अमरकंटक हिल स्टेशन सौन्दर्य शास्त्र की एक अनुपम गाथा है। मध्य प्रदेश का यह हिल स्टेशन प्रकृति का एक सुरम्य स्थान है तो वहीं अमरकंटक तीर्थ धाम भी है। समुद्र तल से करीब 1065 मीटर शीर्ष पर रचा-बसा अमरकंटक हिल स्टेशन पर्यटकों के लिए किसी स्वप्नलोक से कम नहीं। मैकाल की पहाड़ियों पर स्थित अमरकंटक हिल स्टेशन विंध्य एवं सतपुरा की पर्वत श्रंखलाओं से घिरा है।
सोन नदी, जोहिला नदी एवं नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक हिल स्टेशन की सुन्दरता में चार चांद लगा देते हैं। मध्य प्रदेश के अनूप शहर क्षेत्र में स्थित अमरकंटक हिल स्टेशन की झील-झरनें, पवित्र तालाब-कुण्ड, ऊंची पर्वत श्रंखलाएं एवं शांत वातावरण सैलानियों-पर्यटकों को एक सुखद ताजगी एवं ऊर्जा से भर देते हैं। टीक एवं महुआ के शानदार वृक्षों से आच्छादित हिल स्टेशन अपनी खास विशेषताओं की ख्याति रखता है।
अमरकंटक हिल स्टेशन आयुर्वेदिक एवं आैषधीय वनस्पतियों के लिए खास तौर से जाना जाता है। इस हिल स्टेशन को जीवनदायक धाम भी कहा जाता है। इस इलाके की लाइफ लाइन कही जाने वाली नर्मदा नदी को यहां साक्षात देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। धर्म-अध्यात्म एवं प्रकृति प्रेमियों का यह एक सुन्दर धाम है। पर्वत श्रंखलाओं पर घास के सुन्दर मैदान मुग्ध करते हैं तो वहीं रमणीयता भी देखने लायक है।
जीवनदायी गुणों से भरपूर अमरकंटक हिल स्टेशन एवं उसके आसपास आकर्षण की एक लम्बी श्रंखला है। इनमें खास तौर से धुनी पानी, नर्मदा उद्गम स्थल, सोनमुद्रा, दूधधारा, नर्मदा कुण्ड एवं नर्मदा मंदिर, मां की बगिया, कपिल धारा, कबीर चौरा, सर्वोदय जैन मंदिर, ज्वालेश्वर महादेव मंदिर आदि इत्यादि बहुत कुछ है। अमरकंटक को प्रकृति का एक बेहतरीन उपहार कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। मध्य भारत स्थित अमरकंटक हिल स्टेशन स्वास्थ्य की दृष्टि से जीवन देने वाली आैषधि से कम नहीं।
धुनी पानी: धुनी पानी अमरकंटक हिल स्टेशन के गर्म पानी का एक विशेष झरना है। विशेषज्ञों की मानें तो इस झरना का जल आैषधीय गुणों से भरपूर है। इस झरना में स्नान करने से असाध्य रोग भी नष्ट हो जाते हैं। स्नान करने से दुखों का निवारण भी होता है। ऐसी मान्यता है। धुनी पानी में स्नान करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु एवं पर्यटक आते हैं।
नर्मदा कुण्ड एवं मंदिर: नर्मदा कुण्ड मुख्यता नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। इसके आसपास चारों भव्य-दिव्य मंदिरों की श्रंखला है। आस्था एवं विश्वास का यह केन्द्र बेहद ऊर्जावान माना जाता है। इस स्थान पर नर्मदा देवी, शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा देवी मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, गुरु गोरखनाथ मंदिर, दुर्गा मंदिर, वंगेश्वर महादेव मंदिर, शिव परिवार, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, श्री राधा कृष्ण मंदिर एवं रुद्र महादेव के ग्यारह मंदिर मुख्य हैं। किवदंती है कि भगवान शिव एवं उनकी पुत्री नर्मदा साक्षात यहां निवास करते हैं।
दूध धारा: दूध धारा अमरकंटक हिल स्टेशन का बेहद लोकप्रिय झरना है। पर्वत श्रंखला की ऊंचाई से गिरते इस झरना का पानी दूध की तरह दिखता है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे झरना से पानी की बजाय दूध गिर रहा हो। शायद इसी लिए इसे दूध धारा कहा जाता है।
कलचुरी मंदिर: कलचुरी मंदिर हिल स्टेशन के खास आकर्षण में हैं। नर्मदा कुण्ड के दक्षिण इलाका में कलचुरी काल के मंदिर हैं। यह प्राचीन मंदिर श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के केन्द्र हैं। कुण्ड के निकट रचे-बसे इन मंदिरों का निर्माण महाराजा कर्णदेव ने कराया था। मछेन्द्रथान एवं पातालेश्वर महादेव मंदिर कलचुरी काल के बेहतरीन उदाहरण हैं।
सोनमुद्रा: सोनमुद्रा मुख्यत: सोन नदी का उद्गम स्थल है। यहां से घाटी, पर्वत श्रंखला, पर्यावरणीय सुन्दरता पर्यटक देख सकते हैं। सोनमुद्रा नर्मदा कुण्ड से करीब 1.50 किलोमीटर दूर मैकाल पहाड़ियों की ढ़लान पर है। खास यह कि सोननदी करीब 100 फुट ऊंचाई से नीचे एक झरना की शक्ल में गिरती है। सोन नदी की सुनहरी रेत इसकी सुन्दरता को बेहतर आकर्षक बनाती है। सुनहरी रेत के कारण ही इसे सोन नदी कहा जाता है।
कपिलधारा: कपिलधारा एक अति सुन्दर झरना है। करीब 100 फुट ऊंचाई से नीचे गिरने वाला यह झरना सुन्दर होने के साथ साथ लोकप्रिय भी है। धर्मग्रंथों की मानें तो कभी इस स्थान पर कपिलमुनि निवास करते थे। घने वन क्षेत्र, पर्वत श्रंखलाओं से आच्छादित एवं प्रकृति के सुन्दर नजारे यहां दिखते हैं। कपिलधारा के निकट ही कपिलेश्वर मंदिर है। कपिलधारा के आसपास असंख्य गुफायें। इन गुफाओं में ऋषि-मुनि, साधु-सन्यासी ध्यान लगाते हैं।
मां की बगिया: मां की बगिया माता नर्मदा को समर्पित है। मान्यता है कि शिव पुत्री नर्मदा इस बगिया में फूलों को चुनती हैं। गुलाब सहित अन्य फूलों की यह बगिया नर्मदा कुण्ड से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित है।
कबीर चौरा: कबीर चौरा संत कबीर का स्थान माना जाता है। कहावत है कि इस स्थान पर कई वर्षों तक संत कबीर ने ध्यान लगाया था।
सर्वोदय जैन मंदिर: सर्वोदय जैन मंदिर भारत के अद्वितीय मंदिरों में से एक है। कहावत है कि इस मंदिर के निर्माण में सीमेन्ट एवं लोहे का उपयोग नहीं किया गया। मंदिर में स्थापित मूर्ति का वजन भी कम नहीं है। मूर्ति का वजन करीब 24 टन है।
श्री ज्वालेश्वर महादेव मंदिर: ज्वालेश्वर महादेव अमरकंटक हिल स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर दूर शहडोल रोड पर स्थित है। महादेव का यह मंदिर बेहद खूबसूरत है। अमरकंटक हिल स्टेशन की तीसरी नदी जोहिला का उद्गम स्थल है। मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं अपने हाथों से यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। भगवान शिव का ही प्रताप है कि मैकाले की पर्वत श्रंखलाओं में असंख्य स्थानों पर शिवलिंग बिखर गये। यह अब शिव मंदिरों के रूप में हैं। पुराणों में इस स्थान को महा रुद्र मेरु कहा गया है। इस मंदिर के निकट ही सर्योदय एवं सूर्यास्त की अनुपम छटा दिखती है।
अमरकंटक हिल स्टेशन की यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर है। जबलपुर एयरपोर्ट की दूरी अमरकंटक हिल स्टेशन से करीब 245 किलोमीटर है। अमरकंटक का निकटतम रेलवे स्टेशन पेंड्रा रोड है। पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन से अमरकंटक हिल स्टेशन की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। अनूप शहर रेलवे स्टेशन की दूरी करीब 72 किलोमीटर है। अमरकंटक हिल स्टेशन की यात्रा सड़क मार्ग से भी की जा सकती है।