सावधान ! लोन देने वाले चीनी एप्स कर रहे डिजिटल ठगी

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फटाफट लोन देने वाले चीनी एप्स कर रहे डिजिटल ठगी इधर धन के सख्त जरूरतमंदों को लोभजाल में फंसाकर ठगी खूब की जा रही है। बिना किसी वैधानिक आधार के डिजिटल प्लेटफार्म पर सक्रिय एप्स कुछ मिनटों में आनलाइन पर्सनल लोन पास कर देते हैं और ऋणराशि का भुगतान भी कर देते हैं। जानकारी के अभाव से ग्रस्त लोग इन डिजिटल ठगों का शिकार बनते हैं। डिजिटल ठगों की संख्या सैकड़ों में है और ये करोड़ों रुपए की ठगी कर चुके हैं। घर बैठे सिर्फ आधार, पैन और बैंक खाते का ब्यौरा देकर लोन पाना बहुत आसान सा लगने वाला फंडा लाखों लोगों को शिकार बना रहा है।

गूगल प्ले स्टोर पर हर रोज लोन देने वाले नएनए एप्लीकेशन (एप) दिखाई पड़ते हैं। धन की तत्काल जरूरत वाले लोग इनकी तरफ आकर्षित होते हैं। मोबाइल फोन की स्क्रीन पर एक क्लिक करते ही एप के बताए कालम पर उनके द्वारा मांगे गए डिटेल्स भर कर सेंड कर दीजिए और फटाफट लोन क्लियर हो जाता है। यह पढ़ते ही आवेदक खुशी से झूम उठता है। उसकी यह खुशी पानी के बुलबुले जैसी होती है जैसे ही उसे यह मैसेज मिलता है कि प्रोसेसिंग फीस के नाम पर अच्छा खासा एमाउंट उसे मिलने वाली ऋणराशि से काट लिया गया है। आगे ऋण राशि पर ब्याज भरने की बारी आती है। इनकी ब्याज दरें तो अंग्रेजी राज में महाजनों की सूदखोरी को भी मात देती है। चौकिए नहीं, 120-150से लेकर 180 प्रतिशत की दर से सूद वसूली की जाती है।

जाहिर है कि सूद चुकाने में इनसे ली गई मूल‌ऋण धनराशि से कई गुना रकम भरना आफत बन जाता है, लेनदार कर्ज के मकड़जाल में फंस जाते हैं। सूद भरने में आनाकानी करने पर कर्जदार को धमकाया जाता है, इनके एजेंट कर्जदारों का उत्पीड़न करते हैं, और भी ऐसे हथकंडे अपनाए जाते हैं कि कर्जदार आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला ही समाप्त कर डालता है। आत्महत्या के दो- चार -पांच नही दसियों मामले हो चुके हैं और आनरिकाॅर्ड हैं। पीड़ित परिवारीजनों की तरफ से शिकायतें भी दर्ज कराई गई हैं, पुलिस रिकार्ड में हैं।

मामलों की गंभीरता देखते हुए महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, आंध्र , तेलंगाना सहित कई राज्यों की पुलिस, डाइरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, एनफोर्समेंट डाइरेक्टरेट (ईडी) और इनकम टैक्स विभाग इनकी जांच- पड़ताल कर रहे हैं। कंपनी कार्य मंत्रालय में 720 सेअधिक शिकायतें दर्ज़ हुई हैं। ईडी चीनी कंपनियों से संबद्ध फिनटेक कंपनियों की 240 करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य की परिसंपत्तियों को अपने कब्जे में ले चुका है, कर चोरी भी पकड़ी गई है।

गृह मंत्रालय के निर्देश पर इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय अब तक 1200 से अधिक ऐसे एप्स को बैन कर चुका है, इनमें से ढाई सौ से अधिक एप्स का संचालन चीनी कंपनियां करती पाई गईं, इनमें से 135 एप्स फुटबाल, क्रिकेट मैचों को लेकर बेटिंग कराने में सक्रिय पाए गए। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट से इनकी संलिप्तता मनी लांड्रिंग में भी उजागर हुई है। जांचों से यह भी खुलासा हुआ है कि इन एप्स को संचालित करने वाली कंपनियां और खासकर चीन की कंपनियां, भारतीय़ एनबीएफसी से गठजोड़ करके और उनको आगे करके यह गोरखधंधा करती पाई गईं यानी कि ऋणों का वितरण एनबीएफसी करती थीं और बदले में इन्हें कमीशन मिलता था।

प्रतिबंधित किए गए सभी एप्स के नाम यहां पर (स्थानाभाव के कारण) देना संभव नहीं है। फिर भी कुछ प्रमुख एप्स के नाम दे रहे हैं। Alpari, Expert Option, AnyFx, etoro, Av Trade, Binono, Exness, FBS, Forex.com, Forex4 money, Foxorex, FTmo, FxPrimus, FxStreet, FxNice, FxTm, XM, ibellMarkets, HotForx, ICMarkets, IQOption, Olymp Trade, XTB, OctaFx, TDAmeritrade UrbanForex आदि।

देश में डिजिटल लोनिंग केक्षेत्र में एक संगठन सक्रिय है। इसका नाम डिजिटल लेंडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया है (डीएलएआई)। इसके पचासी से अधिक सदस्य (कंपनियां) हैं जिनमें प्रमुख रूप से फिनटेक कंपनियां (नईटेक्नोलॉजी से वित्तीय कार्य करने वाली) स्टार्ट्सअप, एनबीएफसी, माइक्रो फाइनेंसिंग और कुछ अन्य वित्तीय संगठन हैं। बंगलुरु में 2016 में स्थापित डीएलएआई के सह -संस्थापक- अध्यक्ष शशांक रामसुब्बन ऋष्यश्रंग के अनुसार एसोसिएशन से संबद्ध सदस्यों से जुड़े ग्राहकों की संख्या 40 लाख से अधिक है।

उनसे यह जानकारी मिली कि एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा डिजिटल प्लेटफार्म से सालाना पैंसठ-सत्तर हजार करोड़ रुपए की लोनिंग होती है। इनका कहना है कि एसोसिएशन के सदस्य रिजर्व बैंक के नियमों के दायरे में रहकर ही नई टेक्नोलॉजी के जरिए काम करने की नीति का अनुसरण करते हैं, लेकिन ऐसे एप्स के कारनामों से बदनाम पूरा डिजिटल लोनिंग उद्योग होता है, उनका कहना है कि रिजर्व बैंक दागी और प्रतिबंधित एप्स की सूचना जारी करता है। लोगों को रिजर्व बैंक द्वारा अधिकृत एप्स से ही ट्रांज़ैक्शन्स करने चाहिए।

प्रणतेश बाजपेयी