खूबसूरत पक्षी : हिम तीतर

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प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज धरती अपनी आगोश में एक से बढ़कर एक खूबसूरत वन्य जीव-पशु-पक्षियों की श्रंखला छिपाये हुये है। वन क्षेत्र में स्वच्छंद विचरण करने वाले पशु एवं पक्षियों की अपनी एक अलग खूबसूरती है तो हिमालय-पहाड़ों को अपना विचरण क्षेत्र व आशियाना बनाने वाले पशु-पक्षियों का अपना अलग ही सौन्दर्य है। हिमालय में भी पशु पक्षियों की एक लम्बी श्रंखला है। हिम पशु-पक्षियों की अपनी अलग खूबसूरती होती है।

हिम श्रंखला का एक ऐसा ही पक्षी हिम तीतर है जो अपनी खूबसूरती के लिए अलग ही पहचाना जाता है। हिम तीतर फीजैण्ट कुल का प्राणी है। खास तौर से हिमालय के शीर्ष पर पाया जाने वाला हिम तीतर भारत के अलावा पाकिस्तान, चीन व नेपाल आदि सहित दुनिया के कुछ देशों में पाया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो प्रजाति का इकलौता जीवित पक्षी है। इसके आशियाने (घोसले) खास तौर से खुले व ढ़लान वाले पहाड़ी क्षेत्र में होते हैं। हिमालय के बर्फमुर्ग इलाके इनकी खास पसंद वाले विचरण क्षेत्र होते हैं। पथरीले इलाके इनको पसंद नहीं आते क्योंकि ऐसे इलाके अपेक्षाकृत कहीं अधिक गर्म होते हैं।

खास तौर से नर व मादा हिम तीतर एक समान दिखते हैं। सामान्य तौर से मामूली फर्क से ही नर व मादा की पहचान की जा सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो नर हिम तीतर की एड़ी के पास नाखून की तरह मामूली सा उभार होता है जिससे नर हिम तीतर की पहचान होती है। सामान्य हिम तीतर की लम्बाई अड़तीस से चालीस सेंटीमीटर होती है। वजन में भी नर व मादा में कोई खास फर्क नहीं होता। मादा का वजन चार सौ पचास ग्राम से लेकर पांच सौ अस्सी ग्राम तक होता है तो वहीं नर का वजन मादा से कुछ अधिक होता है।

नर हिम तीतर का वजन पांच सौ पचास ग्राम से सात सौ ग्राम तक होता है। इसके चूजे लाल मनाल की तरह होते हैं। हिमालय, पहाड़ों व गिरि कन्दराओं में प्रवास करने के बावजूद हिम तीतर शिकारियों व मांसाहार प्रेमियों की निगाह से नहीं बच पाते। शायद इसी लिए इनकी संख्या नित्य प्रतिदिन कम होती जा रही है। वन्य जीवन की इस खूबसूरत श्रंखला को बचाने के लिए संरक्षण की आवश्यकता है क्योंकि इनको अपेक्षित संरक्षण न मिला तो एक दिन इनका अस्तित्व खत्म हो जायेगा।