भाजपा के लिए अचानक महत्वपूर्ण हो गईं अपर्णा

ताजपोशी से भाजपा को मिले आम के आम और गुठलियों के दाम.. यूपी में समाजवादी पार्टी के मजबूत होते ही भाजपा ने महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया मुलायम सिंह की छोटी बहू को... अपर्णा ने छोटे पद की बात की तो सूबे के मंत्री को मनाने के लिए भेजा, मुख्यमंत्री ने खुद मुलाकात की तब बात बनी..... पार्टी में कद बढ़ा, अब भाजपा और चाचा शिवपाल यादव के बीच संदेशवाहक की भूमिका में हैं अपर्णा यादव

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लखनऊ। भाजपा में अपर्णा यादव का महत्व अचानक बढ़ गया है। हालांकि जब भाजपा ने उन्हें यूपी महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाया तो उन्हें यह पद अपने कद के अनुरूप नहीं लगा। उन्होंने काफी दिनों तक पदभार ग्रहण नहीं किया। फिर उन्हें मनाने प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर सिंह को भेजा गया। बात गृहमंत्री अमित शाह तक भी पहुंची तो मुख्यमंत्री योगी ने अपर्णा को बुलाकर मुलाकात की। खबर है कि उन्हें कहा गया है कि अभी आप यह पद ग्रहण कीजिए। बाद में आपका और बेहतर समायोजन किया जाएगा। इसके बाद अपर्णा यादव ने फिलहाल महिला आयोग का उपाध्यक्ष पद ज्वाइन कर लिया है। पर इस प्रकरण के बाद वे विजेता बनकर उभरी हैं। भाजपा में उनकी अहमियत बढ़ गई है। महिला आयोग में चार्ज लेते ही अपर्णा ने अखिलेश यादव पर हमला बोला और कहा कि पुलिस सबकी सुरक्षा के लिए है। वह सिर्फ बदमाशों का एनकाउंटर करती है।

राजनीति भी बड़ी अजीब होती है। कब किसको आसमान पर चढ़ा दे और कब नीचे गिरा दे, कोई नहीं जानता। अब अपर्णा यादव को ही ले लीजिए। लगभग ढाई साल पूर्व भाजपा में शामिल हुईं अपर्णा यादव का पार्टी इसके पहले तक कोई समायोजन नहीं कर पायी थी। भाजपा यूपी में हाफ क्या हुई, अपर्णा के भाग्य खुल गये। इसके पहले कि वे भाजपा छोड़ कर फिर सपा में जाएं पार्टी ने उन्हें यूपी महिला आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया। हालांकि अपर्णा यादव को यह समायोजन अपने कद के अनुरूप नहीं लगा और उन्होंने काफी दिनों तक पदभार नहीं संभाला। पर समय रहते मुख्यमंत्री योगी के हस्तक्षेप के बाद मामला निपटा लिया गया है। ऐसे में अपर्णा यादव इस समय भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण दिख रही हैं। पार्टी ने उन्हें दिवंगत समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के चेहरे के रूप में सजा रखा है जो पिछड़े वर्ग से भी आती हैं। उनके साथ मुलायम सिंह यादव का नाम भी जुड़ा हुआ है, इसलिए महत्वपूर्ण हैं। ख़ैर, भाजपा द्वारा उनकी नाराजगी को गंभीरता से लेना और उन्हें मनाना पार्टी में उनके बढ़ते कद का परिचायक है। साथ ही समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव से अपर्णा यादव के अच्छे संबंधों के के चलते वे भाजपा और शिवपाल यादव के बीच मैसेंजर के रूप में भी देखी जा रही हैं।

