साइबर क्राइम का फर्राटा, नकेल कसने की तैयारी

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साइबर क्राइम का फर्राटा, नकेल कसने की तैयारी….. सब जगह साइबर अटैक और अपराधों में बेकाबू बढ़ोतरी से सरकारी, गैर सरकारी उद्यमों से लेकर अस्पतालों, बैंकों और व्यक्तियों तक में असुरक्षा का डर बैठ गया है। यूं तो साइबर अटैक और अपराधों का सही लेखा-जोखा उपलब्ध नहीं है फिर भी दर्ज किए मामलों से तस्वीर काफी स्पष्ट होती है। पहले साइबर अपराध को लेते हैं। दिसंबर 2022, लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि देश में पिछले तीन सालों 2020, 2021और 2022 में कुल सोलह लाख साइबर अपराध दर्ज किए गए।

इन तीन वर्षों में बत्तीस हजार एफ आई आर दर्ज हुईं। साइबर अपराध की अधिकता वाले राज्यों में कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु का नाम है। लेकिन शहरों के मामले में साइबर सिटी बंगलुरु टाॅप पर है। इससे पीछे हैदराबाद आता है। साल 2021 में बंगलुरु में 6423और हैदराबाद में 3303 साइबर अपराध दर्ज किए गए। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एन सी आर बी) से ली गई जानकारी से पता चलता है कि 2019में कर्नाटक में 12020, तेलंगाना में 2691, आंध्रप्रदेश में 1886, तमिलनाडु में 385, केरल में 307, 2020 में कर्नाटक में 10741, तेलंगाना में 5024, आंध्र में प्रदेश में 1899, तमिलनाडु में 782, केरल में 426, साल 2021 में कर्नाटक में 8136, तेलंगाना में 1030,आंध्र में 1875 और केरल में 626 साबर अपराध दर्ज किए गए।

महिलाओं के साथ होने वाले साइबर अपराधों का बढ़ना और भी चिंताजनक है, उदाहरण के तौर पर कर्नाटक में 2019में 2698, 2020 में 2859 और वर्ष 2021 में 2243 साइबर अपराध हुए। इनमें धमकी, ब्लैकमेलिंग, पोर्नोग्राफी, उत्पीड़न और आनलाइन गेमिंग के जरिए अपराध किए जा रहे हैं। साइबर अपराधी बच्चों को भी नहीं बख्श रहे हैं, कर्नाटक और केरल में सबसे अधिक बच्चे साइबर अपराधियों का शिकार बनते हैं। इंडिया कंप्यूटर इमर्जेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटीआई) के आंकड़ों के अनुसार साइबर अटैक की संख्या 2018 में सिर्फ 2.08 लाख थी जो बढ़कर 2019 में 3.94 लाख, 2020 में 11.58 लाख, 2021 में 14.02 लाख और 2022 में 13.91लाख के स्तर पर पहुंच गई। यह तो वह संख्या है जो सीईआरटीआई में दर्ज़ हुई।

साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि तमाम मामले तो इसमें रिफर ही नहीं किए जाते हैं। नवंबर 2022 में एम्स नई दिल्ली पर हैकर्स के कारनामे ने हालत खराब कर दी थी। उसके पहले भी इलेक्ट्रिक ग्रिड, लद्दाख पाॅवरग्रिड ऑयल इंडिया और यूआईडीएआई सहित कई सरकारी उपक्रम और निजी क्षेत्र की कंपनियां साइबर अटैक के शिकार बन चुके हैं। फ़र्क यह है कि निजी क्षेत्र ने इनसे निपटने की सुरक्षा व्यवस्था अपेक्षाकृत अधिक मजबूत कर रखी है। पर सरकारी संस्थानों में पुख्ता योजना का न होना, अपर्याप्त धन की वजह से अमूमन सशक्त फायरवाल का अभाव रहता है जोकि सबसे प्रमुख कारण है।

इधर सरकार साइबर खतरों से काफी सतर्क हो गई है और त्वरित कदम भी उठाए गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण और ताजा जानकारी यह है कि न्यू डिजिटल इंडिया ऐक्ट बनाने पर काम तेजी से चल रहा है, इसके लिए विचार-विमर्श शुरू होने ही वाला है। प्रस्तावित ऐक्ट केतहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लेकर साइबर अपराध , इंटरनेट प्लेटफार्मों के बीच कंपटीशन और डेटा प्रोटेक्शन तक को दायरे में रखा जाएगा। दरअसल यह वर्ष 2000में बनाए गए प्रथम सूचना प्रौद्योगिकी ऐक्ट(आईटी) की कमियों खामियों को दूर करेगा।

हाल ही में, तीन ग्री्वांस अपीलेट कमेटियां गठित की गई हैं जो सोशल मीडिया यूज़र्स की कंटेंट संबंधित शिकायतों का निस्तारण करेंगी। अपीलेट कमेटी का पोर्टल 1 मार्च को लांच किया गया। नेशनल सिक्योरिटी कौंसिल सेक्रेटरिएट (एनएससीएस) ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति का मसौदा भी तैयार कर लिया है। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) स्थापित किया है। राज्यों में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जा रही है।

उत्तर प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराधों की रोकथाम पर फोकस करने की योजना का हाल में खुलासा किया गया। जहां तक उत्तर प्रदेश में का मामला है 2019,2020और 2021में तीन लाख साइबर अपराध हुए । प्रदेश में साइबर अपराध के सबसे अनुभवी पुलिस अधिकारी त्रिवेणी सिंह (आईपीएस) का कहना है कि युवकों को जाब और बैंक से लोन दिलाने के नाम पर और बड़ों को उनके बिलों का पेमेंट कराने के बहाने साइबर ठगी की जाती है, इसके अलावा यौन जाल में फंसाकर ठगी के केस भी होते हैं। जून 2022 में साइबर अपराधियों ने झूठी एफ आई आर लिखाकर नया सिम ले लिया और लखनऊ के अलीगंज निवासी के बैंक खाते से 16लाख रुपए निकाल लिए। प्रदेश में करीब सत्रह हजार साइबर केस अदालतों में चल रहे हैं। मौजूदा में देश में सिर्फ 262 साइबरक्राइम पुलिस स्टेशन हैं, इनमें से महाराष्ट्र व तमिलनाडु में 46-46, गुजरात में 24, पश्चिम बंगाल में 31, केरल में 19, उत्तर प्रदेश में 18 और दिल्ली तथा उड़ीसा में 15-15 हैं। कई राज्यों में तो एक भी नहीं है।

प्रणतेश बाजपेयी