हाई प्रीमियम के लद गए दिन,धरे रहे ५५ हजार करोड़ के आईपीओ… कहते हैं वक्त बदलते देर नहीं लगती। ऐसा ही कुछ बदलाव शेयर मार्केट और इसकी रीढ़ समझे जाने वाले निवेशकों के रुख में देखने को मिला है। हाई प्रीमियम आईपीओ के दिन लद चुके हैं, इनसे निवेशकों का काफी कुछ मोह-भंग हुआ लगता है। कारणों को आगे समझेंगे, पहले तो यह यह सच साझा करते हैं कि तीन वजहों से पिछले पंद्रह-सोलह महीनों में ढेर सारे प्रमोटर चाहकर भी निवेशकों के पास नहीं फटक सके, नतीजतन पचपन हजार करोड़ रुपए मुट्ठी से दूर रहे, सारी मेहनत-मशक्कत बेकार गई, मंसूबे धरे के धरे रह गए।
शेयर मार्केट ट्रेंड पर चलता है और ट्रेंड निर्भर करता है थोड़े से कारणों पर। घरेलू और वैश्विक आर्थिक-राजनैतिक हालात, उद्योग विशेष से जुड़ी स्थितियां, पूंजी बाजार के माध्यकों तथा प्रमोटर कंपनियों की नीयत और इनके साथ -साथ निवेशकों को निवेश पर मिलने वाला रिटर्न। ये सभी एक दूसरे के कारण भी बनते हैं और परिणाम भी, आपस में गुंथे हैं चेन की तरह। हाई प्रीमयम के दो प्रमुख कारक होते हैं प्रमोटरों के साथ इन्वेस्टमेंट बैंकरों की हवस, ये दोनों की मिलीभगत निवेशकों को सूली पर चढ़ाने का काम करती है। ऐसे प्रमोटर कंपनियों के आईपीओ धन बटोरने में सफल हो भी जाते हैं तो लिस्टिंग होने पर न केवल निवेशकों को तगड़ी चपत लगाते हैं पूरे शेयर बाजार के सेंटिमेंट्स बिगाड़ देते हैं जैसाकि पिछले साल ताबड़तोड़ आए दो मेगा आईपीओ ने किया पहले पेटीएम ने और उसके बाद एलआईसी ने, इतना समय गुजर गया इन दोनों के शेयरों के भाव आईपीओ प्राइस के स्तर पर तो आना सपना है उसके आधे पौने तक भी नहीं पहुंच पाए।
हाई प्रीमियम आईपीओ में पूंजी गंवाने वाले निवेशकों और जोखिम लेने से कतरा रहे हैं। जलेभुने निवेशकों ने खास तौर पर फाइनेंशियल सर्विसेज प्रोवाइडर कंपनियों, फिनटेक, एनबीएफसी और स्माल फाइनेंस बैंकों के आईपीओ को बायबाय करने की रणनीति अपनाई है। 2022_23 यानी बीते वित्तीय वर्ष में फरवरी में फैब इंडिया के प्रमोटरों ने बाजार स्थितियों का हवाला देते हुए सेबी में दाखिल किए जा चुके अपने 4 हजार करोड़ रुपए के रेड हेरिंग प्राॅसपेक्टस को वापस ले लिया। गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस के ५ हजार करोड़ रुपए के आईपीओ प्रस्ताव को सेबी ने वापस कर दिया। जबकि सेबी से स्वीकृति मिलने के बावजूद एसेफ स्माल फाइनेंस बैंक 998 करोड़ रुपए, आरोहण फाइनेंशियल सर्विस (माइक्रो फाइनेंस /एनबीएफसी) 1800 करोड़ रुपए, एटीएम समाधान देने वाली इंडिया पेमेंट्स 2 हजार करोड़ रुपए, कैपिटल स्माल फाइनेंस बैंक 1 हजार करोड़ रुपए, वन मोबिक्विक सिस्टम्स 1900 करोड़ रुपए, उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक 1350 करोड़ रुपए, फिनकेयर स्माल फाइनेंस बैंक 1330 करोड़ रुपए, जन स्माल फाइनेंस बैंक 1100 करोड़ रुपए, नार्दर्न आर्क कैपिटल (एनबीएफसी) 1800 करोड़ रुपए के आईपीओ प्रमोटरों ने वापस ले लिए। जाॅय अलुक्कास के 2300 करोड़ रुपए के आईपीओ का भी यही हश्र हुआ।
इस तरह से विभिन्न परियोजनाओं के लिए समग्र रूप से 55 हजार करोड़ रुपए से ज्यादाकी धनराशि जुटाने को तीन दर्जन से अधिक आईपीओ पिछले वित्तीय वर्ष में पूंजी बाजार का मुंह नहीं देख सके और परिणाम स्वरूप ख्वाब पूरे करने के उत्साह से भरे उद्यमीप्रमोटरों की मंशा अधूरी रह गईं।
प्रणतेश बाजपेयी