मोबिक्विक के आईपीओ मंसूबे पर डेटा लीक की छाया

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डिजिटल वाॅलेट और पेमेंट स्टार्टअप फिनटेक कंपनी मोबिक्विक ने बड़े हौसले से पूंजी बाजार में उतरने की तैयारी शुरू कर दी थीं लेकिन इसके माथे भारत का अबतक का सबसे बड़ा डेटा लीकेज होना और भारतीय रिज़र्व बैंक से इसके फोरेंसिक आॅडिट की तत्काल जांच के आदेश जारी होने से प्रमोटरों के सामने अप्रत्याशित समस्या खड़ी हो गई है।

वर्ष 2009 में सिर्फ ढ़ाई लाख डाॅलर की पूंजी से शुरू की गई मोबिक्विक 1500-2000 करोड़ रु का आईपीओ लाने की योजना पर काम कर रही थी। बताते चलें उपासना टाकू के साथ मिलकर बिपिन प्रीत सिंह ने सबसे पहले दिल्ली के द्वारका में एक छोटे से कार्यालय में 2009 में मोबिक्विक की नींव डाली थी। बिपिन और उपासना रिश्ते में पति-पत्नी हैं। दोनों ने मोबिक्विक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की, डिजिटल वाॅलेट ‘मोबिक्विक’ का स्वामित्व इसी के पास है। पति-पत्नी ने मिलकर वेंचर कैपिटल फर्म सिकोइआ और अमेरिकन एक्सप्रेस से पूंजी जुटाई।

इनके अलावा चीनी निवेश कंपनी ट्री लाइन एशिया, अमेरिकी कंपनी सिसको, जापानी इंटरनेट कंपनी जीएमओ, ताइवान की सेमिकंडक्टर कंपनी मीडिया टेक और एक भारतीय मीडिया हाउस ने मोबिक्विक में पूंजी डाली। बजाज आॅटो ग्रुप कंपनी बजाज फाइनेंस ने 2017 में 225 करोड़ रु में मोबिक्विक की 10.83 फीसद इक्विटी हासिल की।

इस तरह से मोबिक्विक अब तक कुल आठ सौ करोड़ रु जुटाने में सफल रही। गुरुग्राम से अपने डिजिटल कारोबार का विस्तार तेजी से करने वाली मोबिक्विक से 29-30 लाख व्यवसायियों सहित दस करोड़ से ज्यादा यूज़र जुड़े हैं, जो इसके ज़रिए सामान की खरीद से लेकर ऋण सहायता, म्युचुअल फंड में निवेश से संबंधित सलाहकारी सेवाओं, टिकट बुकिंग और खान-पान की जरूरतों को पूरा करते हैं। हैकर अमूमन सेंध लगाकर डेटा की चोरी कर उसे बेचने का धंधा करते हैं।

देश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ, लेकिन भारत की डिजिटल हिस्ट्री में यह प्रथम ‘मेगा डेटा थेफ्ट’ के तौर पर दर्ज जरूर हो गया। महीना भर हुआ सायबर सिक्योरिटी रिसर्चर राजशेखर राजहरिया ने सबसे पहले मोबिक्विक डेटा लीक का खुलासा किया था। बिपिन डेटा लीक का खंडन करते रहे लेकिन जब उन्होंने इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पाॅंस टीम (आईसीईआरटी) से मदद मांगी। तब तक मामला तूल पकड़ चुका था।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने कंपनी को आईसीईआरटी से अनुमोदित फ़ोरेंसिक आॅडिटर से जांच तत्काल कराने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। इस मामले के निपटने तक बिपिन-उपासना उलझे रहेंगे। डेटालीक से मोबिक्विक की आईपीओ योजना को तगड़ा झटका लगा है। कुछ सूत्रों ने डेटा लीक के पीछे व्यावसायिक ईर्ष्या का अंदेशा जताया है। मोबिक्विक ने महत्वाकांक्षी योजना के तहत ही 2018अक्टूबर में मुंबई स्थित आनलाइन म्युचुअल फंड सलाहकारी सेवाएं देने वाली स्टार्टअप क्लियर फंड्स (प्रमोटर कंपनी हार्वेस्ट फिनटेक प्रा.लि.) का अधिग्रहण किया था।

मोबिक्विक ने 2019-20 में समाप्त वित्तीय वर्ष में 379 करोड़ रु की आय हासिल की और 45 करोड़ रु का घाटा उठाया। अब इसके मुनाफा में आने के आसार बन रहे थे। इसका मूल्यांकन तीन हजार करोड़ रु के आसपास किया जा रहा है।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी