नए भारत के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान देगा उप्र का बजट

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लखनऊ। उप्र के बजट पर चर्चा करते हुए भाजपा विधान परिषद सदस्य अरविन्द कुमार शर्मा ने सपा, बसपा व कांग्रेस पर जमकर प्रहार किए व बजट की खूबियाँ गिनाईं। एमएलसी ए.के. शर्मा ने कहा वित्तमंत्री ने यह बजट राज्य की जनता को समर्पित किया है जो कि स्वाभाविक भी है लेकिन मै इस बजट को उससे से भी आगे नए भारत के लिए समर्पित मानता हूँ, और जैसा मुख्यमंत्री जी ने कहा उप्र का यह बजट न्यू इंडिया, श्रेष्ठ भारत, आधुनिक भारत व भव्य भारत के लिए समर्पित है।

ए.के. शर्मा ने कहा मैं यह दृढ़ विश्वास के साथ कहता हूँ कि जब देश स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में प्रवेश करेगा तो यही बजट उप्र और पूरे देश को स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत की भव्य झांकी दिखाएगा। मैं प्रदेश सरकार, मुख्यमंत्री जी व वित्तमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ कि नए भारत के निर्माण में उनकी रहबरी में इस बजट के जरिए उप्र बहुत बड़ा योगदान देने जा रहा है।

अपने पढाई के समय को याद करते हुए ए.के. शर्मा ने कांग्रेस पर करारा प्रहार किया, कहा कि जब हम लोग पढ़ते थे तो उस समय इलाहाबाद से मेरे जिले मऊ 125 किमी जाने के लिए 12 घंटे लगते थे, गाँव में हम लोग लालटेन औए ढेबरी की रौशनी में पढाई करते थे। कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था। आजादी के बाद के महत्त्वपूर्ण 50 साल हमने गँवा दिए।

उन्होंने कहा उस समय देश व प्रदेश में कांग्रेस की सरकारें हुआ करती थीं, ये खुद भी सोए रहे और पूरे देश को सुलाए रखा। बिना नाम लिए सपा बसपा पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि 20-25 साल जनता ने इन्हें भी मौका दिया। एक शेर के माध्यम से तंज कसते हुए कहा कि ‘हम आये थे तेरी मौत पर फातिहा पढने, तेरी कब्र की ईंटे भी उखाड़ ले गए।‘
मुख्यमंत्री व वित्तमंत्री को बधाई देते हुए अरविन्द कुमार शर्मा ने कहा कि यह बजट एक तरफ जमीन पर है तो दूसरी तरफ आसमान पर। एक तरफ गरीब, किसान, महिला, मजदूर और बच्चों की बात हो रहीं है तो दूसरी ओर आधुनिक कामों की, उद्योग लगाने की, नए और आधुनिक उद्योग लगाने के लिए बजट में प्रावधान किए गए हैं।

उन्होंने कहा मऊ के स्पिनिंग मिल के जीर्णोद्धार सहित पूरे प्रदेश की स्पिनिंग मीलों के लिए बजट दिया गया है। तीर्थस्थलों व पर्यटन स्थलों के विकास के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। ब्यूरोक्रेसी की बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब ट्रान्सफर-पोस्टिंग उद्योग बन जाता है तो ब्यूरोक्रेसी की आत्मा मर जाती है, एक ब्यूरोक्रेट रह चुकने की कारण मैं यह बात जानता व समझता हूँ। हमें इससे ब्यूरोक्रेसी को निकालना होगा।