एमआरएफ ने रचा इतिहास, 10रु का शेयर एक लाख के पार….. आज एक ऐसी कंपनी से रूबरू कराना जरूरी है और गौरवपूर्ण भी। यूं तो अपने महान भारत के दक्षिणी छोर पर 1940 में रबड़ के गुब्बारे बनाने से शुरुआत करने वाला नन्हा सा उद्यम (आज जिन्हें माइक्रो एंटरप्राइज़ कहा जाता है) बयासी सालों का सफर तय करते-कराते दस फैक्ट्रियां खड़ी कर लीं, मल्टीनेशनल बनकर भारतीय उद्यमशीलता का परचम लहरा रहा है। टायरों का ज़िक्र आते ही नाम जुबां पर आ जाए उसी के बारे में आपसे साझा करते हैं जिसने भारत के कार्पोरेट जगत में एक अलग इतिहास रच दिया।
पहले के मद्रास (अब चेन्नई) में 1940 में रबड़ के गुब्बारे बनाने का काम डाला गया, 1952 में रबड़ उत्पादन शुरू हुआ, रबड़ के खिलौने, टायर भी बनने लगे, तब यह मद्रास रबड़ फैक्ट्री के नाम से जानी जाती थी। 1960 में आरओसी मद्रास में पंजीकृत हुई। नाम एमआर एफ लिमिटेड कर दिया गया। उसी दरम्यान अमेरिकी कंपनी मैन्सफील्फ टायर ऐंड रबड़ कं. के तकनीकी गठजोड़ से बेहतरीन क्वालिटी के टायर बनाने लगी।
एमआरएफ के टायरों ने घरेलू बाजार से लेकर समुंदर पार तक धूम मचा दी थी। एक-एक करके इसकी दस फैक्ट्रियां खड़ी हो गईं। कंडाथिल मैम्मेन 1981 से मुखिया बनकर साल दर साल कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाते रहे। उनकी अगुवाई में ग्रुप कंपनी फन्सकूल अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलौनों का बिज़नेस करती है। एमआरएफ ग्रुप स्पोर्ट्स कारोबार कर रेसिंग तक में सक्रिय है। क्रिकेट के गेंदबाज तैयार करने के लिए स्पेस फाउंडेशन भी स्थापित की गई, अपनी तरह का विशिष्ट -एम आर एफ इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइवर डेवलपमेंट का संचालन किया जा रहा है। जहां तक टायरों का संबंध है कंपनी दोपहिया से लेकर कार, ट्रैक्टर, बस और हवाई जहाजों में इस्तेमाल होने वाले टायरों तक का उत्पादन करती है। मैम्मेन ने टायरों का कारोबार कई देशों में फैला रखा है, निर्यात से 2021-22 में 1779 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली इस कंपनी के मुखिया कंडाथिल मैम्मेन को 1993 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
अठारह हजार कर्मचारियों को रोज़गार देने वाली एमआरएफ के दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के 13 जून के कारोबारी सत्र में 1 लाख 439रुपए 95 पैसे के रिकार्ड स्तर पर पहुंच कर भारतीय बाजार में इतिहास रच दिया, हालांकि आख़िरी समय 99992.85 रुपए पर बंद हुआ। आज तक भारतीय शेयर बाजार में किसी भी कंपनी के दस रुपए के अंकित मूल्य का शेयर यह ऊंचाई नहीं हासिल कर सका। इसके शेयर ने अपने निवेशकों को वर्ष 2005 से 13जून तक 34 गुना रिटर्न देने का भी रिकॉर्ड दर्ज किया।
सिर्फ 4 करोड़ 24लाख रुपए की शेयरपूंजी पर खड़ी एमआरएफ के 27.84 प्रतिशत शेयर प्रमोटरों के पास है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2022_23 में 22 हजार 578करोड़ रुपए की आय पर 816 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया।
प्रणतेश बाजपेयी