एक कहावत है कि पांव उतना ही फैलाना चाहिए जितनी बड़ी चादर हो अन्यथा पैरों में ठंड लगनी शुरू हो जाती है। ऐसा ही कुछ अपर्णा यादव के साथ भी हो सकता था। लेकिन भाजपा ने अपर्णा यादव की अहमियत समझी और समय रहते उनकी नाराजगी की बात को संभाल लिया। योगी ने भी उनकी नाराजगी की कद्र की और खुद बात करके डैमेज कंट्रोल कर लिया। सूत्रों का कहना है कि अपर्णा से कहा गया है कि फिलहाल वे इस पद को स्वीकार कर लें और बाद में उनका इससे बेहतर समायोजन किया जाएगा। उन्हें समझाया गया है कि अभी कोई परिवर्तन करने से गलत संदेश जाएगा। वैसे भी यह भाजपा की परम्परा के खिलाफ है। अपर्णा यादव को भी यह बात समझ में आ गई है। और उन्होंने महिला आयोग का उपाध्यक्ष पद स्वीकार कर लिया है।

यूपी सरकार की तरफ से इस नियुक्ति की अधिसूचना काफी दिनों पहले ही हो गई थी। पर अपर्णा को यह पद अपने अनुरूप नहीं लग रहा था। उनका मानना था कि वे इससे बड़ा पद डिजर्व करती हैं। चर्चा है कि योगी के ही निर्देश पर प्रदेश के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर सिंह उनको मनाने उनके घर भी जा गये। बाद में अपर्णा यादव की बात गृहमंत्री अमित शाह तक भी पहुंची। उनकी फोन पर उनसे बात भी हुई। पर भाजपा की जैसी कार्यप्रणाली है उसके अनुसार किसी को भी दिए गए प्रोफाइल में तत्काल बदलाव अच्छी परंपरा नहीं मानी जाती है। और हुआ भी यही। बहरहाल अपर्णा ने बुधवार 11 सितंबर को महिला आयोग में अपना चार्ज लेकर काम शुरू कर दिया है। उन्होंने पहले ही बयान में अखिलेश यादव को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पुलिस बेवजह एनकाउंटर नहीं करती। उसके निशाने पर हमेशा बदमाश ही रहते हैं। पुलिस हम सब की सुरक्षा के लिए है। मंगेश यादव के एनकाउंटर पर बेवजह राजनीति की जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी नाराज़गी की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि मैं ज्वाइन करने के लिए किसी अच्छे दिन का इंतजार कर रही थी।

अब अपर्णा यादव चाहें जो भी बयान अपनी सफाई में दें लेकिन उनकी नाराजगी के बीच उनके समाजवादी पार्टी में जाने की अटकलें भी शुरू हो गई थीं। अपर्णा यादव ने अपनी नियुक्ति के बाद जब चाचा शिवपाल यादव से उनके घर जाकर आशीर्वाद लिया तो इस नाराजगी की चर्चा को और बल मिला। गांधी परिवार के बाद भाजपा में मुलायम सिंह यादव के परिवार की अपर्णा यादव के जरिए इंट्री तो 2022 के विधानसभा चुनाव के समय ही हो गई थी किंतु उन्हें औपचारिक सम्मान मंगलवार दिनांक 3 सितंबर 2024 को मिला । इसके पूर्व भी अपर्णा यादव के विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने की खबरें उड़ीं किंतु वे सच नहीं हुईं। अपने जेठ अखिलेश यादव से बगावत करने के बाद ढाई साल पहले अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो गईं थीं। तब से वो खामोशी से पार्टी के लिए मेहनत करती रहीं और बिना शिकायत काम करती रहीं। अपर्णा यादव मुलायम की दूसरी पत्नी साधना के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। उनको अखिलेश यादव ने 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के टिकट पर लखनऊ कैंट से उतारा था किंतु वे भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने हार गई थीं। इसके बाद अगले चुनाव यानी 2022 से ठीक पहले अपर्णा अचानक भाजपा में शामिल हो गईं। तब माना जा रहा था कि उन्हें दोबारा लखनऊ कैंट से भाजपा भी मौका दे सकती है। पर तब से लेकर अब तक अपर्णा को कहीं कोई मौका नहीं दिया गया था। इस दौरान वे भाजपा के प्रचार के लिए भी उतरीं लेकिन मेनका और वरुण गांधी की तरह वे भी अपनी जेठानी डिंपल यादव और जेठ अखिलेश यादव के खिलाफ प्रचार से दूर ही रहीं। इससे यह माना जा रहा है कि वे परिवार से रिश्ता एक दम खत्म नहीं करना चाहती हैं। यानी वे बारगेनिंग ताकत बनाए रखना चाहती हैं।

अब जब एक बार फिर सपा यूपी में ताकतवर हुई है तो भाजपा ठीक विधानसभा उपचुनाव के पूर्व अपर्णा को गंवाने का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। इससे पिछड़े वर्ग में गलत संदेश जाने का खतरा था। ऐसे में उनकी मुराद पूरी करने का आश्वासन देकर उन्हें मना लिया गया है। अपर्णा यादव को इस वक्त भाजपा में महत्व मिलने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। लोग इसे अपर्णा यादव को खुश करने का भाजपा का प्रयास बता रहे हैं। हुआ यह कि अपनी नियुक्ति के बाद वे नाराज होकर चाचा ससुर शिवपाल यादव के घर जाकर आशीर्वाद लेने गयीं। इसकी फोटो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई है। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। सूत्रों का कहना है कि वे नाराजगी में सपा में प्रवेश के दरवाजे खोलने ही गयी थीं किंतु भाजपा ने समय रहते डैमेज कंट्रोल कर लिया। खैर, भाजपा में शामिल होने के बाद कई मौके आए जब अपर्णा के समायोजन की चर्चा चली। इनको डिंपल व अखिलेश यादव के ही खिलाफ उतारने की भी बातें आईं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार और सपा को मिली बड़ी कामयाबी के बाद अपर्णा यादव का महत्व बढ़ गया है। महिला आयोग का उपाध्यक्ष बनाए जाने के बाद अपर्णा यादव के शिवपाल सिंह यादव का आशीर्वाद लेने और मिलने के कदम ने यूपी की राजनीति में नई चिंगारी लगा दी थी। हालांकि इस मुलाकात का असली मकसद क्या था, इसके बारे में कुछ भी निकल कर सामने नहीं आया लेकिन कयासों का दौर जारी रहा। फिलहाल यह चैप्टर अब क्लोज लग रहा है।

अपर्णा यादव और चाचा शिवपाल की मुलाकात ऐसे समय पर हुई जब सीएम योगी पूरे यादव परिवार पर हमले कर रहे थे। यहां तक कि सीएम ने अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की तुलना भेड़ियों से कर दी थी। वहीं मैनपुरी दौरे में भी सीएम ने शिवपाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। अपर्णा यादव बीते लोकसभा चुनाव से पहले भी शिवपाल यादव से मिलने पहुंची थीं। तब भी उनके इस कदम को सपा में वापसी का प्रयास कहा गया था। राजनीतिक विश्लेषकों का एक वर्ग इस घटनाक्रम को शिवपाल यादव और भाजपा के बीच पुल के रूप में देख रहे हैं। सूत्रों के अनुसार 2022 के विधानसभा चुनाव में भी शिवपाल सिंह यादव के बारे में तमाम तरह की चर्चाएं चली थीं। लोगों का मानना था कि शिवपाल यादव ने बहुत मन से चुनाव में सपा का साथ नहीं दिया था। इसलिए सपा अच्छी स्थिति में नहीं आ पाई। अब देखना यह है कि अपर्णा यादव का यह नया प्रोफाइल भाजपा के कितने काम आ पाता है। इस पूरे मामले में खास बात यह रही कि अपर्णा यादव ने सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर अब तक कोई बयान नहीं दिया है।

