लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विगत पांच वर्ष के अंदर 60 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित करने में हमें सफलता मिली है। एक समय में की गई लापरवाही के कारण ये नदियां लुप्तप्राय हो गई थीं। जन सहभागिता के माध्यम से ग्राम्य विकास एवं अन्य विभागों ने जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया तो वह फिर से पुनर्जीवित हो गईं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को अटल भूजल योजना के अंतर्गत जनजागरूकता के लिए चलाए गए भूजल सप्ताह के समापन के अवसर लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश की जनसंख्या मात्र 6 करोड़ थी, आज 25 करोड़ है तो स्वाभाविक रूप से पेयजल, सिंचाई एवं अन्य औद्योगिक उत्पादन के लिए ज्यादा से ज्यादा भूगर्भीय जल का इस्तेमाल बढ़ गया है। लेकिन समस्या यह थी कि बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए भूगर्भीय जल संरक्षण को किसी अभियान से नहीं जोड़ पाए थे। इसलिए डार्क जोन, खारा पानी, आर्सेनिक और फ्लोराइड की समस्या एक चुनौती रूप सामने खड़ी हो गई। इसको देखते हुए हम लोगों ने इसके प्रबंधन, संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्ययोजना बनाई। आज इसमें परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
चार-पांच वर्षों में मिले अच्छे परिणाम : मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सन 2000 में प्रदेश के अंदर कुछ विकासखण्डों की स्थिति भूजल स्तर के मामले में क्रिटिकल हो गई थी। मात्र 17-18 वर्षों में उनकी संख्या बढ़कर कई गुना हो गई थी लेकिन विगत चार-पांच वर्षों के अंदर जो अभियान प्रदेश के अंदर चलाए गए उनके अच्छे परिणाम सामने आये हैं। उन विकासखण्डों को क्रिटिकल से सामान्य स्थिति में लाने में हमें मदद मिली है। थोड़ा सा प्रयास हुआ तो देखते ही देखते उसमें परिवर्तन दिखाई देने लगा।
उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का क्षण : मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है कि राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (एनएचपी) में यूपी ने पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इसके लिए भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग को सम्मानित किया है। उन्होंने कहा कि एनएचपी के तहत राज्य एवं केंद्र सरकार की एजेंसियों ने उपलब्ध जल संसाधनों से संबंधित विभिन्न जानकारियों को एकीकृत कर भारत सरकार की डिजीटल इंडिया पहल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि एनएचपी में कार्यरत इकाइयों के कार्य का राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन किया जाता है। उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि पूरे देश के अंदर जल की एक-एक बूंद के संरक्षण के साथ ही जल के उचित प्रबंधन के बारे में प्रधानमंत्री के विजन को उत्तर प्रदेश सरकार प्रति वर्ष भूजल सप्ताह के रूप में आयोजित करती है। उन्होंने कहा कि 16 जुलाई से लेकर 22 जुलाई के बीच में आयोजित हो रहे इस भूजल सप्ताह के दौरान 17 जुलाई को लखनऊ से 10 जनपदों की 550 ग्राम पंचायतों यानि 26 विकास खंड और 550 ग्राम पंचायतों के लिए भूजल रथ का शुभारंभ करने का भी अवसर मुझे प्राप्त हुआ।
जल को भारतीय मनीषा ने बहुत पवित्र भाव के साथ देखा : मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हम सब जानते हैं कि जल है तो जीवन है और जल और जीवन के बीच के इस भाव को हर व्यक्ति समझता है, लेकिन उसके उचित प्रबंधन के बारे में जो कार्य करने चाहिये उसमें वह व्यक्ति कहीं न कहीं चूक जाता है। उन्होंने कहा कि आदिकाल से ही जल को भारतीय मनीषा ने बहुत पवित्र भाव के साथ देखा है। पृथ्वी लोक में जब भी इस पूरे ब्रह्मांड के कल्याण की बात होती है तो उसमें जल के कल्याण की बात भी निहित होती है।
