लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत रंग लाई और भाजपा ने मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में सपा को करारी मात दे दी। न सिर्फ मात दी बल्कि अवधेश प्रसाद को इस सीट पर मिली जीत के अंतर के लगभग चौगुने अंतर से सपा को हराया है। नाक का सवाल बनी इस सीट पर भाजपा की जीत ने अयोध्या/फैजाबाद लोस सीट पर सपा की जीत के स्वाद को भी फीका कर दिया है। भाजपा ने विपक्ष के उस नैरेटिव को भी गलत साबित किया है जिसमें कहा गया था कि अयोध्या/फैजाबाद लोकसभा सीट जीत कर विपक्ष ने भाजपा के राम मंदिर आंदोलन की हवा निकाल दी है। इस जीत ने सपा और कांग्रेस के लिए लोकसभा में पोस्टर ब्वाय बने सांसद अवधेश प्रसाद पासी का भी आकर्षण कम करके उनको मिला राजा अयोध्या का तमगा छीन लिया है। सपा की हालत इतनी खराब रही कि अवधेश प्रसाद पासी सांसद होते हुए भी अपनी ही छोड़ी सीट पर अपने बेटे को नहीं जिता पाए। इस परिणाम ने कांग्रेस को भी यह कहने का मौका दे दिया कि हम साथ हैं, तभी आप ‘आप’ हैं।
मिल्कीपुर में विधानसभा उपचुनाव जीत कर भाजपा ने विपक्ष के उस झूठे नैरेटिव को भी ध्वस्त किया है जिसमें भाजपा पर आरोप लगाया गया था कि अगर वह चुनाव जीत गई तो संविधान बदल देगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में चलाए गए इस झूठे नैरेटिव से मिली कमजोरी के बावजूद भाजपा ने कम बैक किया और उसके बाद के चुनावों में बड़ी सफलता प्राप्त की है। इस जीत के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत ने भी अब विपक्ष की बोलती बंद कर दी है। मिल्कीपुर की जीत ने यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी भाजपा को एक मजबूत आधार प्रदान किया है। इस जीत में ब्राह्मण वोटरों की एकजुटता, यादव मतों में सेंधमारी और दलित मतों के बंटवारे की बड़ी भूमिका रही। भाजपा ने इस चुनाव के लिए जातीय समीकरणों के हिसाब से अपने मंत्रियों और नेताओं की फौज उतार दी थी। अयोध्या जिले के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही समेत सात मंत्रियों की ड्यूटी यहां लगायी गई थी। इसके अलावा क्षत्रिय वोटरों के लिए रायबरेली की विधायक अदिति सिंह, यादव वोटरों के लिए मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू और राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव को उतारा गया था। इसके अलावा लगभग 60 हजार ब्राह्मण वोटरों को एकजुट करने के लिए पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू और जिले के वरिष्ठ समाजसेवी राजन पांडेय को मैदान में उतारा गया था। दोनों ही नेताओं की मेहनत ने क्षेत्र के ब्राह्मण वोटरों को भाजपा के पक्ष काफी हद तक मोबिलाइज किया। हां, इस क्षेत्र के दलित वोटर किसी एक पार्टी के पक्ष में एकजुट नहीं हुए और कई जगह बंट गए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों ने भी यहां आकर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया था। मुख्यमंत्री योगी स्वयं कई बार यहां का चक्कर लगा चुके थे। मतदान के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयागराज के महाकुंभ में संगम स्नान करना भी भाजपा को फायदा दे गया। इसके अलावा इस उपचुनाव में सपा की हार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मजबूत रणनीति जितनी अहम थी, उतनी ही यादव वोटरों की भूमिका भी। चुनाव के ठीक पहले भाजपा ने क्षेत्र के काफी ग्राम प्रधानों को पार्टी में शामिल कराया था। इसमें अधिकतर यादव थे। इस घटना ने भी भाजपा के पक्ष यादवों को काफी हद तक एकजुट किया। दरअसल मिल्कीपुर क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या लगभग 55 हजार के आसपास मानी जाती है। इसलिए समाजवादी पार्टी इसे अपनी सुरक्षित सीट मानती रही थी। पर इस बार यादव वोटरों ने दिखा दिया कि वे अपना फैसला खुद ले सकते हैं।
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा की अयोध्या/फैजाबाद सीट से मिली हार भाजपा समेत सभी के लिए चौंकाने वाली थी। क्योंकि इस चुनाव के कुछ महीने पहले ही राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। सबको उम्मीद थी कि भाजपा ये सीट जीत जाएगी। पर मतदाताओं ने सब लोगों चौंकाते हुए मिल्कीपुर के तत्कालीन सपा विधायक अवधेश प्रसाद को सांसद चुना। इसके बाद मिल्कीपुर सीट खाली हो गई। अयोध्या लोकसभा सीट पर हार के बाद मुख्यमंत्री योगी ने मिल्कीपुर सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।
