अयोध्या/लखनऊ। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर आगामी 30 दिसंबर को के अयोध्या आ रहे हैं। वे उस दिन मिल्कीपुर में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने इसे सफल बनाने की जिम्मेदारी जिले के प्रमुख समाजसेवी राजन पांडेय को दी है। सूत्रों के अनुसार मिल्कीपुर का उपचुनाव राजभर की पार्टी लड़ेगी। इसीलिए राजभर यहां का राजनीतिक तापमान देखने आ रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राजन पांडेय ने इसके लिए कमर कस ली है। इस बाबत राजन पांडेय के आवास पर सुभासपा के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में एक बैठक हुई। बैठक के बाद दी गई जानकारी के अनुसार श्री राजभर 30 दिसंबर को मिल्कीपुर के दरबारी लाल महाविद्यालय कलुआ मऊ में आयोजित जनसभा में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे। जनसभा के बाद राजभर राजन पांडेय के आवास पर जलपान और लोगों से मुलाकात के बाद लखनऊ के लिए रवाना होंगे।
बैठक के बाद राजन पांडेय ने समर्थकों की एक बैठक कर तैयारियों के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ओम प्रकाश राजभर ने गरीबों के हक और सम्मान की लड़ाई सड़क से सदन तक लड़ी है। ऐसे में हमारा भी फर्ज है कि इस महान कार्य में उनका साथ दें। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपने पुत्र अमित पांडेय,अंकित पांडेय व जिला पंचायत सदस्य अर्पित पांडेय के साथ कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है।
चर्चा है कि ये जनसभा एक रणनीति के तहत की जा रही है। भाजपा के सूत्रों के अनुसार मिल्कीपुर से राजभर की पार्टी का प्रत्याशी मैदान में आएगा। इसीलिए राजभर ने प्रसिद्ध समाजसेवी राजन पांडे को अपने साथ जोड़ा है। इस जनसभा की सफलता के बाद राजन पांडेय को पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। इस बाबत पूछने पर राजन पांडेय ने कहा कि उन्होंने अभी तक पार्टी की सदस्यता नहीं ली है। लेकिन भविष्य में क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता। सूत्रों के अनुसार मिल्कीपुर सीट जीतने के लिए भाजपा ने एक दांव चला है।
हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनावों के दौरान ही तय हो गया था कि इस सीट पर भाजपा अपना नहीं सहयोगी दल के प्रत्याशी को चुनाव लड़ाएगी। और जीत गए तो भी ठीक और हार गए तो गम नहीं। क्योंकि सपा ने भी इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ रखा है। ऐसे में 2027 के विधान सभा चुनाव के पहले बीजेपी हार का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। क्योंकि भाजपा पहले ही फैजाबाद का लोकसभा चुनाव हार कर अपनी इज्जत गंवा चुकी है। ऐसे में यदि वह मिल्कीपुर का उपचुनाव भी हार जाती है तो उसकी और जग हंसाई होगी। ऐसे में यहां से सहयोगी दल के प्रत्याशी कोई उतारना ही एक रणनीतिक विकल्प दिखाई दे रहा है। इसी के चलते यहां पर राजभर की सभा कराई जा रही है। ताकि वे भी अपनी राजनीतिक ताकत का अंदाजा लगा लें। यदि परिणाम पक्ष में दिखे तो इस पर आगे कदम बढ़ाया जाएगा।
दरअसल यहां भाजपा के विधायक रहे गोरखनाथ बाबा से जनता नाराज थी इसलिए पार्टी को यह सीट गंवानी पड़ गयी। उपचुनाव की चर्चा उठने पर एक बार फिर उन्होंने ताल ठोंकनी शुरू कर दी थी। और भाजपा के अंदरूनी सर्वे में गोरखनाथ बाबा को फिर लड़ाना रिस्की था। इसीलिए उस विकल्प पर विचार किया गया। वो तो मिल्कीपुर का उपचुनाव टल गया तो मामला ठंडा पड़ गया। अब जब फिर चर्चा उठी है तो ये कवायद शुरू की गई है।