नैनीताल हिल स्टेशन: खूबसूरत पहाड़ों की सैर

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नैनीताल हिल स्टेशन को पहाड़ों की रानी कहा जाये तो शायद को अतिश्योक्ति न होगी। उत्तराखण्ड स्थित नैनीताल हिल स्टेशन क्षेत्र को कोना-कोना प्राकृतिक खूबसूरती से रचा-बसा है। चौतरफा झीलों की शांत सुन्दरता एवं पहाड़ों का आच्छादन प्राकृतिक सम्पदा का बखान करता है। नैनीताल हिल स्टेशन की आकर्षक झीलें, खूबसूरत पहाड़ियां एवं हरा-भरा परिवेश विश्व में खास तौर से प्रसिद्ध है। रंगबिरंगे फूलों वाले पेड़-पौधे नैनीताल की सुन्दरता में जैसे नगीना जड़ते हैं।सुबह नैनीताल की सड़कों, पहाडों व चौतरफा इन्द्रधनुषी रंगों का मखमली बिछौना सा बिछा दिखता है। मानों धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।

समुद्र तल से करीब 6358 फुट ऊंचाई पर स्थित नैनीताल हिल स्टेशन प्राकृतिक सौन्दर्य का एक विलक्षण आयाम है। वनस्पतियों की एक लम्बी श्रंखला हिल स्टेशन की आभा का आभूषण है। नैनीताल हिल स्टेशन कुछ पल में ही जीवन को प्रफुल्लता से भर देता है। पर्यटक कुछ ही पलों में आक्सीजन से खुद को भरपूर एवं ऊर्जावान महसूस करते हैं। खास यह कि नैनीताल हिल स्टेशन हिमालय की गोद का एक रोचक स्थल है। मखमली घास एवं हरे-भरे पेड़-पौधों से लदे पर्वत श्रंखला बेहद मनोहारी लगते हैं।

उत्तराखण्ड के कुमाऊं का यह इलाका बेहद सुखद प्रतीत होता है। पहाड़ों का अद्भुत दृश्य नैनीताल हिल स्टेशन में दिखता है। पर्वतीय चोटियों पर प्राचीन एवं पौराणिक मंदिरों की एक लम्बी श्रंखला है। नैनीताल हिल स्टेशन के मुख्य आकर्षण में नैनीताल झील, नैनी पीक, टिफिन टॉप, हिम व्यू, प्राणी उद्यान, गुर्नी हाउस, सत्तल, नैनादेवी मंदिर एवं घेराखल आदि हैं। नैनीताल हिल स्टेशन एरिया जिला मुख्यालय भी है।

किवदंती है कि इस इलाके में कभी साठ ताल होते थे। इस अंचल को अब छखाता कहा जाता है। हालांकि अभी भी नैनीताल हिल स्टेशन एरिया में तालों की संख्या काफी है। विशेषज्ञों की मानें तो नैनी का आशय आंखों से होता है जबकि ताल का आशय झील से होता है। आंखों एवं झील के समन्वय से इस इलाके का नाम नैनीताल पड़ा। नैनीताल को झीलों का शहर भी कहा जाता है।

नैनीझील: नैनीताल में नाशपाती के आकार-प्रकार की एक सुन्दर झील है। इसे नैनी झील कहा जाता है। यह झील चारों ओर पहाड़ियों से घिरी है। करीब दो मील दायरे में फैली यह झील सुन्दरता की अनगढ़ कहानी है। इसके चारों ओर पर्वत श्रंखला है। इनमें से एक शीर्ष पर्वत पर नैना पीक है। नैनीझील नैनीताल का मुख्य आकर्षण है। स्कंद पुराण में इसे ऋषि सरोवर भी कहा गया है। कहावत है कि जब अत्री, पुलस्त्य एवं पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं भी पानी नहीं मिला तो एक गड्ढ़ा बना कर मानसरोवर झील का पानी लाकर भरा था। कहावत है कि यह झील 64 शक्तिपीठों में से एक है। इस खूबसूरत झील में नौकायन का भी आनन्द लिया जा सकता है। पहाड़ों की सुन्दरता झील की सुन्दरता को आैर भी अधिक बढ़ा देती है। इस झील के एक किनारे को मल्लीताल कहते हैं जबकि दूसरे ताल को तल्लीताल कहते हैं।

नैना देवी का मंदिर: नैना देवी का मंदिर नैनीझील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। विशेषज्ञों की मानें तो 1880 में भूस्खलन में यह मंदिर नष्ट हो गया था। बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। नैना देवी मंदिर में सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। मंदिर में दो नेत्र प्रतिष्ठापित हैं। यह नेत्र नैना देवी की छवि को दर्शाते हैं। नैनीझील की मान्यता है कि शिव सती के मृत शरीर को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे तो जहां-जहां सती के अंग गिरे उन स्थानों पर शक्तिपीठ की स्थापना हुयी। नैनीझील के स्थान पर सती की आंख गिरी थी। लिहाजा इस स्थान को नैना देवी की मान्यता है।

नैनीताल का मॉल रोड: नैनीताल का मॉल रोड अति सुन्दर है। मॉल रोड नैनीझील के किनारे है। हालांकि अब इसे गोविन्द बल्लभ पंत मार्ग कहा जाता है। यह रोड पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहता है। मॉल रोड मुख्यत: मल्लीताल एवं तल्लीताल को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है। इसे ठंडी सड़क भी कहा जाता है।

एरियल रोपवे: एरियल रोपवे नैनीताल का मुख्य आकर्षण है। यह स्नो व्यू प्वाइंट एवं नैनीताल को आपस में जोड़ता है। रोपवे मल्लीताल से प्रारम्भ होता है। इसमें दो ट्राली होती हैं। रोपवे से नैनीताल हिल स्टेशन का विहंगम एवं खूबसूरत नजारा दिखता है। नैनीताल हिल स्टेशन की शोभा खास तौर से सात पर्वत चोटियां बढ़ाती हैं। पहाड़ों की इन चोटियों से नैनीताल हिल स्टेशन की सुन्दरता में चार चांद लग जाते हैं।

नैना पीक: नैना पीक नैनीझील के निकट एक पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 8579 फुट है। इसके शिखर पर नैना पीक है। यह एक अति मनोरम स्थल है। इसी के पश्चिम में देवपाठा पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 7999 फुट है। दक्षिण में अयारपाठा पहाड़ी है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 7474 फुट है। इन पहाड़ों की चोटियों से नैनीताल हिल स्टेशन का विहंगम दृश्य दिखता है। नैना पीक को चाइना पीक भी कहते हैं। नैनीताल से करीब पांच किलोमीटर दूर यह पर्वत चोटी पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहती हैं।

किलवरी चोटी: किलवरी चोटी नैनीताल हिल स्टेशन की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 2528 मीटर है। यह पिकनिक का एक अति सुन्दर स्थान है। यहां वन विभाग का विश्राम गृह भी है। प्रकृति प्रेमी यहां रात्रि प्रवास भी करते हैं।

लड़ियाकाँटा: लड़ियाकाँटा नैनीताल से करीब साढ़े पांच किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से यह 2481 मीटर ऊंचाई पर है। यहां से नैनीताल की ताल झांकी अति सुन्दर दिखायी देती है।

देवपाटा एवं केमल्सबॉग: देवपाटा एवं केमल्सबॉग पर्वत चोटियां साथ साथ हैं। समुद्र तल से इन दोनों की ऊंचाई 2435 मीटर एवं 2333 मीटर है।

डेरोटी पहाड़ी: डेरोटी पहाड़ी एक अंग्रेज महिला की स्मृति में है। नैनीताल से करीब चार किलोमीटर की दूरी पर है। समुद्र तल से यह करीब 2290 मीटर ऊंचाई पर है।

स्नोव्यू एवं हनी चोटी: स्नोव्यू एवं हनी पर्वत चोटी नैनीताल से करीब ढ़ाई किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से यह 2270 मीटर ऊंचाई पर है। इस चोटी से हिमालय का सुन्दर दृश्य दिखता है।

राष्ट्रीय अभ्यारण: राष्ट्रीय अभ्यारण रामगंगा की पातलीदून घाटी क्षेत्र में करीब 525.80 वर्ग किलोमीटर में फैला है। नेशनल कार्बेट पार्क में वन्य जीवों का स्वच्छंद विचरण देखा जा सकता है। अभ्यारण में शेर, हाथी, चीता, भालू, बाघ, सुअर, हिरण, चीतल, सांभर, पाण्डा, नीलगाय आदि विभिन्न प्रजातियों की जीव-जंतु बड़ी तादाद में पर्यटक देख सकते हैं।
नैनीताल हिल स्टेशन यात्रा के सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध है। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है। नैनीताल हिल स्टेशन से करीब 71 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। रेलवे स्टेशन से नैनीताल हिल स्टेशन की दूरी 35 किलोमीटर है। इसके अलावा सड़क मार्ग से भी नैनीताल हिल स्टेशन की यात्रा की जा सकती है।