अपर्णा ने लगाया कारसेवकों के जख्मों पर मरहम

मुलायम की छोटी बहू ने की ग़लती सुधारने की कोशिश अपर्णा की अयोध्या यात्रा कई मायने में रही महत्वपूर्ण विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिल सकता है लाभ

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लखनऊ। लोकसभा चुनाव में अयोध्या/फैजाबाद सीट पर भाजपा की हार और सपा की जीत पर राहुल गांधी ने कहा था कि हमने अयोध्या की सीट जीत कर भाजपा के राम मंदिर आंदोलन की हवा निकाल दी है। तब लगा था कि स्वर्गीय मुलायम सिंह का परिवार उनके इस बयान की ताईद करता है। तब अखिलेश यादव ने भी राहुल के इस बयान पर कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की थी। परंतु मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव की अयोध्या यात्रा ने बता दिया है कि नेताजी के परिवार का एक हिस्सा न तो राहुल गांधी के बयान का समर्थक है और न ही कारसेवकों पर गोली चलवाने का ही। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की अनुज वधु पिछले दिनों अयोध्या में हार्ड लाइनर भाजपाई की भूमिका में दिखाई पड़ीं।

यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव ने अयोध्या पहुंचकर न सिर्फ राम लला के दर्शन किए बल्कि पूरी तरह भाजपाई रंग में नज़र आईं। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद मुलायम सिंह यादव के किसी परिजन की ये पहली राम भक्ति थी। राजनीति के जानकारों का मानना है कि ये भाजपा की बड़ी नैतिक जीत है, जिसे अखिलेश यादव को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि जब भी परिवार में फूट पड़ती है तो अपने ही घर में दीवार खड़ी हो जाती है। और लाभ हमेशा दूसरे ही उठाते हैं। और समझने वाले के लिए इशारा ही काफी होता है।

यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव पिछले दिनों अयोध्या की यात्रा पर थीं। अपर्णा ने वहां राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से भी मुलाकात की। अपर्णा ने कारसेवक पुरम में राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा अशोक सिंघल की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में भी भाग लिया। इस मौके पर अपर्णा यादव ने कहा कि अयोध्या पावन धरती है, यहां आकर अच्छा लगता है। राम, भारत के आदर्श हैं। अयोध्या में 500 वर्षों के संघर्ष का विराम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से हुआ है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर उन कार सेवकों को भी धन्यवाद है, जिन्होंने इस लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्हीं की प्रेरणा से अब राम लला भव्य मंदिर में स्थापित हुए हैं। अपर्णा यादव ने राहुल गांधी द्वारा राम लला की प्राण प्रतिष्ठा पर दिए गए विवादित बयान पर कहा कि राहुल गांधी ने प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अच्छी नजर से नहीं देखा। इसी से वे कार्यक्रम की अच्छाई नहीं देख पाए। अपर्णा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर निर्माण करने वाले लोगों पर फूलों की वर्षा की। और ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है। राहुल के घर में भी तीन-तीन प्रधानमंत्री थे। वे किसी एक का भी नाम बता दें जिन्होंने सेवकों के पांव धुले हों, पुष्प वर्षा की हो। अपर्णा ने राहुल गांधी कटाक्ष करते हुए कहा कि देश को भड़काने वाला भाषण देकर वे कुछ भी नहीं कर पाएंगे। वे अपनी राजनीति चमकाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और राम लला पर गलत बयानी करेंगे तो गर्त के गिरेंगे।

समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी द्वारा साधु-संतों पर दिए गए विवादित बयान पर अपर्णा यादव ने कहा कि ऐसी बयानबाजी करके वे अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं। किंतु ऐसी बयानबाजी से साधु समाज पर कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा। अखिलेश यादव के मठाधीश-माफिया वाले बयान पर अपर्णा ने कहा कि ये उनके अपने विचार हैं। अभिव्यक्ति की आजादी सबको है। पर आप यदि किसी अच्छे पद पर हैं तो आपको मर्यादित बयान देना चाहिए। उन्होंने ने अखिलेश यादव को नसीहत दी कि वे विपक्षियों पर गलत टिप्पणी कर राजनीति न चमकाएं। महिला आयोग उपाध्यक्ष ने कहा कि 33% का जो आरक्षण प्रधानमंत्री ने महिलाओं के लिए किया है, वह ऐतिहासिक है। जब यह आरक्षण 2027 में लागू हो जाएगा तो महिलाओं को समाज में एक बड़ा मुकाम हासिल होगा। अपर्णा यादव ने तिरुपति बालाजी मंदिर में चर्बी युक्त प्रसाद को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भगवान के प्रसाद में मिलावट करना गलत है। इसकी जांच करके उचित कार्रवाई होनी चाहिए।

