टाॅप साहूकार ने सरकार को थमाईं 11 हजार करोड़ की थैलियां

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टाॅप साहूकार ने सरकार को थमाईं 11 हजार करोड़ की थैलियां… सरकार का भी कोने_ कोने से धन दोहन करने में कोई जोड़ नहीं है। उसे बस मुद्रा चाहिए, ग्लोबली सबसे बड़े मुल्क की अर्थव्यवस्था को चलाना भी हंसी खेल नहीं है। दशकों पहले पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग की स्थापना आज रंग ला रही है। तमाम अंडरटेकिंग्स बीमार हो गए और कई तो पंचपरमेश्वर को प्यारे भी हो गए। और कई एक सरकारी जर्सी गाय का रोल बखूबी निभा रहे हैं, सरकार की मर्जी- जब चाहे जितना चाहे दूध दुहने के लिए किसी अनुमति -लाइसेंस की अनिवार्यता थोड़े ही न है। एक ऐसे ही आज्ञाकारी साहूकार अंडरटेकिंग का बखान कर रहे हैं जिसने गाढ़े दिनों में भी सरकारी झोली को वजनी बनाए रखा। इसने अपने खाताधारकों जमाधारकों की ब्याज दरों में कटौती दर कटौती, और कर्जदारों से ज्यादा फिर और ज्यादा सूद लेकर तीन सालों में सरकार के हाथों में 11321 करोड़ रुपए सौंपे, यह है इसकी दिलेरी।

आइए, सबसे बड़े देश के सबसे बड़े साहूकार भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से मिलाते हैं, वैसे सात समंदर पार तक इनकी भरपूर शोहरत है, कई -कई मुल्कों में अपनी कंपनियों -शाखाओं के जरिए इनकी साहूकारी चलती है। इस तारीफ का हकदार केवल भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई ही हो सकता है। एसबीआई के कंपनी सचिव ने बीते दिन 18 मई को स्टाॅक एक्सचेंजों को परफार्मेंस रिपोर्ट भेजी। रिपोर्ट में 2022_23 में स्टैंड एलोन आधार पर कुल आय 16.45 प्रतिशत वृद्धि के साथ 3.68 लाख करोड़ रुपए दर्शाई गई (21_22में 3.16 लाख करोड़ रु), कर्मचारियों के वेतन भत्ते पर 57,291 करोड़ रुपए (50143 करोड़) खर्च निकालने के बाद 50,232 करोड़ रुपए (31,675 करोड़) का शुद्ध लाभ बताया गया।

रिपोर्ट के अनुसार सकल एनपीए एक साल के अंतराल में 1.12 लाख करोड़ से घटकर 2022_23 में 90,927 करोड़ रुपए पर आ गया, सराहनीय है। बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए फटाफट लाभांश की भी घोषणा कर दी, जानते हैं कितना भुगतान देंगे ? पूरे 1130 परसेंट, यह समझने की बात है कि लाभांश दर का डिसाइडिंग फैक्टर कौन है? पिछले वर्ष 2021_22 में 710 परसेंट और 2020_21 में 400 परसेंट दिया गया था। इस तरह बतौर लाभांश सरकार को 2022_23 में तकरीबन 5600 करोड़ रुपए, 2021_22 में 3600 करोड़ रुपए और 20_21 में 2032 करोड़ रुपए मिलाकर तीन सालों में ग्यारह हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई सौंपी एसबीआई ने।

रिकार्ड के अनुसार बैंक के दो लाख रुपए वाले यानी रिटेल-छोटे शेयरधारकों की संख्या 29.29 लाख है, इन तीन सालों में छोटे शेयरधारकों के हाथ में कुल मिलाकर 6.50 करोड़ रुपए लाभांश के आए। एसबीआई अपने कद के अनुसार उल्टा सीधा, नियमों का उल्लंघन भी उसी स्तर का करता है। एनपीए संबंधित नियमों का उलंघन करने पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2019 में 7 करोड़ रुपए और 2021, मार्च में बैंकिंग रेगुलेशन ऐक्ट 1949 का उलंघन करने पर 2 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई थी।

आंकड़े बताते हैं कि एसबीआई ने 2011_12 से लेकर 2020_21तक के दस सालों में कुल मिलाकर 99 हजार 453 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित किया, बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन इन्हीं दस सालों में लाभ से तीन गुना ज्यादा यानी 3 लाख 9 हजार 506 करोड़ रुपए की धनराशियों को बट्टेखाते में डाल दी गई, यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है, बता दें कि इतनी भारी डूबी रकमें धोखाधड़ी के जरिए बह गईं ।फिर भी जांच न पड़ताल, जवाबदेही किसी पर फिक्स नहीं की गई, शीर्ष प्रबंधन पहले भी ऊंची सैलरी उठाते रहे और आज भी उनका ढर्रा वैसा ही कायम है, भारतीय करदाताओं के धन की सायफनिंग नहीं रोकी जा रही है।

कहने को सबसे ज्यादा शाखाओं का रिकॉर्ड एसबीआई के नाम है लेकिन सबसे लचर व्यवस्था वाले इस बैंक की एक बानगी ही काफ़ी है। सबसे ज्यादा संख्या में इसके एटीएम हैं बहुसंख्य एटीएम या तो खराब रहते हैं या उनमें नकदी ही नहीं होती है। रिजर्व बैंक के अनुसार 2023, 30 अप्रैल को माइक्रो मिलाकर कुल 1 लाख 17 हजार 228 एटीएम एसबीआई के थे और साल भर में इनसे कुल 97 हजार करोड़ रुपए निकाले गए, इसकी तुलना में एचडीएफसी बैंक के एटीएम की संख्या मात्र बीस प्रतिशत यानी 24285 है और इनसे 25855 करोड़ रुपए की निकासी हुई।

प्रणतेश बाजपेयी