बच्चों में मिट्टी खाना एक बहुत ही सामान्य बात है। बच्चों की इस समस्या के कारण निदान और उपचार के बारे में विस्तृत रूप से डॉक्टर रजनी पोरवाल श्रीनाथ चिकित्सालय भगवत दास रोड कानपुर ने घरेलू किंतु अत्यंत लाभकारी समाधान सुझाया है।
मिट्टी खाने के कारण : छोटे बच्चों में मिट्टी खाने का कोई एक कारण नहीं है। अलग-अलग क्षेत्र, अलग-अलग संभाग में भौगोलिक परिस्थितियों जलवायु, आहार-विहार पारिवारिक खानपान, पारिवारिक वातावरण और व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ घर परिवार के सदस्यों का आपसी सामंजस्य और व्यवहार भी अप्रत्यक्ष रूप से छोटे बच्चों में मिट्टी खाने का एक कारण हो सकता है।
बच्चों में कोई आनुवंशिक बीमारी, कुपोषण, पेट में कीड़े होना, ऑटिज्म और बौद्धिक विकास में कमी के साथ-साथ किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने पर भी बच्चे इस खराब लत का शिकार हो जाते हैं।
श्वेत जहर है चीनी : बच्चों को ज्यादा चीनी ना दे। दूध में श्वेत चीनी की मात्रा कम से कम रखें क्योंकि चीनी को पचाने के लिए अतिरिक्त मात्रा में कैल्शियम की जरूरत होती है। जिसकी पूर्ति शरीर कोमल हड्डियों और दांतो से लेकर करता है। यही कारण है कि ज्यादा मिठाई चॉकलेट टॉफी बिस्किट जंक फूड खाने पर चीनी की जरूरत से ज्यादा मात्रा शरीर मे पहुंच जाती है। ज्यादा चीनी खाने वाले ऐसे बच्चों के दांत और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। यही कारण है कैल्शियम के अभाव में बच्चे मिट्टी खाना या चूने की दीवारों को चाटना चूने को खरोच कर खाना शुरु कर देते हैं।
उपचार भी जानिए : बच्चे को उसकी उम्र और भूख के अनुसार पका केला शहद के साथ दिन में दो या तीन बार नियमित रूप से खिलाएं। पिसे हुए तिल को लड्डू बनाकर या शहद में मिलाकर दूध के साथ दें। दाल के पानी में थोड़ा सा घी और नींबू डाल कर पिलाना भी एक श्रेष्ठ उपाय है। आंवले का मुरब्बा या आंवले का रस पिलाने से बच्चों के मिट्टी खाने की लत के कारण पेट में जो मिट्टी जमा हो जाती है। वह स्टमक व आंतों से धीरे धीरे पेट से बाहर निकल जाती है क्योंकि आंवले का रस या मुरब्बा पिलाने से दिन में दो या तीन पतले दस्त आते हैं और इनके साथ पेट मे जमा गन्दी बदबूदार मिट्टी या अन्य अवशिष्ट मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
एलोवेरा का जेल छोटी इलायची का चूर्ण शहद में मिलाकर दिन में दो बार चटाने से बच्चों का संपूर्ण आंतरिक विकास अच्छी तरीके से होता है और मिट्टी खाने से शरीर के आंतरिक अंगों को हुई क्षति की सहजता से पूर्ति हो जाती है।
यह भी ध्यान दें : बच्चों को कृतिम प्रोटीन पाउडर जून में सिंथेटिक कलर कीटनाशक और विभिन्न प्रकार की रसायन पड़े रहते हैं। उनको उनका सेवन बिल्कुल ना करें कराएं बच्चों को टीवी और मोबाइल के साथ साथ आउटडोर गेम्स मैं भी सहभागिता कराएं उछल कूद दौड़ भाग बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ही नहीं उनके अच्छे विकास के लिए भी आवश्यक है।
आहार में परिवर्तन भी बहुत आवश्यक है : छोटे बच्चों को मौसम के फलों का थोड़ी मात्रा में रस या फल जरूर दे। टमाटर का रस देने से कैल्शियम के साथ-साथ लाइकोपिन की मात्रा शरीर में पहुंचकर विभिन्न बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। हरी पत्तेदार सब्जी या पालक का लहसुन डालकर बनाया सूप छोटे नौनिहालों की सेहत का खजाना तो है ही यह मिट्टी खाने की बुरी लत से भी छुटकारा दिलाता है। सूखे मेवे मूंगफली तिल की गजक भी 2 वर्ष की उम्र के बाद बच्चों को जरूर दे।
सोयाबीन का दूध अमृत है : अंकुरित सोयाबीन को थोड़े से पानी के साथ मिक्सी में अच्छी तरह पीसकर छान लें और पीसने के तुरंत बाद शहद मिलाकर या गुड़ के साथ बच्चे को पिला दे बच्चे के संपूर्ण स्वाद स्वास्थ उसके ग्रोथ, हाइट,बुद्धि कौशल में वृद्धि के साथ शरीर की रक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाता है। और मिट्टी या चूना खाने की बुरी से बुरी आदत को भी पूरी तरह ठीक करने का यह बहुत कारगर उपाय है।