वनटांगिया चुनेंगे पहली बार गांव की सरकार

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गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें आजाद देश में मिलने वाली सभी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराकर विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है। योगी सरकार में राजस्व ग्राम घोषित होने के बाद गोरखपुर और महराजगंज के 23 वनटांगिया गांव पहली बार पंचायत चुनाव में सक्रिय भागीदारी निभाकर गांव की सरकार चुनने जा रहे हैं।

वर्ष 2017 के पहले वनटांगिया गांव राजस्व ग्राम के रूप में अभिलेखों से दूर थे, तो सरकार की योजनाओं का भी उनसे कोई वास्ता नहीं था। सीएम योगी ने राजस्व गांव बनाया, तो दूर की कौड़ी दिख रही योजनाएं वनग्रामों में धरातल पर उतर आईं। गोरखपुर में पांच वनटांगिया गांव हैं, जबकि पड़ोसी जिले महराजगंज में ऐसे गांवों की संख्या 18 है। राजस्व ग्राम के निवासी के रूप में इन गांवों के वनटांगिया पहली बार पंचायत चुनाव में सीधी और सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पिछले चुनाव में इन्हें वोट डालने को भले मिला हो, लेकिन खुद का गांव राजस्व ग्राम न होने से गांव की सरकार से इनको कोई फायदा नहीं मिल पा रहा था।

बदली वनटांगिया गांवों की दशा और दिशा : सीएम योगी के अपने कार्यकाल में पहले ही साल इन गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाने के बाद उन्हें विकास योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हुआ। राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए, जो सामान्य नागरिक को मिलती है। सीएम योगी के कार्यकाल में वनटांगिया गांव आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित हो गए हैं। वनटांगिया गांवों में आज सभी के पास अपना सीएम योजना का पक्का आवास, कृषि योग्य भूमि, आधारकार्ड, राशनकार्ड, रसोई गैस है। बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं, पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग आदि पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

100 साल से अधिक पुरानी हैं वनटांगियों की बस्तियां : वनटांगिया गांव अंग्रेजी शासन में 1918 के आसपास बसाए गए थे। मकसद साखू के पौधों का रोपण कर वनक्षेत्र को बढ़ावा देना था। इनके जीवन यापन का एकमात्र सहारा पेड़ों के बीच की खाली जमीन पर खेतीबाड़ी था। गोरखपुर में कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में बसी इनकी बस्तियां 100 साल से अधिक पुरानी हैं। अस्सी और नब्बे के दशक के बीच तो इन्हें जंगलों से भी बेदखल करने की कोशिश की गई।

2009 से वनटांगियां के बीच सीएम योगी मनाते हैं दीपावली : 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ वनटांगियों के संघर्ष के साथी बने और अपने संसदीय कार्यकाल में सड़क से सदन तक उनके हक के लिए आवाज बुलंद करते रहे। वनटांगियों से योगी की आत्मीयता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह 2009 से उन्हीं के बीच दिवाली मनाते हैं और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह सिलसिला नहीं टूटा।

विकास की तस्वीर से नजीर पेश कर रहे वनटांगिया : सीएम योगी के प्रोत्साहन और उनके द्वारा राजस्व ग्राम का दर्जा देने के बाद गोरखपुर-महराजगंज के 23 वनटांगिया गांवों की तस्वीर और तकदीर बदल गई है। महराजगंज में 27 मार्च को आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान आंदोलन के नाम और गुमराह करने वालों को करारा जवाब देते हुए महराजगंज के वनटांगिया गांवों में आकर विकास की नई तस्वीर देखने की सलाह भी दे डाली थी।

वनटांगिया किसानों की पीएम ने भी की तारीफ : महराजगंज के वनटांगिया तो वास्तव में नजीर बनकर सामने आए हैं। वनटांगिया किसानों की एफपीओ ने सुनहरी शकरकंद की खेती और इसकी मार्केटिंग के लिए अहमदाबाद की एक कम्पनी से करार कर पूरे देश का ध्यान खींचा है। इस एफपीओ से जुड़े प्रमुख वनटांगिया किसान रामगुलाब की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने रामगुलाब से पिछले साल 25 दिसम्बर को वर्चुअल संवाद भी किया था।