नोट राजा ‘दो हजारा’ तुम्हें अलविदा…. सात साल पहले की याद है जब आगाज होने वाला था तुम्हारा, समूचे भारतखंड में वो कैसी मारामारी रहती थी, बैंकों की ब्रांचों और एटीएम के बाहर लंबी कतारें और प्रतिबंधित किए जा चुके नोटों के बदले नकदी हासिल करने की ऐसी जद्दोजहद पहले कभी न देखी थी और न ही बुजुर्गो के मुंह से सुनी थी। साल 2016, सर्दी पड़ने लगी थी, सामान्य सी लग रही नवंबर 8 की वो रात, एकबारगी एक हजार_पांच के नोट बंद करने के सर्वोच्च निर्णय से मानो भूचाल आ गया, ज़मीन खिसक गई। याद नहीं कि ‘नोटबंदी’ की अफ़रा-तफ़री ने कितने दिनों तक करोड़ों का सुकून छीन लिया था।
बीते दिन दो हजारा नोटों को बंद करने की भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की घोषणा अप्रत्याशित नहीं थी। आरबीआई ने कुछ शर्तों के साथ दो हजारा नोटों को बैंक शाखाओं से बदलने की अंतिम तारीख 30 सितंबर तय कर दी है। कोई नोटधारक एक बार में अधिकतम दस नोट अर्थात बीस हजार रुपए खाते में जमा कर सकता है अथवा बदल सकता है। बाकी किसी भी तरह की खरीद-फरोख्त का भुगतान दो हजारा नोट से किया जा सकता है। आगे और महत्वपूर्ण जानकारियों से रूबरू होइए। दो हजारा नोटों की प्रिंटिंग 2018 के आखिरी दिनों में ही बंद कर दी गई थी। आर्थिक मामलात विभाग में तत्कालीन सचिव सुभाष चन्द्र गर्ग ने 2019 के प्रथम सप्ताह में बताया था कि सर्कुलेशन में इन नोटों की पर्याप्त मात्रा है और सिस्टम में कुल नोटों की कुल वैल्यू में 35 प्रतिशत हिस्सा दो हजारा नोटों का है। जो 2020, 31मार्च को 22.6 प्रतिशत और 2022, 31 मार्च को और कम होकर 13.8 प्रतिशत रह गया। 2020, 31 मार्च को सर्कुलेशन में इनकी संख्या 27.4 करोड़, 2021, 31 मार्च को 21.4 करोड़ (1.6 प्रतिशत) से और लुढ़क कर 2023, 31मार्च को सिर्फ़ 3.62 करोड़ बची है, यह समाचार लिखने तक और घट चुकी होगी, क्यों कि काफी पहले से आरबीआई सर्कुलेशन से लगातार इन्हें बाहर करता आ रहा है।
पिछले तकरीबन तीन सालों से दो हजारा को बंद करने के संकेत भी बराबर मिल रहे थे, आरबीआई के वक्तव्य भी ऐसे ही सिगनल दे रहे थे। बैंकों से धनराशि और एटीएम से रुपए निकालने पर दो हजारा आहिस्ता-आहिस्ता कम होते गए और फिर पूर तरह से इनकी निकासी ठप कर दी गई। वैसे सर्वे बताते रहे हैं कि लोगों में सबसे ज्यादा चाहत पांच सौ के नोटों की रहती है। दो हजारा को बंद करने के के आरबीआई के निर्णय पर प्रतिक्रिया में देश के सबसे बड़े इंजीनियरिंग ग्रुप की मुख्य अर्थशास्त्री का कहना है कि यह बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय है, दिक्कत इनका संचय करने वालों को होगी। रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं इस कदम से बैंकिंग सिस्टम में तरलता में सुधार होगा। एक सीनियर टैक्स एक्सपर्ट -सीए ने इससे अर्थव्यवस्था में कैशलस ट्रांज़ैक्शन बढ़ने की संभावना जताई। उनका मानना है कि काले धन का प्रचलन कम होगा।
महत्वपूर्ण 2016,8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा से पहले ही आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में लिए गए निर्णय को पूरी सख्ती के साथ गोपनीय रखा गया था। घोषणा से पहले नोट प्रिंटिंग के आर्डर दे दिए गए थे। 2017, 8 दिसंबर तक दो हजारा के 365′ 4 करोड़ नोट और पांच सौ रुपए के 1695.7 करोड़ नोट प्रिंट किए जा चुके थे और इनकी प्रिंटिंग पर क्रमशः 1293.6 करोड़ रुपए और 4968.86 करोड़ रुपए लागत आई थी। अब तक देश में किसी भी एक साल में नोटों की प्रिंटिंग पर 2016_17 में 7965 करोड़ रुपए का खर्च अपने आप में रिकॉर्ड है, 2015-16 में 3421 करोड़ रुपए और 2017-18 में 4912 करोड़ रुपए खर्च दर्ज किया गया था।
दो हजारा ! छः सालों से ज्यादा के सफर में जमीन- जायदाद से लेकर फाॅरेन ट्रिप, घोड़ा -गाड़ी और भी जो चाहा वो तुमने हासिल करा दिया, मजबूर तुम और हम भी मजबूर, तुम्हें न बनते देखा और न ही देखेंगे तुम्हारा जनाज़ा। बस इतना मालूम है कि तुम्हारा साथ पाने वालों के ही हाथों और मशीनों से तुम्हें बेरहमी से कटवा-पिटवाकर स्वाहा कर दिया जाएगा।…. अलविदा दो हजारा
प्रणतेश बाजपेयी