इस प्रकार अपर्णा यादव की अयोध्या यात्रा भाजपा के लिए काफी सुकून भरी रही। क्योंकि जिस मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलवाई थी, उन्हीं की छोटी बहू अपर्णा यादव ने न सिर्फ अयोध्या आकर कारसेवकों के जख्मों पर मरहम लगाया बल्कि राम मंदिर आंदोलन में उनके सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया। मुलायम सिंह के परिवार में अपर्णा पहली व्यक्ति होंगी जिसने अप्रत्यक्ष रूप से कारसेवकों पर गोली चलवाने को गलत ठहराया है और राममंदिर के लिए कारसेवकों के योगदान को उचित। इसके अलावा वे मुलायम सिंह यादव के परिवार की संभवत पहली सदस्य हैं जिसने राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता अशोक सिंघल के कार्यक्रम में सम्मिलित होकर भाजपा के राम मंदिर आंदोलन को नैतिक समर्थन दिया। इसके साथ ही उन्होंने मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक पाप धोने की भी कोशिश की।

इस प्रकार भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के परिवार में घुसपैठ कर राम मंदिर आंदोलन के लिए पार्टी द्वारा किए गए पार्टी के प्रयासों पर मुलायम सिंह के परिवार की मोहर लगवा ली है। सही मायने में अपर्णा यादव का ये कदम भाजपा को राजनीतिक रूप से मजबूत करने वाला है। अपर्णा के भाजपा में रहने से पार्टी को यह नैरेटिव गढ़ने में आसानी रहेगी कि मुलायम सिंह का परिवार भी भाजपा के राम मंदिर आंदोलन को सही ठहराता है। और जहां तक सवाल राहुल गांधी का है, तो उनका बयान तो बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसा है। क्योंकि फैजाबाद में तो समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी। और उस जीत को अपनी जीत बताने का करिश्मा तो सिर्फ राहुल गांधी ही कर सकते हैं। वैसे भी राम मंदिर आंदोलन शुरू होने के बाद से तो अयोध्या में कांग्रेस की कोई बिसात ही नहीं है।

आने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी अपर्णा यादव की चुनावी रैलियां भाजपा के लिए फायदे का सौदा हो सकती हैं। क्योंकि लोहा ही लोहे को काटता है। और मुलायम सिंह के राजनीतिक वारिस के रूप में दिख रहे अखिलेश यादव की काट सिर्फ अपर्णा यादव ही हो सकती हैं। वैसे राजनीति के पंडितों को यह बात आसानी से हजम नहीं होगी की अपर्णा अखिलेश यादव का विकल्प हो सकती है किंतु यह राजनीति है, यहां कुछ भी हो सकता है। वैसे भी अखिलेश यादव जो विरासत संभाल रहे हैं वह दी गई नहीं, छीनी गई है। और छीनी गई विरासत की कोई गारंटी नहीं होती। ऐसे में तब तो मामला और भी खतरनाक होता है, जब कोई लंका का भेदी जाकर राम से मिल जाए।

अपर्णा यादव अपनी महत्वाकांक्षा की एक झलक अभी कुछ दिन पहले ही दिखा चुकी हैं। जब उन्हें यूपी महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया था तब उन्होंने इसे अपने कद के अनुसार छोटा बताकर पद संभालने से इनकार कर दिया था। बाद में काफी मान मनौव्वल और बेहतर समायोजन के आश्वासन के बाद उन्होंने पद संभाला था। और इसके लिए खुद योगी आदित्यनाथ को खुद मोर्चा संभालना पड़ा था। ऐसे में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव को अपर्णा यादव को हल्के में कतई नहीं लेना चाहिए। वैसे भी भाजपा की नजर चाचा शिवपाल यादव पर पहले से ही है। और अपर्णा यादव अगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के पक्ष में प्रचार करने उतरीं तो नुकसान तो सपा का ही करेंगी। क्योंकि मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक वारिस वे भी हैं।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक