बैंक बनने की कोशिश न करें म्युचुअल फंड

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सेबी चीफ की हिदायत

भारतीय स्टाॅक मार्केट के नियामक सेबी अध्यक्ष अजय त्यागी ने म्युचुअल फंड उद्योग के सदस्यों से हिदायती लहजे में कहा कि वे बैंक बनने की कोशिश नहीं करें। श्री त्यागी ने म्युचुअल फंड उद्योग की प्रतिनिधि संस्था एसोसिएशन आॅफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) की 25 वीं वार्षिक आम सभा (एजीएम) को संबोधित करते हुए कहा कि कार्पोरेट बांड मार्केट को कुतरलता से बचाए रखने के उद्देश्य से विशेषज्ञ समिति का गठन कर समाधान निकाला जाएगा।

उन्होंने कहा कि निवेश करने (इन्वेस्टिंग) और ऋण देने (लेंडिंग) के बीच के अंतर को हमेशा ही डेट म्युचुअल फंडों को याद रखना चाहिए। म्युचुअल फंड बैंक नहीं हैं, और इन्हें बैंक सरीखा व्यवहार नहीं करना चाहिए। ये फंड बैंक बनने की कोशिश नहीं करें। सेबी अध्यक्ष ने कहा कि विशेषज्ञ समिति ‘स्विंग प्राइसिंग/ एंटी डाइल्यूशन लेवी’ जैसे उपायों को लागू करने के बारे में सुझाएगी ताकि निवेशकों के हितों की हर हाल में सुरक्षा की जा सके।

उन्होंने बताया कि सुचारु कारोबार के मकसद से सेबी ने कार्पोरेट बांड्स में रेपो के लिए विशेष सेंट्रल क्लियरिंग कार्पोरेशन की स्थापना और कुतरलता की समस्या से निपटने के लिए कार्पोरेट बांड्स के सेकंडरी मार्केट में तरलता सुधार के खातिर बैक स्टाॅप सुविधा का प्रावधान करने को कदम उठाए गए हैं।

बता दें कि अप्रैल 2020 के अंतिम सप्ताह में एक प्रतिष्ठित और अंतरराष्ट्रीय फंड हाउस की ऋण आधारित छः स्कीम अचानक बंद किए जाने से स्टाॅक मार्केट में अफरातफरी मच गई थी। ये स्कीम चलाने वाला फंड हाउस पिछले करीब पचीस सालों से देश में सक्रिय है। बाजार हालातों के दुश्चक्र में इस हाउस की बंद की गई छः स्कीमों का काॅर्पस 47658 करोड़ रुपए से घटते घटाते अप्रैल के अंतिम सप्ताह में 25856 करोड़ रुपए पर सिमट गया। हाउस के कर्ता-धर्ता का बयान बाजार में आने के बाद थोड़ा भरोसा बहाल हुआ था। सच यह भी है कि संस्थागत निवेशकों के तौर पर कार्पोरेट बांडों के सबसे बड़े धारक म्युचुअल फंड ही हैं।

श्री त्यागी ने कहा, कोविड19 में फंसी वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्याप्त अनिश्चितता के घेरे में भारत भी है। उन्होंने कहा इसके बावजूद मजबूत नियामकीय प्रावधानों के साथ ही म्युचुअल फंड उद्योग की परिपक्वता के योगदान से पूंजी संसाधनों में वृद्धि हुई। जिसने कार्पोरेट क्षेत्र को विश्वव्यापी झटके को झेलने में कुशन का काम किया।

सेबी प्रमुख ने पिछले पांच सालों में म्युचुअल फंड उद्योग के वित्तीय प्रर्दशन की तारीफ करते हुए कहा कि मार्च 2015 में खत्म वित्त वर्ष में इस उद्योग में प्रबंधन के अंतर्गत परिसंपत्ति (एयूएम) कुल 10.83 लाख करोड़ रुपए थी जोकि 154 प्रतिशत बढ़त लेकर 2020, 31मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 27.49 लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर गई। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी चालू वर्ष में अगस्त तक इस उद्योग में 1.99 लाख करोड़ रुपए की पूंजी आई।

श्री त्यागी ने कहा सेबी के प्रोत्साहनों का फायदा लेते हुए मुट्ठी भर मेट्रो और बड़े शहरों के दायरे से बाहर छोटे नगरों में निवेशकों के बीच म्युचुअल फंड उद्योग को अपनी पैठ बनानी चाहिए।

भारतीय पूंजी बाजार में म्युचुअल फंड की बुनियाद डालने का श्रेय यूनिट ट्रस्ट आॅफ इंडिया को जाता है। ट्रस्ट ने 1963-64 में अपनी पहली निवेश स्कीम नवजात पूंजी बाजार में उतारी थी। बीते 56 सालों के सफर में एकल फंड का कारवां बढ़ते पसरते एक भीमकाय उद्योग बन गया, यही नही समूची भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण कारक बन कर अपनी गाथा को खुद बयां कर रहा है। 44 म्युचुअल फंड्स की करीब 2500 स्कीमों में लोगों की पूंजी लगी है।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी