एलआईसी के आईपीओ की मातम बरसी, निवेशकों के डूबे अरबों

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एलआईसी केआईपीओ की मातम बरसी, खा गए गच्चा 34 लाख निवेशक, डूबे अरबों… करोड़ों जीवनों को सुरक्षा कवच पहनाने वाले ने ही आईपीओ की माला पहनाकर 34 लाख से ज्यादा निवेशकों की गाढ़ी कमाई के 40 अरब रुपए डुबो दिए, यह भारी भरकम रकम डूबने की आज 17 मई को बरसी है। खास बात यह है कि यह भयानक अर्थ-दुष्चक्रव्यूह दीवान हाउसिंग, इंडिया बुल्स और यस बैंक और फिनटेक पेटीएम सरीखी निजी क्षेत्र की किसी कंपनी अथवा उद्योगपति के हड़पू दिमाग की उपज नहीं।

सरकारी क्षेत्र के साफ-सुथरी छवि वाले सरकारी संस्थान द्वारा भारी-भरकम फीस देकर नामी-गिरामी एजेंसियों की मदद से वैधानिक-अधिकृत रूप-स्वरूप देकर रचा गया एक बड़ा आर्थिक -दुष्चक्रव्यूह कहना उपयुक्त इसलिए है कि इसमें फंसे 34 लाख निवेशकों को नुक़सान की भंवर से उबरने का रास्ता ही नहीं है। एल आई सी का आईपीओ ठीक साल भर पहले 4_9 मई के बीच आया था और 17 मई 2022 को इसके शेयर बीएसई और एन एस ई में लिस्ट हुए थे।यह सरकारी निगम था, इसके अंदरूनी बही-खातों में होने वाली लीपा-पोती कभी भी उजागर नहीं हो पाई, पारदर्शिता जमींदोज थी।

निगम की प्रेस विज्ञप्तियां ही मीडिया में हू बहू छपकर खबर बनाकर परोसने का रिवाज बन गया था, इसने पूरे जनमानस में इसकी साफ सुथरी इमेज बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। मात्र 100 करोड़ रुपए की सरकारी पूंजी पर हर साल करोड़ों -अरबों रुपए की बोनस बटोरने की आदी सरकार को यह सोने के बड़े अंडे देने वाली मुर्गी नजरों में चढ़ चुकी थी, बेकाबू बजट घाटों से घिरी सरकार कमाई के आसान स्त्रोतों का दोहन करने की अभ्यस्त हो गई। 20 17 से ही ‘योगक्षेमं वहाम्यहम्’ सोने के बड़े अंडे देने वाली मुर्गी को हलाल किए बिना खजाने का पेट भरने का ताना-बाना बुना जाने लगा।

राजनीतिक नेतृत्व की मंशा इसके विनिवेश से एक लाख करोड़ रुपए जुटाने की थी। ब्यूरोक्रेसी भी जुट गई। राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय के ख्याति लब्ध चार लाॅ फर्मों क्राफोर्ड बेलि, लिंक लीगल, शार्दूल अमरचंद मंगलदास और सायरिल अमरचंद मंगलदास में से सायरिल अमरचंद मंगलदास को लीगल एडवाइजर चुना गया। वैल्युअर्स- इन्वेस्टमेंट -मर्चैंट बैंकर्स को आधिकारिक आमंत्रण दिया गया, आश्चर्यजनक सच- प्रतिक्रिया में कहीं से किसी ने रुचि नहीं ली, आमंत्रण निष्फल गया। दोबारा प्रयास किया गया, संपर्कों के घोड़े खोल दिए गए, मीटिंग्स के दौर चले, इन्वेस्टमेंट -मर्चैंट बैंकर्स की भारी भरकम फीस पर मान-मनौव्वल, भविष्य में बिज़नेस का लोभ-लालच भी परोसा गया। कोशिश करके 1.29 लाख डॉलर के हिसाब से प्रत्येक को फीस पर दस मर्चैंट बैंकर्स जेपी माॅरगन, सिटीग्रुप ग्लोबल, कोटक महिंद्रा कैपिटल, गोल्डमन साक्स, ऐक्सिस कैपिटल, नामुरा, एसबीआई कैपिटल, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, जे एम फाइनेंशियल और बोफा सिक्योरिटीज को राजी किया गया, हालांकि बाद में इसमें भी काट-छांट की गई। 902-949 रुपए के प्राइसबैंड पर 22 करोड़, 13 लाख 74 हजार 920 शेयर बेंचने को आईपीओ लांच किया गया। विज्ञापन -प्रचार के भरपूर इस्तेमाल से साफ-सुथरी इमेज पर और मुलम्मा चढ़ा दिया गया-फुटकर निवेशकों को प्रति शेयर ४५ 45 रुपए का और पालिसी धारकों को और अधिक डिस्काउंट देने का प्रचार किया जा चुका था।नतीजा जो होना था वही हुआ, 21008. 48 करोड़ रुपए का आईपीओ 2.95 यानी तीन गुना सब्सक्राइब हुआ।। निवेशक आईपीओ की लिस्टिंग ऊंचे भाव पर खुलने और इससे अच्छी कमाई होने की धारणा में थे,पांसा उल्टा पड़ा। तारीख आज की ही थी 17 मई, 2022, लिस्टिंग हुई बीएसई और एनएसई पर। पहले दिन उच्चतम भाव एनएसई पर 918.95 रु, कमोबेश इतना ही बीएसई पर दर्ज हुआ। पूरा एक साल गुजर चुका है और इसबीच शेयर भाव गोते पर गोते लगाते इस साल 29 मार्च को 530.05 रुपए की तलहटी पर न्यूनतम का रिकार्ड दर्ज करा गए।

