144 साल की विशेषता ने बढ़ाई सनातनी आस्था

144 साल की विशेषता ने बढ़ाई सनातनी आस्था लोगों ने इसे अपने जीवन का पहला और आखिरी महाकुंभ माना और बढ़ गई आमद इस खबर को सरकार ने प्रचारित भी खूब किया और यह लोगों के दिमाग में बैठ गया हालांकि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ऐसे किसी भी विशेष संयोग को मान्यता नहीं दी 144 साल की गणना कब से शुरू हुई इसका भी कोई प्रमाणिक उल्लेख नहीं मिलता इस विशेषता के साथ अच्छी व्यवस्थाओं ने सारे अनुमान ध्वस्त कर रेकार्ड बना दिया

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लखनऊ। प्रयागराज महाकुंभ को लेकर समाजवादी पार्टी की स्थिति ‘तू कौन, तो मैं खामखां’ वाली हो गई है। यहां आने वाले सनातनियों को न तो संगम के पानी से दिक्कत है और न ही पानी के खराब होने की बात यूपी की सरकार स्वीकार ही कर रही है। ऐसे में तो सपाई बेवजह परेशान हैं। जब भी महाकुंभ के आयोजन को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार पर सवाल उठते हैं तो चोट सनातनी आस्था को लगती है। क्योंकि उसने तो न संगम के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है और न ही व्यवस्थाओं पर। उसे तो उमड़ती भीड़ से भी परहेज नहीं है। अगर जनता को परेशानी होती तो कथित अवस्थाओं के बीच महाकुंभ में जन सैलाब नहीं उमड़ता। लोगों को इस बात की कोई फिक्र नहीं कि संगम में पानी का रंग कैसा है। उसे तो सिर्फ संगम के पानी में पुण्य की डुबकी लगानी है। ऐसे में महाकुंभ में सरकारी इंतजाम की आलोचना फिजूल है। पर इतनी सी बात अखिलेश यादव और बाकी सपाइयों को समझ में नहीं आ रही है। उधर सारी आलोचनाओं को दरकिनार कर सनातनी आस्था 144 साल के बाद वाले इस महाकुंभ में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए बेताब दिखाई दे रही है।

इस 144 साल के विशेष संयोग वाले नैरेटिव में कितनी सच्चाई है, यह तो ईश्वर जाने किंतु प्रयागराज महाकुंभ के बहाने भाजपा और योगी सरकार देश के सनातनियों को जगाने में सफल जरूर हो गए। यहां आ रहा सनातनियों का रेला इस बात प्रमाण है। विपक्ष चाहे कितना भी महाकुंभ के आयोजन की आलोचना करे किंतु मीडिया रिपोर्ट में दिखने वाले सनातनियों का बयान यही बताता है कि वे महाकुंभ की व्यवस्थाओं से बहुत खुश हैं। एक अनुमान के अनुसार 15 फरवरी तक महाकुंभ में स्नान करने वालों का आंकड़ा 50 करोड़ के पार हो गया था। महाकुंभ की पूर्णता तक यह आंकड़ा 65 करोड़ पार हो जाने की संभावना है। इसके अलावा महाकुंभ आने-जाने वाले प्रयागराज के आसपास के जिलों के रास्तों पर लगने वाला जाम भी इस बात का संकेत है कि हर सनातनी महाकुंभ में आना चाहता है। यहां अब तक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा, पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी समेत कई बड़े भाजपा नेताओं और उद्योगपतियों अडानी और अंबानी के साथ भूटान नरेश भी यहां आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।

उधर संगम के पानी की गुणवत्ता पर केंद्रीय और राज्य प्रदूषण बोर्डो की अलग-अलग रिपोर्टों पर भी राजनीतिक बयान बाजी भी जारी है। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड जहां संगम के जल को शुद्ध नहीं मान रहा है, वहीं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे नहाने और आचमन लायक बता रहा है। इसे लेकर दोनों ही पक्षों में सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। इस रिपोर्ट के बहाने विपक्ष विशेषकर सपा योगी आदित्यनाथ पर हमलावर हैं।‌ इस पर सवाल उठाने पर सत्ता पक्ष अखिलेश यादव को यह कह कर घेर रहा है कि यदि संगम का पानी नहाने लायक नहीं था तो आप क्यों डुबकी लगाने चले गए। पानी के दो रिपोर्ट में भिन्नता के बावजूद लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं आई है। और यहां श्रद्धालुओं का आना जारी है। इसके अलावा अखिलेश यादव के शासन काल में 2013 में लगा महाकुंभ मेला मात्र 2000 एकड़ क्षेत्र में फैला था। जबकि इस बार का योगी शासनकाल का महाकुंभ 10000 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, यानी जगह पर्याप्त है। यहां आने श्रद्धालुओं की संख्या की बात करें तो 2013 में

अखिलेश यादव के समय में लगे महाकुंभ में लगभग 12 करोड़ श्रद्धालु आए थे। जबकि योगी के समय में 2019 में लगे अर्धकुंभ में 19 करोड़ लोग शामिल हुए थे। और फिर योगी के ही समय में 2025 में लगे इस महाकुंभ में 65 करोड़ से अधिक लोगों के स्नान का अनुमान है। प्रयागराज का यह महाकुंभ 144 साल बाद विशेष संयोग वाला है। बस इसी एक तथ्य ने सारे अनुमान ध्वस्त करते हुए स्नान के रिकॉर्ड बना डाले। अनुमान है कि शिवरात्रि के स्नान तक यह आंकड़ा 65 करोड़ तो पार कर ही जाएगा। इस बार लोगों की ऐसी आंधी चली कि ट्रेनें फुल हो गयीं, सड़कें जाम हो गईं, और हवाई किराया तो आसमान से नीचे उतरा ही नहीं। इसके अलावा यह भी सच है कि यहां पैसे की खूब बारिश हुई और यूपी की इकोनॉमी में जबरदस्त उछाल देखने को मिला।

