लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से भविष्य में लड़ने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं में ऊंची छलांग लगाई है। प्रदेश में 2017 के पहले करीब दर्जन भर ही मेडिकल कॉलेज थे, जिनकी संख्या अब सौ के करीब पहुंच रही है। आने वाले दिनों में प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज होंगे। इससे लोगों को ईलाज के लिए दूसरे जिलों में भटकना नहीं पड़ेगा।
सीएम योगी ने प्रदेश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव लाया है। सिर्फ मेडिकल क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप नहीं हो रहा, बल्कि नए डॉक्टर भी तैयार हो रहे हैं और बेडों की संख्या भी बढ़ रही है। आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल में 16 सरकारी मेडिकल कॉलेज बने हैं। 2329 करोड़ की लागत से बने नौ जिलों देवरिया, एटा, फतेहपुर, गाजीपुर, हरदोई, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, सिद्धार्थनगर में मेडिकल कॉलेज का पीएम नरेंद्र मोदी 25 अक्तूबर को लोकार्पण करने वाले हैं।
16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर खुलेंगे मेडिकल कॉलेज : प्रदेश में 30 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। इसके अलावा केंद्रीय संस्थानों में रायबरेली और गोरखपुर में दो एम्स, एक बीएचयू और एक अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज है। प्रदेश के अमेठी, और्रैया, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, गोंडा, कानपुर देहात, कौशाम्बी, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, पीलीभीत, सोनभद्र और सुल्तानपुर जिले में 2022-23 तक मेडिकल कॉलेजों की सौगात मिलेगी। इनका निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा 16 शेष जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए पांच नवंबर तक आवेदन मांगे गए हैं।
मेडिकल कॉलेजों में बढ़ रहे डॉक्टर और बेड : वर्ष 2017 के बाद सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी की 4592 सीटें बढ़ी हैं। इनमें एमबीबीएस की 3588 और पीजी की 804 सीटें शामिल हैं। इसके अलावा एम्स रायबरेली और गोरखपुर में 100-100 छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। वर्ष 2017 से पहले सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 1840 एमबीबीएस की सीटें थीं, जो अब 3828 सीटें हो गई हैं यानि पिछले साढ़े चार सालों में 1988 सीटें एमबीबीएस की बढ़ी हैं। इसी तरह निजी मेडिकल कॉलेजों में 2550 से बढ़कर 4150 सीटें हो गई हैं यानि 1600 सीटों की वृद्धि हुई है। प्रदेश में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की संख्या में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 तक पीजी की सीटें 741 थीं, जो बढ़कर 1027 हो गई है यानि 286 सीटों की वृद्धि हुई है। निजी मेडिकल कॉलेजों में भी पीजी की सीटों में ईजाफा हुआ है। 2017 से पहले पीजी की 603 सीटें थीं, जो अब बढ़कर 1064 हो गई हैं यानि 461 सीटों की वृद्धि हुई है। इनमें अगले सत्र से भी बढ़ोतरी होनी तय है। डीएम और एमसीएच में पहले 120 सीटें थीं, 57 सीटें बढ़ने के बाद अब 177 सीटें हो गई हैं। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में तीन हजार बेड भी बढ़े हैं।
हजारों युवाओं को मिल रही सरकारी नौकरी : आम लोगों को इलाज की सुविधा मिलने के साथ नए बने नौ मेडिकल कॉलेजों में 459 फैकल्टी, सीनियर रेजिडेंट 216, 402 जूनियर रेजिडेंट, हर मेडिकल कॉलेज में 460 पैरा मेडिकल स्टॉफ और 225 नर्सों को रखा गया है यानि कुल 6165 युवाओं को रोजगार मुहैया कराया गया है। इसके अलावा नए मेडिकल कॉलेजों से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिले हैं। चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि नौ नए मेडिकल कॉलेजों में 90 फीसदी से अधिक फैकल्टी को रख लिया गया है। साथ ही 100 फीसदी रेजिडेंट डॉक्टरों को नियुक्ति की गई है।