जरा पढ़िए तो सही एल आई सी के आईपीओ से जलेभुने निवेशकों की प्रतिक्रिया भास्कर राज कहते हैं ‘निवेशकों का पैसा डुबाने के मामले में एशिया में नं.१ बनी एलआईसी, यह सरकार का निवेशकों को उपहार है’। पांडुगीत की प्रतिक्रिया _’एनडाॅमेंट आधारित बीमा पालिसी लेने वालों और सरकार की बदौलत यह मोटी हो गई’। एक ने कहा नींबू का अचार है। एक ने कहा जिन्होंने लांग टर्म निवेश मानकर इसमें पैसा लगाया उनके लिए एलआईसी शेयर जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी, रखे ही रहेंगे शेयर (क्यों कि 949 का भाव सपने में ही मिल सकता है)। भाव ऊंचे पहुंचने से रहे। चहुं ओर लुभावने विज्ञापनों-प्रचार से निर्मित धारणा में बंधे निवेशकों को एलआईसी के लिपेपुते आदमकद के पीछे की असलियत पता ही नहीं चली। जानना जरूरी है कि चर्चित दीवान हाउसिंग फाइनेंस (डीएचएफएल) घोटाला में अपनी डूबी रकम के लिए 6500 करोड़ रुपए का प्रावधान करना पड़ा। (अडाणी समूह के शेयरों में 30120 करोड़ और 6182 करोड़ रुपए ऋणप्रतिभूतियों में लगाया, अभी यह मामला निपटा नहीं है, सुप्रीम कोर्ट के कहने पर भी जांचकर्ता सेबी की टालमटोल सभी की जानकारी में है)। एलआईसी की बैड एसेट्स की स्थिति यह है कि इस मद के लिए 25 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया जा चुका है। 2023, 31मार्च तक की स्थिति यह थी पालिसी धारकों को भविष्य में चुकाने के लिए एलआईसी पर 28लाख करोड़ रुपए की देनदारियों का भारीभरकम बोझ है। ये सारे तथ्य आईपीओ लाने के पहले डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट ऐंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सर्वेसर्वा तुहिनकांत, वित्त मंत्रालय के सभी शीर्ष अफसरों और विभागीय मंत्री से लेकर वित्तमंत्री तक को पूरी जानकारी थी, फिर क्यों यह दुश्चक्रव्यूह नेस्तनाबूद करने बजाय रचने दिया गया। सबके होठ सिले हुए हैं। बहुत हाथ-पैर मारने के बाद यह पता चला कि किस भी तरह से आईपीओ के जरिए ज्यादा से ज्यादा धनराशि बाजार से बटोरने को शीर्षस्तर का जबर्दस्त दबाव था, जिसका विरोध करने का जोखिम कोई भी नहीं उठाना चाहता था। एलआईसी के सिर्फ 4.5 प्रतिशत शेयर आईपीओ के जरिए बेंचे गए हैं 95.5प्रतिशत शेयर अभी सरकार (राष्ट्रपति के नाम) हैं। निवेशकों को हुए नुकसान की भरपाई अभी भी की जा सकती है बशर्ते कि शीर्ष नेतृत्व ऐसा करना चाहे कि एल आई सी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के माध्यम से 1:1बोनस शेयर देने की घोषणा शीघ्रातिशीघ्र करी जाए।

प्रणतेश बाजपेयी