144 साल वाले विशेष संयोग के नैरेटिव के खिलाफ कुछ संतों ने अपनी आवाज भी उठाई है। पर सनातनी आस्था के बीच विरोध का वह स्वर कहीं दब गया है।‌ इस बाबत शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने तो 144 साल वाले किसी भी विशेष संयोग या विशेष महाकुंभ की बात को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका मानना है कि सारे महाकुंभ एक जैसे ही होते हैं। उनकी सुर में सुर मिलाया है अयोध्या के आचार्य मिथिलेश नंदनी शरण ने। इसी बात को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी आगे बढ़ाया है। अखिलेश यादव का तो आरोप है कि इसी नैरेटिव के चलते मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में और उसके बाद नयी दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की घटना हुई। क्योंकि कुंभ में इंतजाम पर्याप्त नहीं थे और दिल्ली में लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया था। हालांकि योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य लगातार अपने अंदाज में अखिलेश यादव पर जवाबी हमला भी करते रहे। जब योगी ने पिछले दिनों 50 करोड़ लोगों के स्नान की बात कही थी तब सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा था कि असली आंकड़ा तो 60 करोड़ का है पर सरकार सही आंकड़ा छिपा रही है। खैर, तमाम रिकार्ड बनाते हुए अब ये महाकुंभ पूर्णता की ओर अग्रसर है। हालत यह है कि प्रशासन यहां पर व्यवस्था संभालते-संभालते थक सा गया है लेकिन सनातनी आस्था रुकने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में जैसे-जैसे 26 फरवरी यानी महाकुंभ की पूर्णता की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे लोगों का रेला भी बढ़ता जा रहा है।
प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन की तैयारियों की शुरुआत में योगी सरकार द्वारा यह बात विशेष रूप से प्रचारित की गई कि ये महाकुंभ 144 साल बाद नक्षत्रों के विशेष संयोग वाला है, इसमें स्नान का विशेष पुण्य लाभ मिलेगा। इसी के चलते इस महाकुंभ में स्नान कर विशेष पुण्य लाभ लेने की होड़ मच गई। लोगों को लगा कि उनके जीवन में फिर यह विशेष संयोग नहीं आएगा। ऐसे में हर सनातनी महाकुंभ की ओर दौड़ चला। जानकारों का कहना है कि 144 साल वाले संयोग का आधार क्या है और इसकी गणना कब से हो रही है, इसका कोई प्रमाणिक उल्लेख या आधार नहीं है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का इस मामले में कहना है कि 144 साल के विशेष संयोग की अफवाह फैलाई गई है, ऐसा कुछ भी विशेष नहीं है। सभी महाकुंभ का एक जैसा ही महत्व है। लोगों को ऐसी बातों से बचना चाहिए। वे कहते हैं कि यह बात किसने फैलाई, वह अगर मिले तो मैं उससे बात करूं। इसके अलावा अयोध्या के आचार्य मिथिलेश नंदनी शरण ने भी कहा है कि महाकुंभ के 144 साल बाद के विशेष संयोग वाली कथा सही नहीं है। इस बारे में सिर्फ भ्रम फैलाया गया है। उन्होंने कहा कि जिस चीज का कोई इतिहास या परंपरा नहीं है, उसे हम धार्मिक कैसे मान सकते हैं, क्योंकि धर्म तो परंपराओं पर ही चलता है। अगर यह संयोग 144 साल पहले भी आया होता तो बात समझ में आती। किंतु इस बात का कोई इतिहास नहीं है। और जिस चीज को हमारे पूर्वजों ने नहीं किया, उसे हम धार्मिक परंपरा कैसे मान सकते हैं। हमारी परंपरा यह कहती है कि जो हमारे पूर्वजों ने किया वही हमें भी करना है, और वही बात हम अपनी आने वाली पीढ़ी को बता कर जाएंगे। इसलिए मेरी समझ में इसका कोई मतलब नहीं है।

महाकुंभ की अवधि बढ़ाना चाहते हैं अखिलेश यादव : समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि अभी भी कई बुजुर्ग महाकुंभ का स्नान नहीं कर पाए हैं। इसलिए महाकुंभ मेले को कुछ दिन और बढ़ा दिया जाना चाहिए। सपा सुप्रीमो के अनुसार सम्राट हर्षवर्धन के समय भी ज्यादा दिनों का कुंभ होता था, कई बार तो 75 दिन का भी महाकुंभ हुआ। इसलिए हमें सरकार से यही कहना है कि जो लोग स्नान नहीं कर पाए हैं उनके लिए महाकुंभ का समय बढ़ा देना चाहिए। पर योगी सरकार की तरफ से इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इतना जरूर हुआ है कि योगी सरकार ने कुंभ मेला प्रशासन में लगे सभी लोगों की ड्यूटी 28 फरवरी तक बढ़ा दी है ताकि व्यवस्था में कोई दिक्कत न होने पाए। पिछले दिनों पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में एक अधिकारी ने कहा था कि फिलहाल महाकुंभ 2025 को आगे बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। अब देखना यह होगा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव की इस मांग पर योगी सरकार क्या निर्णय लेती है। वैसे यदि मेले की अवधि बढ़ जाती है तो इससे बढ़ती भीड़ को कंट्रोल करने में सुविधा होगी। लोगों में भी मैसेज जाएगा कि मेला बढ़ा हुआ है, अब आराम से आ सकते हैं।

