3.42 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा एनएचएआई, 60 हाइवे बेंचने की तैयारी……. बरसों की कड़ी मशक्कत से देशवासियों को सुगम सड़क यात्रा कराने वाला भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इन दिनों मुश्किल में है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) दोतरफा समस्याओं से उबरने के लिए छटपटा रहा है, एक तरफ राजमार्गों का निर्माण करने के लिए कम लागत पर वित्तीय संसाधनों की ज़ोरदार तलाश चल रही है। दूसरी ओर कर्ज की अदायगी के साथ-साथ कर्ज पर ब्याज के भुगतान के लिए धनराशि कैसे और कहां से जुटाने की जटिल समस्या भी आड़े आ रही है।
मंत्रालय स्तर पर मंथन-चिंतन के बाद एक रास्ता निकाला गया था लेकिन उसमें भी अब तक आधी-अधूरी सफलता ही हाथ लगी है। अब फिर से पूरी आक्रामकता के साथ उसी रास्ते पर चलने की रणनीति पर अमल करने की तैयारी है। देश को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के कोने-कोने तक सुगम सड़क संपर्क स्थापित कराने श्रेय एनएचएआई को जाता है। राष्ट्रीय राजमार्गों को नेशनल हाईवे के रूप में लोकप्रियता दिलाने में भी प्राधिकरण की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। फर्राटा भरते वाहनों में सवारी करने वालों को कमतर समय में आराम से सफर तय कर पाना बगैर प्राधिकरण के संभव ही नहीं हो पाता।
राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का निर्माण करने के लिए दो स्रोतों से संसाधन जुटाए जाते हैं… बजटीय आवंटन और ऋण। सरकार यानी मंत्रालय अपनी लक्ष्मण रेखा के दायरे में रहकर ही आवंटन करता है। दूसरा विकल्प है ऋण। दरअसल इन परियोजनाओं में पूंजी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है और इसी वजह से प्राधिकरण लगातार बड़े पैमाने पर कर्ज लेता रहा है। कर्जों के साथ ही इनपर ब्याज की देनदारियों काफी बढ़ती गईं। वर्ष 2014_15 में प्राधिकरण पर 24188 करोड़ रुपए का कर्ज था जो बढ़ते_बढ़ाते 2022 , मार्च के अंत में 3 लाख 48 हजार करोड़ रुपए से कुछ घटकर 2023, मार्च- में 3 लाख 42 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया। 20_21 में 25497 करोड़ , 21_22 में 40191 करोड़ 22_23 में 31282 करोड़ रुपए का ऋण भुगतान प्रावधान किया गया और इसमें से उक्त वर्षों में क्रमशः 74 प्रतिशत, 59 प्रतिशत, 79 प्रतिशत धनराशि केवल ऋणों पर ब्याज की अदायगी पर गया।
सरकार ने बीते साल प्राधिकरण को ऋण लेने पर रोक लगा दी जिससे इसके पास एकमात्र रास्ता बचा कि यह अपनी परिसंपत्तियों का निस्तारण करके कर्ज अदा करे और नई परियोजनाओं के लिए भी (बजटीय सहायता के अलावा) धन भी जुटाए।तब नीति निर्धारकों ने ही प्राधिकरण को अपनी परिसंपत्तियों (राजमार्गों) को बेंचकर संसाधन जुटाने की हरी झंडी दी थी, इसी के तहत 22_23 के दौरान सिर्फ 6 राजमार्गों के 558 किलोमीटर हिस्सों के बिक्री के जरिए 13511 करोड़ रुपए जुटाने की प्रक्रिया ही पूरी हो सकी, लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका। वैसे प्राधिकरण की परिसंपत्तियों का कुल मूल्य 9 लाख करोड़ रुपए से ऊपर है।
पहले चालू वित्तीय वर्ष 23_24 में बिक्री के लिए 30 राजमार्गो के 1987 किलोमीटर हिस्सों को चिन्हित किया गया था और इनका मूल्य 45 हजार करोड़ रुपए आंका गया था। लेकिन बाद में इसमें संशोधन किया गया और 46 राजमार्गों के 2612 किलोमीटर हिस्सों से 60 हजार करोड़ रुपए एकत्र करने का ‘बिग प्लान’ बनाया गया। सरकार ने 23_24 के लिए 1 लाख 62 हजार 207 करोड़ रुपए का बजटआवंटन किया है। बताते चलें कि इस दौरान राजमार्ग निर्माण की लागत 25_28 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर के स्तर पर पहुंच गई है।
राजमार्गों पर फास्टटैग के जरिए कर वसूली से वाहनचालकों और यात्रियों के यात्रा-समय में अच्छी खासी बचत होने लगी है और वे इस बदलाव से खुश भी हैं। प्राधिकरण ने 2023 में 29 अप्रैल को 1288 टोलप्लाज़ा से 193.15 करोड़ रुपए का कर- संग्रह करके 144 करोड़ रुपए का पूर्व रिकार्ड (एक दिन में) ध्वस्त कर दिया।
प्रणतेश बाजपेयी