सेबी ने टेक दिए घुटने दागी प्रमोटरों के आगे, 88 हजार करोड़ डूबत… सेबी की दहाड़ बिना दांत-नाखून चीते की तरह है। बाजार नियामक आदेश जारी करने में तो माहिर है लेकिन इसके आदेश रेल के पहियों जैसे सिद्ध होते हैं। ऐसा नियामक दागी कंपनियों और प्रमोटरों के कारनामों से आम निवेशकों को क्या सुरक्षित रख सकता है जो ऐसे दागियों से खुद को बचाने में असमर्थ है, इसमें एक परसेंट भी न झूठ है और न ही अतिशयोक्ति। सेबी ऐसी कंपनियों की तलाश करने में असफल है जिनमें इसका खरबों रुपया फंसा है, ये कंपनियां और इनके प्रमोटर सेबी की पहुंच से बाहर हैं। सेबी ने काफी ज़ोर आजमाइश करने के बाद घुटने दिए हैं और माना है कि अपने 88 हजार 127 करोड़ की धनराशि वसूल करने में असमर्थ है।
हमने सेबी के रिकार्डों को खंगाला और तब छनी और ठोस जानकारी आपसे साझा कर रहे हैं। किसी भी कंपनी को शेयर बाजार में कारोबार करने के लिए पहले रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़- आरओसी में और फिर सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया – सेबी में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है जिसमें कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस और कंपनी के प्रमोटर- डाइरेक्टर्स के पते ठिकाने की पूरी जानकारी होती है। लेकिन घपले का खुलासा होने के बाद ऐसी कंपनियां और इनके प्रमोटर – डाइरेक्टर गायब हो जाते हैं और ये दोनों ही संस्थाओं के अफसरान अपनी आंतरिक रिपोर्ट में इनके ‘अनट्रैसेबल’ यानी कंपनी -प्रमोटर दर्ज ठिकाने पर नहीं मिल रहे हैं, गायब शुमार कर लिए जाते हैं।
हमने यह जानकारी मिली कि इन दोनों संस्थाओं के अफसरों-कर्मचारियों की मिलीभगत में इन कारनामों को अंजाम दिया जाता है। ताज्जुब! सेबी के रिकार्डों में 2021-22 में 94 कंपनियां गायब दर्शाई गईं थीं, एक साल के दरम्यान अर्थात 2022-23 में 120 कंपनियां गुम हो गईं। 2021-22 में 238 कंपनियां निष्क्रिय (डिफंक्ट) हुईं तो 2022-23 में 341। जाहिर है कि गुम और निष्क्रियों से वसूली नहीं हो सकती। अलावा इसके विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों में सेबी की अरबों रुपए की वसूली अधर में है।
सेबी दोषी कंपनियों- प्रमोटरों पर जुर्माने ठोंक कर वाहवाही लूटती रही और जुर्माना की वसूली नहीं हो पाने से 88 हजार 127 करोड़ रुपए डूबने का दर्द सेबी और सरकार को भला क्यों हो? क्यों कि यह उनकी खुद की रकम नहीं है? तीन दशकों से भी ज्यादा अवधि से सक्रिय नियामक सेबी अभी तक जुर्माना वसूली का कारगर सिस्टम नहीं बना सकी जिसके कारण दागी प्रमोटर -कंपनियां निवेशकों की गाढ़ी कमाई का धन बटोरकर रफूचक्कर होती रही हैं और शायद आगे भी लाचार निवेशक ठगा जाता रहेगा।
प्रणतेश बाजपेयी