उधर महाकुंभ की व्यवस्था पर सवाल उठाने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला करते हुए यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव सनातन की आलोचना करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं। असल में उनकी इच्छा थी कि महाकुंभ में कोई बड़ा हादसा हो और उन्हें कुछ बोलने का मौका मिल जाए। लेकिन ईश्वर कृपा से उनके हाथ कुछ आ नहीं रहा है। डिप्टी सीएम ने कहा है कि अखिलेश यादव महाकुंभ की सफलता से परेशान हैं। इसलिए उनका सनातन विरोधी रवैया सामने आ रहा है। उन्होंने सवाल किया कि अगर महाकुंभ का पानी इतना ही खराब था तो उन्होंने वहां डुबकी क्यों लगाई।

महाकुंभ पहले श्रद्धा थी, अब आकर्षण का है कारण : जानकार बताते हैं कि पहले जमाने में महाकुंभ में सिर्फ अधेड़ और वृद्ध लोग ही आया करते थे। पर अब नई पीढ़ी भी रील बनाने के चक्कर में महाकुंभ में आने लगी है। इसके चलते भी भीड़ बढ़ी है। लोग इसे धार्मिक पर्यटन की नई कैटगरी के रूप में भी देखने लगे हैं। इसके अलावा महाकुंभ में की गई व्यवस्थाओं ने भी लोगों को यहां आने के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही दिल्ली के विधानसभा चुनाव और मिल्कीपुर के विधानसभा उपचुनाव में फंसे राजनेता भी अब फुरसत पाकर एक साथ प्रयागराज में गये। इस चक्कर में भी महाकुंभ में भीड़ बढ़ी और बेकाबू हुई। इसके अलावा पहले कुंभ में श्रद्धा होती थी अब आकर्षण है। मीडिया के प्रचार में और सोशल मीडिया पर चलने वाले रील में 144 साल की विशेषता का इतना प्रचार कर दिया गया कि भीड़ लगातार बढ़ती गई। इसके अलावा इस बार महाकुंभ के साथ-साथ अयोध्या और वाराणसी में दर्शन करने का अवसर का भी इस महाकुंभ में बढ़ती भीड़ का एक बड़ा कारण है। लोग एक पंथ में तीन काज कर लेना चाहते हैं। यानी वे प्रयागराज में डुबकी लगाने के साथ-साथ अयोध्या और काशी का दर्शन भी करना चाहते हैं।

विपक्ष का बड़बोलापन भी जारी रहा पूरे समय : उधर महाकुंभ को लेकर विपक्ष का बड़बोलापन भी खूब सुर्खियां बटोरता रहा। महाकुंभ को लेकर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो ऐसी बात कह दी जिससे उनकी किरकिरी हो गई। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खड़गे ने कह दिया कि क्या महाकुंभ में स्नान करने से गरीबी मिट जाएगी, गरीबों का पेट भर जाएगा। फिर क्या था इसको लेकर उनकी तगड़ी आलोचना हुई। हालांकि उन्होंने अपने उसी भाषण के दौरान इस पर माफी भी मांगी और कहा कि अगर मेरी बात से किसी को तकलीफ हुई हो तो मैं इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं। किंतु तब तक वे काफी सनातनियों को नाराज कर चुके थे। इसके अलावा गाजीपुर के सांसद और समाजवादी पार्टी के बड़े नेता अफजाल अंसारी ने भी एक सभा में लोगों को संबोधित करते हुए कह दिया कि महाकुंभ में बढ़ती भीड़ को देखकर तो यही लगता है कि सब लोग वहां जाकर वहां पाप धो आएंगे और सीधा स्वर्ग या बैकुंठ जाएंगे। यानी नरक में कोई नहीं जाएगा। फिर तो नरक में जगह खाली हो जाएगी। उनके इस बयान की बहुत आलोचना हुई। ये अलग बात है कि पार्टी स्तर पर उनके बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। खबर है कि बयान से नाराज एक व्यक्ति में गाजीपुर के शादियाबाद थाने में उनके खिलाफ धर्म निंदा की प्राथमिकी दर्ज कराई है। ऐसे में उनकी मुश्किलें बढ़ भी सकती हैं। समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने विधानसभा में आरोप लगा दिया कि योगी आदित्यनाथ की सरकार अपना राजनीतिक नंबर बढ़ाने के लिए जनता के धन का दुरुपयोग कर रही है। उधर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के उस बयान की तीखी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह महाकुंभ नहीं मृत्यु कुंभ है। श्री पाठक ने कहा कि इस तरह के बयान मुस्लिम तुष्टीकरण के तहत दिए जा रहे हैं।‌ इन विपक्षी नेताओं को जनता करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को इस बयान के लिए देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। इस पर पश्चिम बंगाल के नेता विरोधी दल शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि जनता आने वाले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को दंड देगी। असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि ममता बनर्जी को यहां आकर सच्चाई देखनी चाहिए, मैं उन्हें आमंत्रित कर रहा हूं।

