प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2021 का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया। शिखर सम्मेलन की थीम ‘अपने साझा भविष्य को पुनर्परिभाषित करना: सभी के लिए संरक्षित और सुरक्षित वातावरण’ है।प्रधानमंत्री ने इस गति को बनाए रखने के लिए टीईआरआई को बधाई दी और कहा कि ऐसे वैश्विक मंच हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए बहुत जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि दो चीजें परिभाषित करेंगी कि आने वाले वक्त में मानवता की विकास यात्रा कैसे सामने आएगी। पहला अपने लोगों का स्वास्थ्य है। दूसरा हमारी पृथ्वी का स्वास्थ्य है, दोनों आपस में जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि हम सब यहां पृथ्वी के स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए एकत्रित हुए हैं। हम जिस चुनौती के स्तर का सामना करते हैं, वे व्यापक रूप से चर्चित हैं। लेकिन, हम पारंपरिक दृष्टिकोण से अपने सामने आने वाली समस्याएं नहीं सुलझा सकते हैं। आधुनिक समय की जरूरत है कि हम तय खांचे से हटकर सोचे, अपने युवाओं में निवेश करें और सतत विकास की दिशा में काम करें।
प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष के लिए जलवायु न्याय पर जोर दिया। जलवायु न्याय, ट्रस्टीशिप के दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसमें विकास सबसे गरीब व्यक्ति के साथ सहानुभूति के साथ आता है। जलवायु न्याय का अर्थ विकासशील देशों को विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह देना भी है। जब हम में से हर कोई अपने व्यक्तिगत और सामूहिक कर्तव्यों को समझे, जलवायु न्याय हासिल हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत के इरादे के पीछे ठोस पहल का समर्थन है। उत्साही सार्वजनिक प्रयासों से प्रेरित, हम पेरिस संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों को पार करने के रास्ते पर हैं। हम 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता 33 से 35 प्रतिशत तक घटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत, भूमि क्षरण तटस्थता संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को लेकर लगातार प्रगति कर रहा है। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा भी रफ्तार पकड़ रही है। हम 2030 तक 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करने के रास्ते पर अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने ध्यान दिलाया कि अक्सर निरंतरता (सस्टेनेबिलिटी) पर होने वाली बातचीत हरित ऊर्जा पर केंद्रित हो जाती है, लेकिन हरित ऊर्जा तो सिर्फ साधन है। हमें जिस लक्ष्य की तलाश है, वह हरी-भरी धरती है। वनों और हरियाली के प्रति हमारी संस्कृति का गहरा सम्मान उत्कृष्ट नतीजों में बदल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सतत विकास पाने के हमारे अभियान में पशु संरक्षण पर विशेष ध्यान देना शामिल है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच से सात वर्षों में, शेर, बाघ, तेंदुए और गंगा नदी की डॉल्फिन की आबादी बढ़ गई है।
प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों का ध्यान दो पहलुओं पर खींचा: एकजुटता और नवाचार। उन्होंने कहा कि सतत विकास केवल सामूहिक प्रयासों से ही हासिल हो पाएगा। जब सभी व्यक्ति राष्ट्र का भला सोचें, जब सभी देश वैश्विक कल्याण के बारे में सोचें, तभी सतत विकास एक वास्तविकता बन पाएगा। भारत ने इस दिशा में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से एक प्रयास किया है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अपने मस्तिष्क और राष्ट्र को दुनिया के सर्वोत्तम कार्यव्यवहार के लिए खुला रखने का अनुरोध किया।
नवाचार के बारे में, उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण अनुकूल तकनीक और अन्य मुद्दों पर कई स्टार्ट-अप्स काम कर रहे हैं। एक नीति निर्माताओं के रूप में, हमें इन विभिन्न प्रयासों का समर्थन करना चाहिए। हमारे युवाओं की ऊर्जा निश्चित रूप से उत्कृष्ट परिणामों की तरफ ले जाएगी।
प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन क्षमताओं का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए मानव संसाधन के विकास और तकनीक पर ध्यान देने की जरूरत है। कोलिएशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर के साझेदार के रूप में, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत आगे सतत विकास के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार है। हमारा मानव केंद्रित दृष्टिकोण वैश्विक कल्याण के लिए शक्ति को कई गुना बढ़ाने वाला बन सकता है।
इस अवसर पर महामहिम डॉ. मोहम्मद इरफान, गुयाना सहकारी गणराज्य के राष्ट्रपति, जेम्स मारपे, पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री मोहम्मद नशीद, पीपुल्स मजलिस के स्पीकर, मालदीव गणराज्य सुश्री अमीना जे मोहम्मद, उप-महासचिव, संयुक्त राष्ट्र, और प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री उपस्थित रहे।