पांच हजार करोड़ से धारावी स्लम का कायाकल्प करेंगे अडाणी

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धारावी स्लम का कायाकल्प अडाणी करेंगे 5 हजार करोड़ से…. मुंबई नगरी के बीचोंबीच कोई छः सौ एकड़ में आबाद धारावी झुग्गी बस्ती की बहुप्रतीक्षित पुनर्विकास परियोजना अडाणी के हाथ में आ गई है। अडाणी महाराष्ट्र सरकार के साथ भागीदारी में धारावी को नया स्वरूप प्रदान करेंगे। अडाणी ग्रुप की कंपनी इस परियोजना में 400 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र सरकार 100 करोड़ रुपए की शेयर पूंजी लगाएगी।

अडाणी प्रापर्टीज़ और महाराष्ट्र सरकार की संयुक्त भागीदारी से विकसित की जाने वाली धारावी परियोजना को मूलरूप से 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी। पहली बार निविदाएं आमंत्रित की गथीं लेकिन किन्हीं कारणों से काम आगे नहीं बढ़ा। इस बार पिछले फिर निविदाएं आमंत्रित की गई थीं। जिसमें महाराष्ट्र सरकार ने आवेदक को न्यूनतम 1600 करोड़ रुपए का निवेश करने की शर्त रखी थी। निविदा में अडाणी प्रापर्टीज़ ने सबसे अधिक 5069 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव दिया था जिससे धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट उनकी झोली में आ गया।

धारावी की भौगोलिक स्थिति विकसित बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स के नजदीक है। ऐसा समझा जाता है इस परियोजना के पूरा होने पर समूचे एशिया की बृहत्तम झुग्गी बस्ती के तौर पर बदनाम धारावी का तो कायाकल्प हो ही जाएगा साथ ही मायानगरी और वित्तीय राजधानी कहे जाने वाले मुंबई का भी नया कलेवर सामने आएगा। जानकारों का तो यह भी कहना है कि इस परियोजना से मुंबई के आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

बताते चलें कि धारावी में 57 हजार से अधिक परिवार बसे हैं और यहां पर काफी संख्या में लघु-कुटीर उद्योग चलते हैं जिनका समग्र सालाना कारोबार कई हजार करोड़ रुपए का होता है। महाराष्ट्र सरकार ने अडाणी प्रापर्टीज़ को धारावी परियोजना के लिए प्रीमियम भुगतान, इंस्पेक्शन चार्जेस, राज्य जीएसटी दरों में छूट सहित कई रियायतें-सहूलियतें मुहैया कराने का निर्णय लिया है। परियोजना के तहत 27 हजार वर्गमीटर क्षेत्र पर निर्माण कार्य करने और उस पर 57 हजार से अधिक परिवारों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

अडाणी प्रापर्टीज़ इसके अलावा सरकार द्वारा धारावी के निर्धारित क्षेत्र पर कामर्शियल निर्माण कराकर उसकी बिक्री करेगी। कोई डेढ़ सौ साल पहले कोलीवाड़ा नामक गांव बाद में धारावी नाम से जाना गया। अंग्रेजी राज में मुंबई में 1875-85 के दौरान औद्योगिक विकास के समानांतर धारावी में श्रमिकों का बसाव होने लगा था। मायानगरी में स्थान अभाव के कारण बाद के सालों में धारावी झुग्गियों की घनी बस्ती में तब्दील हो गई।

प्रणतेश बाजपेयी