वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के लिए हेल्पिंग एटीट्यूड पॉजिटिव एप्रोच

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश को 2027 तक वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने के लिए संकल्पित है और उस दिशा में तेजी से प्रयास भी किए जा रहे हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने का रोडमैप क्या होना चाहिए, किन चीजों पर अत्यधिक फोकस करने की आवश्यकता है और चुनौतियां क्या हैं, इन्हीं सब मुद्दों को लेकर बुधवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश वित्त एवं लेखा सेवा संघ व एसबीआई द्वारा वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के रूप में उत्तर प्रदेशः संभावना, चुनौतियां तथा वित्त विभाग एवं एसबीआई की भूमिका विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में मुख्य अतिथि और योगी सरकार में वित्त एवं संसदीय मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार का मानना है कि यदि बैंक और फाइनेंस से जुड़े अफसरों का एटीट्यूड हेल्पिंग हो, एप्रोच पॉजिटिव हो, काम में क्वालिटी और टेक्नोलॉजी का समावेश हो तो कोई वजह नहीं है कि उत्तर प्रदेश इस बड़े लक्ष्य को हासिल न कर सके।

सीखना होगा क्वालिटी और टेक्नोलॉजी : वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि आज के काम को कल पर कतई मत टालिए। काम की क्वालिटी और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का उदाहरण हमें जापान से सीखना होगा। वहां के लोग जितनी ऑनेस्टी और सिंसियरिटी के साथ अपने काम को अंजाम देते हैं, यदि हम भी ऐसा करेंगे तो कोई लक्ष्य बड़ा नहीं होगा। आज हम टेक्नोलॉजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ये टेक्नोलॉजी का ही कमाल है कि किसान सम्मान निधि समेत सभी योजनाओं का लाभ सीधे एक क्लिक पर लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का ये मतबल नहीं है कि हमारी तिजोरी में वन ट्रिलियन डॉलर रकम आ जाए। इसका सीधा उद्देश्य अपना सामर्थ्य और अर्थव्यवस्था को विकसित करना है। बड़ा लक्ष्य होता है तो कार्य व्यवहार में भी बदलाव लाना पड़ता है। सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश का परसेप्शन बदला है। कार्ययोजना बनाकर ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक तरीके से खत्म ही कर दिया है तो इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा सुधार किया गया है। वन ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य के अनुरूप भी हमें कार्ययोजना बनानी पड़ेगी। ट्रांसपेरेंट पॉलिसी के साथ इंडस्ट्रियल पॉलिसी, फाइनेंसिंग की व्यवस्था और समय पर निर्णय लेना वन ट्रिलियन इकॉनमी बनाने के लिए बेहद आवश्यक हैं।

यूपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट हब : वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सबसे पहली आवश्यकता है कि हमें परचेजिंग पावर बढ़ाएं। जब परचेजिंग पावर बढ़ती है तो बाजार में सेवाओं की मांग बढ़ती है। उसी के अनुरूप हमें प्रोडक्शन बढ़ाना पड़ता है। जितना ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करेंगे, उतना ही रोजगार का सृजन होता है। ये एक इकनॉमिक साइकिल है जो अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होता है। उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम को जितना एडवांस करेंगे उतना ही डेवलपमेंट में मदद मिलेगी।