भगवान विष्णु के इन मंदिरों में दर्शन करने से पूरी होती हैं हर मनोकामना… हिंदू धर्म में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है। कहते हैं सच्चे मन से उनकी पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु जरूर पूरा करते हैं। हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार गुरुवार को भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है।
भगवान विष्णु जगत के पालनहार कहलाते हैं। कहते हैं पाप का नाश करने के लिए समय-समय पर भगवान विष्णु इस धरती पर प्रकट हुए। कभी मर्यादा पुरुषोत्तम राम, तो कहीं श्री कृष्ण के अवतार में भगवान ने अपने भक्तों के कष्ट दूर किए। इस कलयुग में भी उनके भक्तों की श्रद्धा भगवान विष्णु के इन मंदिरों में देखने को मिलती है।
बद्रीनाथ : श्री बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा के किनारे विराजमान है। यह हिंदू धर्म के ‘चार धाम’ में से एक तीर्थस्थल है। यह भगवान विष्णु को समर्पित 108 मंदिरों (दिव्य देसम) में शामिल है, जिनका तमिल संतों ने छठी से 9वीं शताब्दी के बीच उल्लेख किया था।
यह मंदिर भी वैष्णवों के ‘चार धाम’ में शामिल है। जगन्नाथ पुरी से जुड़ीं कई अद्भुत कथाएं हैं जो आज भी देखने को मिलती हैं। यहां हर साल निकलने वाली विशेष रथ यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। यहां भगवान विष्णु अपने जगन्नाथ अवतार में विराजमान हैं।
रंगानाथ स्वामी : यह दक्षिण भारत के तिरुचिरापल्ली शहर के श्रीरंगम में स्थित है। रंगानाथ स्वामी श्री हरि के विशेष मंदिरों में से एक है। कहा जाता है भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने लंका से लौटने के बाद यहां पूजा की थी।
वेंकटेश्वर : यह भगवान विष्णु के सबसे पुराने और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। वेंकटेश्वर मंदिर तिरुपति के पास तिरूमाला पहाड़ी पर स्थित है। हर साल अनगिनत लोग यहां आकर भगवान वेंकटेश के दर्शन करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।
द्वारिकाधीश : यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। माना जाता है द्वारिकाधीश लगभग 2000 साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर को भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने बनवाया था। यह इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि द्वारिका में है, जहां कान्हा का निवास था। द्वारिकाधीश ‘चार धाम’ में से एक है।
विट्ठल रुकमिणी : यह वैष्णव मंदिर महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित है। विट्ठल रुकमिणी भगवान विष्णु के रूप विठोबा को समर्पित है। यहां श्री हरि और उनकी पत्नी रुकमिणी विराजमान हैं।