60 करोड़ भारतीयों पर फाइलेरिया का खतरा !

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• स्वास्थ्य विभाग फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरया, कौसाम्बी, गाजीपुर, रायबरेली व सुलतानपुर में चलेगा अभियान
• जूम एप के जरिए जनपद व ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों का किया गया उन्मुखीकरण
• मरीज को मृत समान बना देता है फाइलेरिया- डॉ तनुज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आठ जिलों में 21 दिसंबर से दस दिवसीय फाइलेरिया निरोधी विशेष अभियान शुरू होने जा रहा है। इसके लिए संबंधित जनपद और ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों का जूम एप के माध्यम से उन्मुखीकरण किया गया। राज्य स्तरीय संचारी रोग नियंत्रण के नोडल अधिकारी डॉ वी.पी. सिंह ने बताया फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर बहुत ही ज़्यादा सूजन हो जाती है। इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। उन्होंने बताया कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोग से बीमार व्यक्तियों को दवा सेवन नहीं कराया जाएगा। जिन व्यक्तियों के अंदर माइक्रो फायलेरिया के कीटाणु रहते है, उन्हें दवा सेवन करने पर कुछ प्रभाव जैसे- जी मचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना, चक्कर आना आदि हो सकता है। इससे घबराना नहीं चाहिए।

एडिशनल डायरेक्टर, भारत सरकार डॉ नुपुर ने बताया कि यह अभियान 21 दिसंबर से दस दिनों तक सभी आठ जिलों में एक साथ चलेगा। इस दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एमपीडब्ल्यू, एएनएम, आशा एवं स्वयंसेवी कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करेंगी। साथ ही दवा खिलाएंगी।

कैसे होता है फाइलेरिया: विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ तनुज शर्मा ने कहा कि फाइलेरिया दुनिया की दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बना रही है। इस बीमारी का खतरा लगभग 60 करोड़ भारतीयों पर मंडरा रहा है। साथ ही कहा कि 21 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों के 257 जिले फाइलेरिया से प्रभावित हैं। लिंफेटिक फाइलेरियासिस को ही आम बोलचाल की भाषा में फाइलेरिया कहा जाता है। डॉ तनुज ने बताया कि पिछले वर्ष 2019-20 में चले अभियान के दौरान लगभग 76,674 लोग इस बीमारी से ग्रसित मिले थे, जिसमें से 29,228 लोग हाईड्रोशील से ग्रसित थे, यानि यह बीमारी हमारे शरीर के किसी भी अंग को प्रभाबित कर सकती है| यह बीमारी मरीज को मृत समान बना देता है|

साथ ही कहा कि फाइलेरिया की बीमारी क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलती है, इस मच्छर के पनपने में मल, नालियों और गड्ढों का गंदा पानी मददगार होता है, इस मच्छर के लार्वा पानी में टेढ़े होकर तैरते रहते हैं। क्यूलैक्स मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वह फाइलेरिया के छोटे कृमि का लार्वा उसके अंदर पहुँचा देता है। संक्रमण पैदा करने वाले लार्वा के रुप में इनका विकास 10 से 15 दिनों के अंदर होता है। इस अवस्था में मच्छर बीमारी पैदा करने वाला होता है। इस तरह यह चक्र चलता रहता है।

फाइलेरिया के लक्षण
1. एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
2. कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
3. गले में सूजन आना
4. गुप्तांग एवं जॉघों के बीच गिल्टी होना तथा दर्द रहना
5. पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
6. पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं