कृषि रसायन के वैश्विक बाजार में भारत की लंबी छलांग, पर चीन से पिट रहा

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कृषि रसायन के वैश्विक बाजार में भारत की लंबी छलांग, पर चीन से पिट रहा……. भारत ने कृषि रसायनों के वैश्विक बाजार में लंबी छलांग लगाई है। कड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में अमेरिका और फ्रांस जैसे धुरंधरों को पछाड़ कर दस सालों में दसवें पायदान से दूसरा स्थान हासिल करना मामूली उपलब्धि नहीं है। लेकिन पड़ोसी चीन से लगातार पिट भी रहा है। चीन के निर्यात के मुकाबले भारत का कृषि रसायन निर्यात पचास प्रतिशत से भी कम है, इसी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन की सुदृढ़ स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।

भारतीय रसायन निर्माता तो अरसे से फसलों को कीट-पतंगों, खरपतवार आदि से बचाने वाले रसायनों का उत्पादन और निर्यात करते आ रहे हैं। लेकिन पिछले आठ- दस वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। एलोपैथिक दवाओं की तरह कृषि रसायनों के कई पेटेंट्स की अवधि समाप्त हो जाने से उनका उत्पादन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दायरे से निकलकर जेनरिक दवाइयों की तरह सामान्य निर्माताओं के लिए सुलभ हो गया। शोध और टेक्नोलॉजी से भी सपोर्ट मिलने से भारतीय कृषि रसायन निर्माताओं ने मौके का भरपूर फायदा उठाया।

भारत कृषि रसायनों का निर्यातक है और आयातक भी, बदलाव यह हुआ है कि 2011-12 तक आयात की तुलना में निर्यात कम हो पाता था। 2012-13 के बाद आयात की तुलना में निर्यात अधिक होना शुरू हुआ। पिछले छः- सात सालों में आयात-निर्यात के बीच का फासला बहुत तेजी से बढ़ा। 2017-18 में आयात 8 हजार 467 करोड़, निर्यात 16 हजार 497 करोड़, 2018-19 में 9 हजार 267 करोड़ व 22 हजार 126 करोड़ रुपए, 2019-20 में 9 हजार 96करोड़ व 23हजार 757 करोड़ रुपए, 2020-21 में 12 हजार 418 करोड़ व 26 हजार 513करोड़, 2021-22 में 13 हजार 365 करोड़ व 36 हजार 521करोड़ और 2022-23 में 14 हजार 315 करोड़ के आयात के मुकाबले 43 हजार 223 करोड़ रुपए का निर्यात अर्थात आयात की तुलना में तीन गुना अधिक हुआ।

उपरोक्त छः वर्षों में भारत के कृषि रसायनों के समग्र आयात पर जहां कुल 66 हजार 928 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा खर्च हुई वहीं निर्माताओं ने निर्यात से 1 लाख 68 हजार 637 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित की। भारतीय कृषि रसायनों का सबसे ज्यादा निर्यात अमेरिका को किया जाता है, दूसरे नंबर पर ब्राज़ील और तीसरे पर जापान है। क्राॅप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में कृषि रसायनों के 6.24 लाख करोड़ रुपए के वैश्विक निर्यात में 88 हजार 800 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी चीन की है। इसके मुकाबले भारत 44 हजार करोड़ रुपए का निर्यात करते हुए दूसरे पायदान पर है। जबकि 43 हजार 200 करोड़ रुपए के निर्यात के साथ अमेरिका तीसरे स्थान पर, 32 हजार 80करोड़ रुपए के साथ फ्रांस चौथे नंबर पर आता है। पांचवें पायदान पर जर्मनी है जिसने 31 हजार 200 करोड़ रुपए का कृषि रसायन निर्यात किया।

प्रणतेश बाजपेयी