उधर उल्लेखनीय बात यह है कि बीजेपी में शामिल होने के बाद भी अपर्णा यादव को परिवार के कार्यक्रमों में अक्सर देखा जाता है। मुलायम सिंह यादव के निधन के समय भी उन्हें परिवार के साथ देखा गया था। खबर है कि जल्द ही अखिलेश यादव और डिम्पल यादव से अपर्णा यादव की मुलाकात हो सकती है। नेता जी की श्रद्धांजलि सभा के मौके पर 9 अक्टूबर को भी सैफई में परिवार इकट्ठा होगा। इसके अलावा इसी जुलाई में अखिलेश यादव और डिम्पल लखनऊ में मेदांता में अपर्णा के पति प्रतीक को देखने गए थे। कहते हैं कि राजनीति संभावनाओं का खेल और आवश्यकताओं का मेल है। ऐसे में अपर्णा यादव की नियुक्ति को भी लोग इसी नजरिए और शिवपाल यादव को जोड़कर देख रहे हैं। शिवपाल यादव के बारे में मुख्यमंत्री योगी कई मंचों पर कह चुके हैं कि चचा सावधान रहिएगा, सपा वाले कभी भी आपको गच्चा दे सकते हैं। कुछ दिनों पूर्व प्रदेश में गच्चा देने की कई चर्चाओं के बीच एक बार अखिलेश यादव ने योगी से कहा था कि आपके डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कभी भी आपको गच्चा दे सकते हैं। उसी के जवाब में विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि चचा को सपा ने कोई सम्मान नहीं दिया है। चचा भले आदमी हैं और अपनी उपेक्षा को समझ नहीं पाते हैं। इसके पहले भी कई बार शिवपाल सिंह यादव की भाजपा से नजदीकियों की खबरें उड़ीं थीं।

बताया जाता है कि शिवपाल यादव भी पार्टी में आपने प्रोफाइल से खुश नहीं हैं। वे प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे परंतु अखिलेश यादव ने उन्हें नहीं बनाया। वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बनना चाहते थे, अखिलेश यादव ने नहीं बनाया। खबरें हैं कि इन्हीं सब स्थितियों को लेकर चचा शिवपाल यादव खुश नहीं हैं और मौके की तलाश में हैं। और इसमें अपर्णा यादव भाजपा में उनकी संदेशवाहक बन सकती हैं। हालांकि इधर सार्वजनिक तौर पर उन्होंने कभी भी पार्टी के खिलाफ बयान नहीं दिया है और हमेशा भाजपा की खिंचाई की है। किंतु राजनीति में जो दिखता है वो होता नहीं है और जो होता है वह दिखता नहीं है।

भाजपाई राजनीति के जानकारों का मानना है कि अपर्णा यादव को मिले महिला आयोग के उपाध्यक्ष पद में तुरंत बदलाव बहुत मुश्किल है। क्योंकि भाजपा में दबाव बनाकर पसंद का पद हासिल करना मुश्किल काम है। किंतु यह भी सच है कि राजनीति की गणित हमेशा दो दूना चार का परिणाम नहीं देती है। पद में बदलाव भाजपा में आसान तो नहीं है किंतु विशेष परिस्थितियों में कुछ भी हो सकता है। अपर्णा यादव का मामला इस पर निर्भर करता है कि वे भाजपा के लिए कितनी फायदेमंद हैं। अपर्णा यादव की जिद में रिस्क तो है।

अपर्णा वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छता अभियान से काफी प्रेरित हुई थीं। जिसके बाद वे पीएम से मिली थीं। बात अपर्णा यादव के कैरियर की करें तो राजनीति विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने के लिए मैनचेस्टर विश्वविद्यालय इंग्लैंड में दाखिला लिया। वहां से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद अपर्णा ने प्रतीक यादव से शादी करने का फैसला किया। दोनों तरफ इस शादी का शुरुआती विरोध हुआ लेकिन प्रतीक की मां साधना के समझाने के बाद मुलायम सिंह यादव इस रिश्ते के लिए मान गए। फिर दोनों परिवारों की सहमति से दिसंबर 2011 में शादी हुई। उनकी शादी में अमिताभ बच्चन और उनकी पत्नी जया बच्चन भी आशीर्वाद देने आए थे। अपर्णा यादव वरिष्ठ पत्रकार अरविंद सिंह बिष्ट की बेटी हैं।

गौरव शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार