आखिर क्या हैं सूर्य देव के रथ से जुड़े रहस्य

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उषाकाल में पूर्व दिशा से अपने रथ पर सवार हो सूर्य देव निकलते है। सूर्यदेव जिनके रथ को सात अश्वों द्वारा खींचा जाता है। जिनके सारथी अरुण है, जो विष्णु के वाहन गरुड़ के भाई है। अब ख़ास बात ये हैं कि सूर्यदेव के रथ में सात घोड़ो का अर्थ क्या है? सूर्य भगवान के रथ को संभालने वाले इन सात घोड़ों के नाम हैं, गायत्री, भ्राति, उस्निक, जगति, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति। सूर्यदेव के रथ में लगे सात अश्व सात दिनों को दर्शाते है, यह तो एक प्रचलित धारणा है सूर्यदेव के रथ में लगे सात अश्व सात दिनों को दर्शाते है। यह तो एक प्रचलित धारणा है, ओर दूसरा क्या रहस्य हैं सूर्यदेव के रथ में सात अश्व होने का?

उनका सारथी है लंगड़ा : सूर्य के रथ में केवल एक पहिया है और ये संवत्सर कहलाता है। इस रथ को सात अलग-अलग रंग के घोड़े इसे खींच रहे होते हैं। खास बात ये है कि इस रथ का सारथी लंगड़ा, मार्ग निरालम्ब है, घोड़े की लगाम की जगह सांपों की रस्सी है।

इसके अलावा ये सात अश्व इंद्रधनुष के सात रंगो को भी इंगित करते है, जो सूर्य से ही बने है। सूर्य के रथ में लगे सात अश्व देखा जाये तो विभिन्न रंगो के है, हर अश्व भिन्न भिन्न रंग का है, कोई भी किसी अश्व दूसरे से मिलता नहीं है। ये अश्व सात विभिन्न रंगो का प्रतीक है। सूर्य देव के रथ की कमान अरुण के हाथो में है वे रथ चलाते हुए भी सूर्य भगवान की और मुँह करके बैठते है। सूर्य देव के रथ से जुड़ा एक और रहस्य है वो ये कि उनके रथ में एक ही पहिया लगा हुआ है। उस रथ में बारह तिल्लियां लगी है। बारह तिल्लियों वाला यह रथ वर्ष के बारह महीनो की ओर इशारा करती है।