पौराणिक नदियों के कायाकल्प की कोशिश

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लखनऊ। पौराणिक नदियों के पुनरुद्धार ने उत्तर प्रदेश में तेज रफ्तार पकड़ ली है। योगी सरकार के आह्वान पर नदियों को नया जीवन देने के प्रयोग विभिन्न जनपदों में किये जा रहे हैं। इस कड़ी में बिजनौर में लुप्त हो चुकी मालन नदी को उसके वास्तवितक स्वरूप में लौटाने का प्रयास जनपद के प्रशासन और जनसहयोग से चल रहा है। कालीदास के अभिज्ञान शकुन्तलम में मालिनी नदी का जिक्र आता है जिसे वर्तमान में लोग मालन नदी के नाम से जानते हैं। गंगा की सहायक नदियों में से एक यह नदी कभी अपने पूरे विस्तार के साथ अविरल बहा करती थी लेकिन अतिक्रमण के कारण इस नदी का अस्तित्व खत्म हो चुका था। यह छोटी सी धारा में सिमट कर रही गई थी और इसकी जमीन पर लोग फसलें उगाने लगे थे।

सीएम योगी आदित्यनाथ की नदियों को पुनर्जीवित किये जाने की मंशा को पुरा करते हुए बिजनौर के जिला प्रशासन ने मालन नदी को उसके पुराने स्वरूप में वापस लौटाने के प्रयास शुरू किये हैं। इसमें जन सहयोग भी लिया जा रहा है। नदी की खुदाई कर उसे चौड़ा करने का काम भी तेजी से चल रहा है। अतिक्रमण हटाकर मालन के तटबंध बनाए जा रहे हैं। ग्राम प्रधानों की मौजूदगी में यह कार्य किया जा रहा है। नदी के आसपास रहने वाले लोग इस पवित्र कार्य में श्रमदान कर रहे हैं।

मालन नदी का उदगम पौड़ी जिले की चंड़ा पहाड़ियों से माना जाता है। बिजनौर में हल्दूखाता से मालन प्रवेश करती है। जिले में 53 किमी की यात्रा करने के बाद गंगा में मालन का मिलन रावली में स्थित कण्व आश्रम के पास होता है। योगी 2.0 में नदियों को अविरल और निर्मल बनाने का अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है। इस कार्य में लगे कई सामाजिक संगठन प्रभावी प्रयास कर रहे हैं।

लोगों को जागरूक कर नदियों का महत्व बताने के साथ-साथ नदियों को नया जीवन देने के लिए श्रमदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। गौरतलब है कि बिजनौर की मालन नदी की तरह ही प्रदेश की गोमती नदी की 22 सहायक नदियों में से सूख चुकी 19 नदियों को भी नया जीवन देने के कार्य में सामाजिक संस्थाएं जुटी हुई हैं। जनसहयोग के माध्यम से इन नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं।