कोरोना ने बीमा उद्योग को भी डसा, 420 अरब की चपत

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कहने को तो कोरोना काल बीत गया। देश में छह लाख लोगों के प्राण हरने वाली इस विश्वव्याप्त महामारी ने धन संपत्ति की क्षति से कहीं अधिक समाज के हर वर्ग को ऐसे गहरे घाव दिए हैं जिनकी पीड़ा कई दशकों तक महसूस होती रहेगी। ऐसे नाज़ुक दौर में बीमा उद्योग से महामारी के पीड़ितों को काफी राहत भी मिली। लेकिन अकेले बीमा उद्योग को भारत के पचहत्तर सालों के इतिहास में अबतक की एकमात्र सबसे भयावह त्रासदी की कीमत भी खरबों रुपए में चुकानी पड़ी।

कोरोना २० जनवरी को भारत में घुसा और पहला केस केरल में खुला। कोरोना के संक्रमण से जो जीवन समाप्त हुए वो तो हुए ही लेकिन इसकी दहशत ने अनगिनत चिरागों को हमेशा के लिए बुझा दिया। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पुष्टि होती है कि २८ फरवरी २०२३ तक देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या ३ करोड़ ३७ लाख रही और ४ लाख ४८ हजार ३३९ पीड़ित काल के गाल में समा गए। जान गंवाने वालों में से ‌ २ लाख २६ हजार ९०६ बीमा दावे विभिन्न बीमा कंपनियों में दर्ज़ कराए गए। ३१ मार्च २०२२ तक इनमें से २ लाख २५ हजार २१९ दावों का निपटान किया गया।

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सहित अन्य बीमा कंपनियों ने इन दावों के आधार पर कुल मिलाकर १७ हजार २६९ करोड़ रुपए की रकमों का भुगतान आश्रितों को किया। जीवन बीमा उद्योग में एलआईसी को मिलाकर कुल २३ कंपनियां सक्रिय हैं। यह तो मृत्यु दावों के भुगतान का समग्र ब्यौरा है। बीमा उद्योग के रिकार्डों को खंगालने पर मिले ब्यौरों के अनुसार स्वास्थ्य बीमा कवर लेने वाले कोविड-संक्रमितों ने अपने इलाज पर आए खर्च के जो दावे संबंधित स्वास्थ्य बीमा कंपनियों पर किए गए उनकी कुल संख्या २९ लाख ९६ हजार ८०१ निकली। इनमें से २६ लाख ५४ हजार १ दावों का निपटान किया गया। और बीमा कंपनियों ने ३१ मार्च २०२२ तक इनके दावेदारों को २४ हजार ३६२ करोड़ रुपए के भुगतान कर दिए गए।

एक प्रमुख बीमा कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने भी अप्रैल २०२२ से लेकर फरवरी २०२३ तक की जानकारी ‌उपलब्ध नहीं होने की पुष्टि की। इस तरह से कोरोना महामारी की वजह से बीमा कंपनियों को कुल ४१ हजार ६३२ करोड़ रुपए का समग्र भुगतान करना पड़ा, इतनी भारी भरकम धनराशि का भुगतान करना पड़ जाएगा इसकी कल्पना उद्योग प्रमुखों तक को नहीं थी।

प्रणतेश बाजपेयी