि हालांकि उन्हें अपनी गलती का एहसास बहुत पहले ही हो गया था, और वे विभिन्न स्तरों पर लगातार खेद व्यक्त करते रहे थे पर आज उन्होंने सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त किया है। इसे ध्यान में रखते हुए पार्टी और आंदोलन के हित में उन्हें एक और मौका देना उचित समझा गया है। इसलिए बसपा से उनके निष्कासन का निर्णय तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है, अर्थात उन्हें पार्टी में फिर से शामिल किया जाता है। सुश्री मायावती ने इस साल मार्च में अपने भतीजे आकाश को भी बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटाते हुए यह कहा था कि सिद्धार्थ से उनके दामाद होने के नाते उनके संबंध इस कार्रवाई का कारण बने हैं। इसके बाद अगले दिन, उन्होंने आकाश को पार्टी से निष्कासित भी कर दिया और कहा कि वह लगातार अपने ससुर के प्रभाव में आ रहे हैं। बसपा चीफ का रिश्तेदार होने के कारण सिद्धार्थ को पार्टी संगठन में एक प्रमुख व्यक्ति माना जाता था, लेकिन फरवरी में कुछ नेताओं द्वारा यह शिकायत किए जाने के बाद कि वह गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं, उनको पार्टी से निकाल दिया गया था

इसी अप्रैल में आकाश ने भी सोशल मीडिया पर माफी मांगी थी और मायावती ने उन्हें माफ करते हुए पार्टी में काम करने का एक और मौका दिया था। वैसे उस समय मायावती ने कहा था कि आकाश के ससुर को कोई राहत नहीं मिलेगी। तब उन्होंने कहा था कि आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ की गलतियां अक्षम्य हैं। उन्होंने गुटबाजी के साथ-साथ आकाश का करियर बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

बहरहाल अब लगता है कि समय के साथ मायावती का गुस्सा भी शांत हो गया है। और अशोक सिद्धार्थ की सार्वजनिक माफी ने उनके ईगो को भी सेटिस्फाई कर दिया है। शायद इसीलिए अब अशोक सिद्धार्थ में कोई कमी नहीं रह गई है। वैसे सूत्रों का कहना है कि मायावती अपनी बढ़ती उम्र के कारण भी पार्टी में एक विकल्प बना ही लेना चाहती हैं, और तमाम खामियों के बावजूद आकाश आनंद पर उनका विश्वास ज्यादा है। उन्होंने आकाश आनंद और अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकालने का निर्णय भी सिर्फ उन्हें एक झटका देने के लिए लिया था। ताकि दोनों को उनकी हैसियत भी बताई जा सके और यह बात समझाई जा कि बसपा के बिना उनका कोई अस्तित्व नहीं है। और अब शायद यह बात दोनों नेताओं को ठीक तरह से समझ में आ गई है। क्योंकि जिस तरह से दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर माफी मांगी है वह अपने आप में बड़ा संदेश है। इसके जरिए मायावती ने पार्टी में भी संदेश दे दिया है कि उनके लिए और पार्टी के आंदोलन के लिए अनुशासन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। और इसके लिए कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक