नमक रणनीति पर मंथन, कम या ज्यादा दोनों जानलेवा जानिए सही मात्रा

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राष्ट्रीय नमक रणनीति बनाने पर मंथन, कम खाएं या ज्यादा दोनों जानलेवा….. ‌‌शरीर में सोडियम अर्थात नमक की अधिकता और कमी दोनों ही घातक हैं। हाइपरटेंशन, हृदयरोग, हृदयाघात, शरीर का अति निष्क्रिय हो जाना जैसी बीमारी से हर साल लाखों जानें चली जाती हैं। शरीर के लिए अतिआवश्यक तत्व सोडियम का उपभोग (दैनिक खुराक) नियंत्रित करने के लिए व्यापक राष्ट्रीय रणनीति की जरूरत महसूस की जा रही है और प्रधानमंत्री की सलाहकार परिषद में शुरुआती मंथन भी चल रहा है।

पाक कला में निपुण से निपुणतम भले ही परमस्वादिष्ट – लज़ीज़ और लार टपकाने वाली डिश बनाकर परोस दे लेकिन उसमें नमक नहीं डाला गया तो वह व्यंजन किसी की भी जबान को रास नहीं आएगी, उसे रिजेक्ट होना तय है। नमक ऐसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पदार्थ है। रसायन की भाषा में इसे सोडियम क्लोराइड कहा जाता है और इसी से शरीर को सोडियम प्राप्त होता है। सोडियम की अहमियत यह होती है कि निर्धारित मात्रा से कम होने पर भी यह शरीर के लिए घातक बन जाता है और यदि अधिक पहुंच रहा है तो भी यह प्राण हर लेने में रत्ती भर भी मुरव्वत नहीं करता। हरहाल में नमक की संतुलित मात्रा खाते रहना अस्तित्व ‌के लिए निहायत जरूरी है। नियमित खानपान में नमक कितना खाना चाहिए, कम मात्रा पहुंचते रहने से शरीर पर क्या मुसीबतें आ सकती हैं और अधिक खाने से किस बीमारी की चपेट में आकर जान से हाथ धोने पड़ सकते हैं।

भारतीय नमक अधिक मात्रा में खाते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ऐंड फेमिली वेलफेयर के आंकड़ों से पता चला कि एक भारतीय प्रतिदिन 10-11 ग्राम नमक खाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) की ‘ग्लोबल रिपोर्ट ऑन सोडियम इनटेक ‘टाइटिल से आई हालिया रिपोर्ट में औसत भारतीय की दैनिक खुराक में 11 ग्राम नमक रहने का खुलासा किया गया है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के प्रपत्र के अनुसार नमक में अमूमन 38-40प्रतिशत सोडियम होता है। इसी प्रपत्र में जोर देते हुए कहा गया है कि किसी भी वयस्क को अपनी दैनिक डाइट में 1.5 ग्राम से अधिक सोडियम नहीं खाना चाहिए यानी कि इसके लिए 3.75-4 ग्राम नमक खाया जा सकता है।

जीवन विज्ञान वयस्क शरीर के लिए इतनी ही मात्रा को आवश्यक और पर्याप्त बताता है। महत्व की बात यह है कि सोडियम की खुराक में होने वाला असंतुलन शरीर में जानलेवा बीमारियां पैदा करता है। दिल व रक्त कोशिकाओं के विकारों से हाइपरटेंशन, हृदय रोग, हार्ट फेल्योर से लेकर किडनी और लीवर से जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। बहुधा डॉक्टर सोडियम के असंतुलन को पकड़ नहीं पाते हैं और मरीज की जान चली जाती है।

एक ताजा घटना बताते हैं_ कानपुर में एक मित्र, उम्र पचास वर्ष, डायबिटिक हैं बीपी की समस्या भी डाॅक्टर की दवा ले रहे थे, अचानक एक सुबह गश आया फर्श पर गिर गए पत्नी लेकर अस्पताल गईं, सरकारी और प्राइवेट मिलाकर चार अस्पतालों के चक्कर लगाईं समाधान नहीं मिलता देख एक सुने-सुनाए परिचित डॉक्टर के घर ले गईं, उन्होंने दो टेस्ट कराए, तब कहीं पता चला कि शरीर में सोडियम निर्धारित मात्रा से काफी कम हो जाने से (खाई जा रही दवाओं की वजह से) लेने के देने पड़ गए।

कहने का मतलब यह है कि जिन डाॅक्टर की दवाएं चल रही थीं वह मरीज के शरीर में सोडियम की कमी को नहीं पकड़ सके। भारत में सोडियम असंतुलन के ढाई से तीन करोड़ केस हर साल होते हैं। वर्ल्ड एकाॅनाॅमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने अपने एक अध्ययन में 2012से लेकर 2030के बीच यानी अठारह सालों में अकेले कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से भारत को दो ट्रिलियन डॉलर की क्षति होने का अनुमान लगाया है, और कहा है कि सोडियम की संतुलित मात्रा खाने से जन-धन की हानि को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है।

ताजा जानकारी है कि पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद में सोडियम उपभोग को नियंत्रित करने के लिए व्यापक राष्ट्रीय रणनीति की जरूरत महसूस की गई है, इस पर शुरुआती मंथन चल रहा है। वैसे केंद्र की पहल पर फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथाॅरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) पहले से ही सोडियम के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए ‘ईट राइट इंडिया’ कैंपेन चला रही है। इसने इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी ‘आज से थोड़ा कम’ कैंपेन चलाया है।

प्रणतेश बाजपेयी