उधर इन बातों से बेपरवाह योगी आदित्यनाथ सरकार ने 54 सोशल मीडिया अकाउंट पर फर्जी खबर फैलाने के आरोप में कार्रवाई भी की है। इनमें से एक पर पटना की भीड़ को महाकुंभ की भीड़ बता अफवाह फैलाने की कोशिश का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा अफवाह फ़ैलाने और शांति भंग करने के आरोप में अखिलेश यादव के करीबी सपा नेता मनीष जगन अग्रवाल भी जेल भेज दिए गये हैं। ये सपा व्यापार सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सोशल मीडिया इंचार्ज हैं। इस गिरफ्तारी से सपाई कोई बवाल न करें इसलिए पुलिस ने एहतियातन अखिलेश यादव के आवास और सपा मुख्यालय पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दिया था।

भीड़ के मद्देनजर भाजपाइयों को दिए गए मदद के निर्देश : महाकुंभ आयोजन को लेकर भाजपा बहुत गंभीर है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महाकुंभ के जाम में फंसे श्रृद्धालुओं की मदद के लिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी सक्रिय हो गया है। मीडिया में चली जाम सम्बंधित खबरों का संज्ञान लेते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बी एल संतोष ने ट्वीट कर स्थानीय भाजपाईयों को निर्देश दिया कि वे जाम में फंसे लोगों की मदद करें। इसके बाद भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल ने भी पत्र भेज कर निर्देश दिया कि आसपास के जिलों के भाजपाई जाम में फंसे श्रृद्धालुओं को भोजन-पानी आदि की सहायता पहुंचाएं। उन्हें यह भी कहा गया कि वे व्यवस्था संभालने में प्रशासन का सहयोग भी करें। भाजपा ने ये निर्देश प्रतापगढ़, रायबरेली, अमेठी, भदोही, मिर्जापुर, चित्रकूट, अयोध्या, अम्बेडकरनगर आदि ज़िलों के अध्यक्षों को दिया गया है। इस निर्देश का असर दिखाई दे रहा है।

144 साल बाद का अगला महाकुंभ 2169 में होगा : कुंभ का आयोजन चार जगहों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है। कुंभ मेले का आयोजन एक विशेष समयावधि में ग्रहों के विशेष संयोग से बनता है। महाकुंभ की बात करें तो, शास्त्रों के मुताबिक महाकुंभ 144 साल में एक बार होता है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार वर्ष 2025 के बाद अगला महाकुंभ अब 2169 में लगेगा। एक जानकारी के अनुसार कुंभ मेला हर बारह साल में लगता है, इसे पूर्ण कुंभ कहा जाता है। महाकुंभ हर 144 साल में लगता है। परंतु महाकुंभ सिर्फ प्रयागराज में लगता है। प्रयागराज और हरिद्वार में हर छह साल में अर्ध-कुंभ का भी मेला आयोजित होता है। 12 साल बाद होने वाले कुंभ मेले को पूर्ण कुंभ कहा जाता है। मान्यता है कि जब 11 पूर्ण कुंभ हो जाते हैं, तब 12वें पूर्ण कुंभ को महाकुंभ कहा जाता है।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक