अंततः भाजपा की मदद को मैदान में आ ही गया संघ

* संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की लखनऊ यात्रा से बढ़ीं उम्मीदें * आगामी एक जुलाई को संघ प्रमुख मोहन भागवत भी वीर अब्दुल हमीद के घर जाएंगे * स्वयंसेवकों की प्रांत वार बैठकें कर संघ की शाखाओं का विस्तार करने की है योजना * स्वयंसेवक गांव-गांव में दलितों-पिछड़ों की नाराजगी के कारणों का पता लगाएंगे

0
53

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी और उसके समर्थकों के लिए थोड़ी अच्छी खबर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक बार फिर पार्टी की बैंकिंग के लिए मैदान में आ गया है। बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे नंबर के बड़े नेता सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की लखनऊ यात्रा से काफी उम्मीदें बनी हैं। इसके बाद आगामी एक जुलाई को संघ प्रमुख मोहन भागवत भी वीर अब्दुल हमीद के परिजनों से मिलने गाजीपुर जाएंगे। खबर है कि संघ अपने संगठन की प्रांत वार बैठकें कर उसे चुस्त-दुरुस्त करने का प्रयास करेगा। इस बार संघ की कोशिश है कि वह अपनी शाखाओं का ग्रामसभा स्तर पर विस्तार करे। साथ ही दलितों और पिछड़ों में पैठ बनाकर उन्हें संघ की शाखाओं तक ले आए।

खबर है कि प्रदेश में वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए संघ ने भाजपा के संकटमोचक के रूप में कमान संभाल ली है। संघ की कोशिश है वह किसी भी तरह समाजवादी पार्टी के पीडीए का तोड निकाल लें। लोकसभा चुनाव में इस फार्मूले ने भाजपा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत आगामी एक जुलाई को गाजीपुर जाएंगे। वे वहां वीर अब्दुल हमीद के परिजनों से मिलेंगे। इसे संघ द्वारा सामाजिक समरसता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

खबर है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गया है। उसने सभी स्वयंसेवकों को सक्रिय भी कर दिया है। इसके मद्देनजर संघ के दूसरे नंबर के बड़े नेता सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले गुरुवार को लखनऊ में थे।‌ खबर है कि संघ पूरे प्रदेश में प्रांत वार बैठकें कर अपनी रणनीति को अंजाम देगा। इन बैठकों में जिला, क्षेत्र और प्रांत स्तर के सभी पदाधिकारी भाग लेंगे और एक मुकम्मल रणनीति तैयार की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि संघ 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की दुर्गति से बहुत चिंतित है। उसकी कोशिश है कि जमीनी स्तर पर जो भी दिक्कतें रही हों उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव तक दूर कर लिया जाए। इसके लिए संघ ने अपनी शाखाओं की संख्या को बढ़ाने का फैसला किया है।

कोशिश है कि विधानसभा चुनाव आते-आते पूरे देश में संघ की एक लाख से अधिक शाखाएं संचालित और सक्रिय हो जाएं। ताकि जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने का मौका मिले। संघ की प्राथमिकता पर दलित और पिछड़े वर्ग के लोग होंगे। संघ उन्हें अपनी शाखों में शामिल करने का प्रयास करेगा। इससे संगठन को यह जानने में आसानी रहेगी कि आखिर वे कौन सी वजहें थीं जिनके चलते 2019 में भाजपा को अकेले पूर्ण बहुमत देने वाले इस वर्ग के वोटर 2024 में क्यों उससे नाराज हो गयी। स्वयंसेवक उनकी नाराजगी जानेंगे, कारणों पर मंथन करेंगे और फिर एक रिपोर्ट तैयार कर संघ के बड़े नेताओं को देंगे। ताकि उन समस्याओं का निदान किया जा सके। कोशिश है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक इस वर्ग के लोगों को भाजपा के वोटर के रूप में तबदील कर लिया जाए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने संगठन को विस्तारित करने का फैसला अयोध्या में हुई उसके कार्यकर्ता सम्मेलन में वर्ष 2022 में ही ले लिया था। इस समय तय किया गया था कि संघ अपनी शाखाओं का विस्तार कर कम से कम एक लाख की संख्या तक पहुंचाएगा। अभी संघ की शाखाएं 65000 से ऊपर संचालित हैं। कोशिश है कि पूरे देश के सीमावर्ती राज्यों में संघ की शाखाएं जरूर संचालित हों। संघ का टारगेट उत्तर प्रदेश के अलावा जम्मू कश्मीर, केरल, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों पर रहेगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपने संगठन के देश भर में विस्तार के लिए भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार का होना भी जरूरी है। क्योंकि भाजपा ही वह पार्टी है जो संघ का टारगेट पूरा करने में उसकी राजनीतिक मदद कर सकती है। इसलिए संघ की चिंता इस बात को लेकर भी है कि भाजपा को इस बार पूर्ण बहुमत क्यों नहीं मिला। यह अलग बात है कि भाजपा के कुछ नेताओं के बड़बोलेपन के कारण संघ ने गत लोकसभा चुनाव में थोड़ी नाराजगी दिखाई थी। सूत्र बताते हैं कि संघ को इस बात का अंदाजा बिल्कुल नहीं था कि भाजपा की यह दुर्गति हो जाएगी। अन्यथा संघ कभी ऐसी स्थिति ही नहीं आने देता। क्योंकि जितनी जरूरत भाजपा को संघ की है उतनी ही ज़रूरत संघ को भाजपा की है। दोनों का काम एक-दूसरे के बिना चल नहीं सकता।

2022 में अयोध्या में हुए संघ के कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में यह भी लक्ष्य तय किया गया था कि संघ की शाखाओं का ग्रामसभा स्तर तक विस्तार कर उनकी संख्या कम से कम एक लाख किया जाएगा। संघ इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। जो भी हो परंतु यह भाजपा के लिए अच्छी खबर है। अगर संघ के स्वयंसेवक फील्ड में उतर गए हैं तो भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव जीतने से कोई नहीं रोक पाएगा। क्योंकि संघ ही वह संगठन है जो भाजपा के वोटरों को बूथ तक ले जाकर वोट डलवाता है।

संघ के इस कदम से विपक्ष का वह नैरेटिव भी ध्वस्त हो जाएगा जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा और भाजपा की गुजरात लाबी से नाराज हो गया है। जानकारों का मानना है कि संघ और भाजपा एक-दूसरे को किसी बात पर टोक तो सकते हैं लेकिन नाराज नहीं हो सकते हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि विपक्ष ने जेपी नड्डा के बयान को संदर्भ से हटकर प्रचारित किया। दरअसल जेपी नड्डा यह बात कहना चाहते थे कि संघ के प्रयासों से ही भाजपा इस मुकाम पर पहुंच गई है कि उसे अब संघ के सहयोग की जरूरत नहीं है। अब वह अपने बूते पार्टी चला पाने में सक्षम है। इसलिए उसे अब संघ के सहयोग की जरूरत नहीं है। इस बयान को गलत तरीके से प्रचारित किया, जिसके चलते कुछ समय के लिए संघ और भाजपा के रिश्तों में थोड़ी बहुत खटास दिखी। जिसके चलते विपक्ष को यह नैरेटिव बनाने में मदद मिल गई कि संघ भाजपा से नाराज है या भाजपा संघ की उपेक्षा कर रहा है।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक