स्वास्थ्य योजनाओं का डिजिटल संस्करण लॉन्च

0
734

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि लोग सरकारी योजनाओं के बावजूद इनका लाभ नहीं ले पाते हैं। इन योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिलने, इन मामलों में देरी से प्रतिक्रिया और बाधा के कारण गरीब व जरूरतमंद लोगों को समय पर स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि नौकरशाही से जुड़ी ये बाधाएं श्री दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सिद्धांतों की राह में रोड़ा हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के आईटी फ्लेटफार्म पर केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) और राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन) की कई योजनाओं और स्वास्थ्य मंत्री विवेकाधीन अनुदान (एचएमडीजी) को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में लॉन्च किया।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उपस्थित सभी लोगों को यह जानकारी देते हुए खुशी व्यक्त की कि उनका यह कदम स्वास्थ्य की देखभाल से जुड़ी सेवाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में एक ठोस पहल है। उन्होंने कहा कि “यह मेरा का एक सपना था और मैं एनएचए के आईटी फ्लेटफार्म पर इन योजनाओं के लॉन्च का इंतजार कर रहा था। यह कदम पूरी प्रक्रिया को पेपरलैस बनाकर इन योजनाओं के तहत पात्र लाभार्थियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की निर्बाध पहुंच को सक्षम बनाएगा।

उन्होंने कहा कि अपनी 28 साल की सार्वजनिक सेवा में, उन्होंने हमेशा हाशिये के लोगों के लिए इलाज की आवश्यकता को महसूस किया है। अधिक खर्च के कारण अक्सर इलाज टल जाता है, जोकि कैंसर जैसे गंभीर मामलों में घातक साबित होता है।

उन्होंने डिजिटल इंडिया के तहत नागरिकों के कल्याण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि बैंक खाते खोलने के लिए प्रौद्योगिकी उपाय, सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस), प्रत्यक्ष लाभ हस्तातंरण (डीबीटी) के जरिए सब्सिडी, मरीजों के पेपरलैस इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना, सीजीएचएस, आरएएन और एचएमडीजी को एनएचए प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ने की आज की पहल को स्वास्थ्य की देखभाल से जुड़ी सेवाओं में पारदर्शिता लाने और जरूरतमंद नागरिकों को सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया गया है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सीजीएचएस, जोकि सेवारत कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, संसद के सदस्यों, पूर्व सांसदों आदि और उनके आश्रित परिवार के सदस्यों के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य योजना है, को पिछले सात सालों के दौरान 72 शहरों में विस्तार देकर इसमें 38 लाख से अधिक लाभार्थियों को शामिल किया है। उन्होंने बताया कि सीजीएचएस को 1954 में नई दिल्ली में शुरू किया गया था और 2014 तक सिर्फ 25 शहरों को ही इसमें शामिल किया गया था। सीजीएचएस सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों को सूचीबद्ध केन्द्रों पर नकदी रहित इलाज प्रदान किया जाता है जिसे अब नए प्लेटफॉर्म के जरिए निर्बाध बनाया जाएगा। इस समय यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी एंड सर्विसेज लिमिटेड (यूटीआई-आईटीएसएल) बिल क्लियरिंग प्लेटफॉर्म 10/11 जून 2021 की मध्यरात्रि तक एक साथ चलेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सीजीएचएस पेंशनभोगी लाभार्थियों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि एनआईसी द्वारा विकसित ई-रेफरल मॉड्यूल ने सीजीएचएस डिस्पेंसरी और वेलनेस केन्द्रों को सूचीबद्ध अस्पतालों को ऑनलाइन रेफरल जारी करने में सक्षम बनाया है। अस्पताल के आवेदन की प्रक्रिया, दावों को जमा करना, सीजीएचएस टीम की मंजूरी, भुगतान जारी करना अब से इस फ्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन किया जाएगा।

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि आरएएन के तहत गंभीर जानलेवा बीमारियों/कैंसर/दुलर्भ रोगों से पीड़ित गरीब मरीजों को सरकारी अस्पतालों में चिकित्सीय इलाज के लिए 15 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। आरएएन के तहत सेवाओं का लाभ उठाने के लिए पात्रता मानदंड राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश वार बीपीएल सीमा पर आधारित है। लेकिन समर्थ प्राधिकारी से राज्य विशेष का बीपीएल प्रमाणपत्र प्राप्त करना एक समय लेने वाली प्रक्रिया है। इसी तरह, एचएमडीजी के तहत उन मरीजों को 1,25,000 रुपये की अधिकतम राशि प्रदान की जाती है, जिनकी वार्षिक आमदनी 1,25,000 रुपये से अधिक नहीं हैं ताकि सरकारी अस्पताल में भर्ती होने/इलाज पर होने वाले खर्च के एक हिस्से का भुगतान कर सके। लाभार्थी अपना राशन कार्ड नंबर प्रदान करके और किसी भी सूचीबद्ध सरकारी अस्पताल में लाभार्थी सत्यापन प्रक्रिया से गुजरकर दोनों योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं। उनके आवेदन की संबंधित अस्पताल द्वारा आंतरिक स्तर पर जांच की जाएगी और इलाज शुरू किया जाएगा। संबंधित अस्पताल द्वारा इलाज संबंधी विवरण प्रस्तुत करने पर, दावों पर कार्रवाई की जाएगी और भुगतान किया जाएगा।

श्री अश्विनी कुमार चौबे ने प्रमुख योजनाओं के डिजिटल संस्करणों को गेमचेंजर बताते हुए कहा कि आज यह अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण है कि अब आरएएन/एचएमडीजी और सीजीएचएस के मौजूदा लाभार्थियों को एक जगह से दूसरी जगह भटकना नहीं पड़ेगा। पिछले तीन वर्षों से जब कभी मैं आरएएन की फाइलें और पात्र लाभार्थी को निश्चित समय पर सहायता नहीं मिलते देखता था तो मुझे दर्द होता था और इसकी वजह से जरूरतमंद लोगों को इस योजना के तहत इलाज में देरी होती थी या लाभ नहीं मिल पाता था। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि एबी पीएम-जेएवाई के लाभार्थी पांच लाख से अधिक के इलाज के लिए आरएएन योजना के तहत लाभ उठा सकेंगे जोकि इस योजना के तहत शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी तरह की अन्य योजनाओं को एनएचए के आईटी प्लेटफॉर्म पर शुरू करने की योजना बनाई जा रही है और इससे संसाधनों के बेहतर उपयोग, फर्जी लाभार्थियों को पहचानने, मानकीकृत सेवा देने में मदद मिलेगी और आर्थिक बचत भी होगी।