योगी ने कई मंत्रियों को यहां के मैदान में उतार दिया था। समाजवादी पार्टी ने इस उपचुनाव में “मथुरा ना काशी, मिल्कीपुर में अजीत पासी” का नारा दिया था। ऐसे में हिंदू मतदाता सपा के खिलाफ और तेजी से एकजुट हो गए। और यही एकजुटता बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान की जीत की बड़ी वजह बनी। यहां एकजुट हिंदुओं के सामने अखिलेश यादव का पीडीए बेअसर साबित हुआ। इसके अलावा यहां मित्रसेन यादव और उनके परिवार की अनदेखी भी अखिलेश यादव को भारी पड़ गयी। बताते हैं कि इलाके के ज्यादातर यादव वोटर सपा के पहले से ही मित्रसेन यादव के परिवार से जुड़े हुए थे। मित्रसेन यादव के बाद उनके बेटे अरविंद सेन यादव और आनंद सेन यादव ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव द्वारा अवधेश प्रसाद को बढ़ावा देने से मित्रसेन यादव का परिवार नाराज था। उनकी उदासीनता भी यहां सपा का नुकसान कर गयी। इसके अलावा भाजपा ने यहां यादव वोटरों को लुभाने के लिए मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू और राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव को उतारा था। उन्होंने यहां प्रचार के दौरान सनातनी और गैर सनातनी यादवों का एक नया कॉन्सेप्ट लाकर बड़ी संख्या में यादव वोटरों को भाजपा के पक्ष किया। हालांकि पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान समाजवादी पार्टी भाजपा पर सत्ता बल के दुरुपयोग का आरोप लगाती रही। सपा ने तो यह भी आरोप लगा दिया कि चुनाव आयोग मर गया है। और वह हमारी बात नहीं सुन रहा है। वैसे इसके बाद भाजपा प्रत्याशी की जीत के बड़े अंतर ने उनके आरोपों को भोथरा कर दिया है।
योगी आदित्यनाथ ने दी चंद्रभानु को बधाई : मिल्कीपुर विधान सभा सीट पर उपचुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ऐतिहासिक विजय के लिए सभी समर्पित कार्यकर्ताओं को हृदय तल से बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह विजय पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘डबल इंजन सरकार की लोक कल्याणकारी नीतियों एवं सेवा, सुरक्षा और सुशासन को समर्पित अटूट विश्वास का प्रतीक है। योगी ने चंद्रभानु पासवान को भी बधाई देते हुए मिल्कीपुर क्षेत्र की जनता को हार्दिक धन्यवाद दिया है।
अपना ही बूथ हार गए सपा के प्रत्याशी अजीत प्रसाद : उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर भाजपा के चंद्रभानु पासवान 61 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीत गए हैं। वहीं, सपा के प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक अवधेश प्रसाद पासी के पुत्र अजीत प्रसाद अपने बूथ इनायत नगर में ही हार गए हैं। इस बीच फैजाबाद से सपा के सांसद और सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद के पिता अवधेश प्रसाद का अजीबोगरीब दावा भी सामने आया। वे एक वीडियो में सपा उम्मीदवार की जीत की घोषणा करते हुए नजर आए। जबकि गत 5 फरवरी को हुए उपचुनाव के नतीजे आठ फरवरी को आए। सूबे के बाहर भी राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों की नजरें यहां टिकी रहीं। इस सीट पर करीब 65 प्रतिशत मतदान हुआ।
मतदान का विवरण
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अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने 61,710 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की है। चंद्रभानु पासवान को 1,46,397 वोट और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के अजीत प्रसाद को 84,687 वोट मिले। अन्य उम्मीदवारों में राम नरेश चौधरी (1722), सुनीता (363), संतोष कुमार (5459), अरविंद कुमार (425), कंचन लता (286), भोलानाथ (1003), वेदप्रकाश (507) और संजय पासी (1107) वोट हासिल कर पाए। इस सीट पर कुल कुल 2,41,956 वोट डाले गए। इसमें से 1,361 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना।
अभय परमहंस
राजनीतिक विश्लेषक