हिमाचल 2022 तक ‘हर घर जल’ वाला राज्य बन जाएगा

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हिमाचल प्रदेश सरकार के जल शक्ति विभाग ने जुलाई, 2022 तक ‘हर घर जल’ प्राप्त करने वाले लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। हिमाचल प्रदेश राज्य ने सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय समिति के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अपने जल जीवन मिशन वार्षिक कार्य योजना की प्रस्तुत की।

हिमाचल प्रदेश में 17.04 लाख ग्रामीण परिवार हैं। इनमें से 13.02 लाख (76.41 प्रतिशत) के पास नल जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है। अगस्त, 2019 में जल जीवन मिशन (जेजेएम) की घोषणा के बाद से लेकर अब तक, राज्य में 5 लाख से ज्यादा नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। अब तक राज्य में 8,458 गांवों (46.78 प्रतिशत) को ‘हर घर जल’ गांव घोषित किया गया है। जिसका मतलब यह है कि इन गांवों के प्रत्येक घर में नल जल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है। हिमाचल प्रदेश की योजना 2021-22 में पूरे राज्य में 2.08 लाख नल जल कनेक्शन प्रदान करने की है।

योजना के आधार पर, राज्य से और ज्यादा जिलों को शतप्रतिशत संतृप्त बनाने का अनुरोध किया गया था। राज्य के तीन जिले यानी किन्नौर, ऊना और लाहौल एवं स्पीती ‘हर घर जल’ वाले जिले हैं। 100 दिवसीय अभियान के अंतर्गत सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को पहले ही कवर कर लिया गया है।

जल जीवन मिशन केंद्र सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। जिसे राज्यों की साझेदारी में लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल कनेक्शन द्वारा जल उपलब्ध किया जाना है। 2020-21 में, हिमाचल प्रदेश को ग्रामीण क्षेत्रों में नल जल की सुनिश्चित आपूर्ति प्रदान करने के लिए 326 करोड़ रुपये का केंद्रीय अनुदान आवंटित किया गया था। राज्य ने 548 करोड़ रुपये की केंद्रीय निधि प्राप्त की थी, जिसमें बेहतर प्रदर्शन के लिए 221 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन अनुदान भी शामिल है।

वर्ष 2021-22 में हिमाचल प्रदेश को जल जीवन मिशन के अंतर्गत, विभिन्न कार्यों की शुरूआत करने के लिए केंद्रीय अनुदान के रूप में लगभग 700 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है। जेजेएम के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के अभिसरण द्वारा सभी उपलब्ध संसाधनों को एक साथ जोड़ने के प्रयास किए जाते हैं। जिसमें मनरेगा, एसबीएम, पीआरआई को 15वें वित्त आयोग के अनुदान, कैम्पा फंड, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि आदि शामिल हैं।

समिति ने सुझाव दिया कि राज्य को जल आपूर्ति, जल पुनर्चक्रण, ग्रे वाटर मैनेजमेंट, स्प्रिंग शेड डेवलपमेंट सहित स्रोत सुदृढ़ीकरण आदि के लिए विभिन्न संसाधनों का अभिसरण करना चाहिए।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत, वर्ष 2021-22 में जेजेएम के लिए 50,011 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के अलावा, 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत 26,940 करोड़ रुपये की सुनिश्चित निधि भी उपलब्ध है जो आरएलबी/पीआरआई को जल एवं स्वच्छता, राज्य का हिस्सा और बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए दिया गया निश्चित अनुदान है। इस प्रकार 2021-22 में ग्रामीण घरों में नल जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए देश में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश करने की योजना है।

जेजेएम, ग्राम कार्य योजना (वीएपी) के विकास और हर गांव के लिए ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्लूएससी) के गठन पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे स्थानीय ग्रामीण समुदाय के लिए गांव में उनके लिए बनाए गए जल आपूर्ति अवसंरचना की योजना, कार्यान्वयन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। यह राज्य द्वारा अपनाए जाने वाले बॉटम-अप दृष्टिकोण को सुनिश्चित करता है। सामुदायिक जुड़ाव के माध्यम से गांवों/बस्तियों में सृजित संसाधनों की निगरानी, चौकसी और रखरखाव के लिए पंचायतों या वीडब्ल्यूएससी को सौंप दिया जाता है। गांवों का आकार छोटा होने के कारण हिमाचल प्रदेश में ग्राम पंचायत स्तर पर वीडब्ल्यूएससी का गठन किया जा रहा है। राज्य ने अब तक 3,213 वीडब्ल्यूएससी का गठन किया है और 2021-22 में शेष 402 बनाने की योजना बनाई है। अब तक 16,645 ग्राम कार्य योजनाएं तैयार की जा चुकी हैं।