जल संरक्षण पवित्र कार्य : मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारतीय मनीषा इस बात काे जानती थी की जीव और जंतु के बिना इस सृष्टि की कल्पना ही नहीं जा सकती है। उस परिकल्पना को साकार करने के लिए अलग-अलग काल खंड में कई तरह के कार्यक्रम चलाए गए थे। उन्होंने कहा कि हम सब बहुत पहले से जल संरक्षण को पवित्र कार्य के रूप में मानते आए हैं। किसी व्यक्ति को पुण्य कार्य करने का लक्ष्य दिया जाता था तो वह तालाब खुदवाता था। उन्होंने कहा कि उस समय पाइप पेय जल की स्कीम नहीं थी तो लोग कुआं खुदवाते थे।
गंगा ने भारत की ऋषि और कृषि दोनों परंपराओं का संवर्धन किया : मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्राचीन काल से नदियों में गंदगी न करने के लिए लोग एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते रहे हैं। देश के अंदर नदियों की पवित्रता की जब बात की जाती है तो हमने उन्हें मां जैसा पवित्र भाव दिया है। गंगा मईया के रूप में हमने भारत की सबसे पवित्र नदी को मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि अनेक गांवों में मैं जब जाता हूं तो गांव के लोग पवित्र भाव के साथ गांव की गंगा कहकर उसे संबोधित करते हैं। गंगा ने भारत की ऋषि और कृषि दोनों परंपराओं का संवर्धन किया है और अमृत सरोवर जैसे कार्यक्रम प्रारंभ हुए हैं।
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए बनाना पड़ा कानून : मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हम लोग गंगा का पवित्र नाम लेकर जल संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए सदैव संकल्पित रहे हैं, लेकिन बीच के कालखंड में जो चूक हुई उसका खामियाजा मानवता को भुगतना पड़ा है। आज उसी भाव को लेकर प्रधानमंत्री की प्रेरणा से ‘कैच द रेन’ अभियान और अमृत सरोवर जैसे कार्यक्रम प्रारंभ हुए हैं। उन्होंने कहा कि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग व्यवस्था को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए हमें इसके लिए आवश्यक कानून बनाना पड़ा।
75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य : मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इसको देखते हुए हमने विभिन्न विकासखंडों में 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा है। जिसमें से कई अमृत सरोवर का लगभग पूरा हो चुके हैं और कुछ पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में निश्चित क्षेत्रफल से ज़्यादा पर आवास, सरकारी आवास और कार्यालय बनाने पर रेन वाटर हार्वेटिंग सिस्टम बनाने की अनिवार्यता कर दी गई है।
जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि 17 जुलाई को मुख्यमंत्री ने अटल भूजल योजना के अंतर्गत जनजागरूकता के लिए भूजल सप्ताह के अवसर पर डिजीटल भूजल बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। जिसका आज अंतिम दिन है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार भूजल प्रबंधन एवं सरंक्षण हेतु गंभीर है। इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के स्थानीय आवश्यकताओं एवं भूगर्भ जल परिस्थितियों के अनुरूप उत्तर प्रदेश ग्राउंड वॉटर मैनेजमेंट एंड रेग्युलेशन अधिनियम 2019 लागू किया है।
उन्होंने कहा कि आमजन की सुविधा हेतु अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के समयबद्ध एवं नियमानुसार निस्तारण हेतु एक वेब पोर्टल भी विकसित किया गया है। जिसके अंतर्गत प्राप्ता आवेदनों का ऑनलाइन निस्तारण भी जनपद में जिला अधिकारी की अध्यक्षता में ऑनलाइन गठित भूजल टीम द्वारा किया जा रहा है। जल शक्ति मंत्री ने कहा कि गठित जिला भूजल प्रबंधन परिषद के द्वारा जल संचयन एवं जल संवर्धन की दिशा में प्रयास करते हुए विभिन्न शासकीय योजनाओं के अंतर्गत भूजल रिचार्ज के कार्य निरंतर कराए जा रहे हैं।