मैजिक राइस की मच रही धूम

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अचानक एक दिन अख़बार में पढ़ा था कि बिना पकाए भी चावल बन सकता है और वह खाने में स्वादिष्ट भी है। चावल तो हम सबने खाया है। हर घर में चावल एक मुख्य भोजन है, परंतु यह मैजिक चावल जो बिना पकाए पक जाता है, ये तो एक नया अविष्कार है। हमारे देश में दो प्रकार की खेती होती है। गेहूं की और दूसरी धान की। यदि उत्तर भारत की बात करे तो वहाँ चावल के बिना खाना अधूरा माना जाता है।

इसलिए उत्तर भारत के राज्य में चावल की खेती बहुत की जाती है। वहाँ कुछ चावल दाल के साथ, मछली के साथ रसे की सब्ज़ी के साथ खाना पसंद करते हैं। हमारे देश में सबसे ज़्यादा चावल पश्चिम बंगाल, असम में उगाया जाता है। हमने जब भी चावल खाया है तो पहले उसे भिगोया और फिर उसे गैस पर पानी में डाल कर अच्छे से उबाला और फिर छान कर या पानी निकाल के बनाया जाता है। उसे खिला खिला चावल बनता है। चावल बहुत पसंद आता था, परंतु मैजिक चावल कुछ खास है। मैजिक चावल बिना पकाए ही खाया जा सकता है। अगर हम सोचें कि चावल बिना पकाए खाएं तो शायद हम बीमार पड़ सकते हैं, परंतु जादुई चावल यानी मैजिक चावल की आज कल चर्चा बहुत की जा रही है।

ये जादुई चावल किसान श्रीकांत गरमपल्ली के द्वारा करीम नगर के श्रीराममल्लापल्ली गाँव के खेतों में उगाया जा रहा है। ये एक नई प्रकार की चावल की प्रजाति है, जिसमें चावल को पकाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। इस चावल को बस भिगो कर 30 मिनट रख दें तो चावल बनकर तैयार हो जाता है। इसी प्रकार असम में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसे मजुली में इंस्टंट राइस के रूप में ये मैजिक चावल जाना जाता है।

श्रीकांत ने इस चावल की जानकारी गुवाहाटी विश्वविद्यालय से प्राप्त की और अपने खेतों में इसकी खेती की। श्रीकांत कहते हैं कि असम में कुछ जन -जातियाँ इस चावल की खेती करती है, वे लोग इसे बहुत पसंद करते है। ये चावल की फसल लगभग 145 दिनों में पक कर तैयार होती है और सेहत के लिए ये चावल बहुत फ़ायदेमंद साबित है।

इस तरह के चावल को असम के कई इलाकों में गुड, केला, दही के साथ कहना पसंद करते हैं। श्रीकांत ने इस चावल को एक इलाक़े से दूसरे इलाक़े में असम से बीज लाकर बोया और खेती की। अभी इस चावल को वो वास्तविक दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है, जो इसे मिलना चाहिए। ये चावल पचने में बहुत आसान होता है। ये हल्का होता है, इसमें कोई दुर्गंध या कोई अन्य पदार्थ नहीं मिला होता है, जिसके कारण ये बहु उपयोगी है। इसको पकाने में कोई ऊर्जा नहीं लगती। जिससे ऊर्जा की बचत होती है और प्रदूषण से भी बचाव होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा कम होती है, जिससे मोटापा भी नहीं बढ़ता है, पेट नहीं फूलता है। जब इसको वास्तविक दर्जा मिल जाएगा तब ये चावल सबका मन पसंदीदा चावल बन जाएगा।

सीमा मोहन