करवा चौथ पूजा मुहूर्त, व्रत करने का नियम

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करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 13 अक्टूबर, 2022 की शाम 05 बजकर 54 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक……. अवधि: 1 घंटा 09 मिनट…….  चंद्रोदय: 13 अक्टूबर, 2022 की शाम 08 बजकर 10 मिनट पर……. अब बात करते हैं कि जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत करने जा रही हैं, उन्हें किन-किन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए।

पहली बार करवा चौथ व्रत करने के नियम : सोलह श्रृंगार- करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। ऐसे में करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करें, जैसे कि हाथों में मेहंदी लगाएं और पूरा श्रृंगार करें। मान्यता है कि ऐसा करने से चौथ माता प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।

लाल रंग के कपड़े: करवा चौथ के दिन लाल रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है। जो महिलाएं पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं, उन्हें शादी का जोड़ा पहनना चाहिए। हालांकि लाल रंग की कोई अन्य ड्रेस भी पहनी जा सकती है। लेकिन भूल कर भी काले, भूरे या सफ़ेद रंग के कपड़े न पहनें।

जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत करती हैं, उनके मायके से बाया भेजा जाता है। जिसमें कपड़े, मिठाइयां एवं फल आदि होते हैं। शाम की पूजा से पहले बाया हर हाल में पहुँच जाना चाहिए।

व्रत पारण: पूजा, चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद प्रसाद खाएं और अपने पति के हाथों से पानी पानी पीकर व्रत का पारण करें। रात में सिर्फ़ सात्विक भोजन ही करें। प्याज़, लहसुन जैसे तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करें।

कुंवारी कन्याओं के लिए करवा चौथ व्रत करने के नियम : हिन्दू धर्म में कुंवारी/अविवाहित कन्याओं के लिए भी करवा चौथ व्रत करने का प्रावधान है, मगर इसके नियम काफ़ी अलग होते हैं। ऐसे में जो कुंवारी कन्याएं करवा चौथ व्रत करना चाहिए हैं, उन्हें नीचे लिखी हुई बातों का ख़्याल रखना चाहिए।

निर्जला व्रत न करें: नियमानुसार देखा जाए तो विवाहित महिलाएं अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर इस व्रत का पारण करती हैं, इसलिए अविवाहित कन्याओं को निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा कुंवारी कन्याओं के लिए सरगी (सास द्वारा तैयार किया गया भोजन) तैयार करने का नियम भी नहीं है, इसलिए निर्जला व्रत करना उचित नहीं माना जाता है।

चंद्रमा की पूजा न करें: चंद्र पूजन करने का विधान सिर्फ़ विवाहित महिलाओं के लिए है, इसलिए कुंवारी कन्याएं चंद्रमा का पूजन न करें। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर किस भगवान की पूजा की जानी चाहिए? तो इसका उत्तर है कि करवा चौथ के दिन कुंवारी महिलाओं को माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत न खोलें: कुंवारी कन्याओं के लिए चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलने का कोई नियम है क्योंकि यह नियम सिर्फ़ विवाहित महिलाओं पर लागू होता है। कुंवारी कन्याएं चंद्रोदय के समय माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने के बाद व्रत का पारण कर सकती हैं।

छलनी से चंद्र दर्शन न करें: करवा चौथ के दिन कुंवारी कन्याओं को छलनी से चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह परंपरा केवल विवाहित महिलाओं के लिए होती है।