खाने-पीने के सामान के आॅडर लेकर होम डिलीवरी करने वाली बहुचर्चित फूड टेक कंपनी ज़ोमैटो लिमिटेड में निवेश करने वालों के इंतजार की घड़ियां खत्म हो चुकीं, 9375 करोड़ रु के आईपीओ में निवेशकों को शेयर एलाॅट होने की भरपूर संभावनाएं हैं। 14 से 16 जुलाई तक खुले रहने वाले आईपीओ में 1 रु की फ़ेस वैल्यू का शेयर 72-76 रु के दायरे में एलाॅट करने की योजना है। जिसके तहत निवेशकों को न्यूनतम 195 शेयरों को हासिल करने के लिए 14820 रु की राशि के साथ आवेदन करना होगा।
ज़ोमैटो के शेयर बीएसई पर लिस्ट कराए जाएंगे। पंकज चड्ढा ने गुंजन पाटीदार, आकृति चोपड़ा और गौरव गुप्ता के साथ डीसी फूडीबे आॅनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की थी। जनवरी 2010 में एनसीटी दिल्ली हरियाणा रजिस्ट्रार में इसका पंजीकरण कराया गया। पहली बार नाम बदल कर ज़ोमैटो मीडिया प्रा. लि. दोबारा, 2020 अप्रैल में ज़ोमैटो प्रा लि. और तीसरी बार 2021अप्रैल में ज़ोमैटो लिमिटेड किया गया।
ज़ोमैटो का हेडक्वार्टर दिल्ली में है और इसकी प्रबल प्रतिद्वंद्वी स्विगी है जो बंगलुरू में स्थापित अपने मुख्यालय से देशव्यापी कारोबार का संचालन करती है। ज़ोमैटो के प्रमोटरों ने करीब दो दर्जन प्रयासों में विभिन्न देशी-विदेशी निवेशकों से पूंजी जुटाई। इसके शुरुआती निवेशकों में इनफ़ो एज के संस्थापक संजीव भीकाचंदानी हैं। इनफ़ो एज ने ही नामी रोजगार पोर्टल naukri.com को प्रमोट किया था।
इसके अलावा चीनी धनाढ्य जैक मा ग्रुप की अलि पे और ऐंटफिन भी ज़ोमैटो के शुरुआती निवेशक हैं। आने वाले आईपीओ में इनफ़ो एज आॅफर फाॅर सेल के तहत अपने हिस्से के कुछ शेयरों को 375 करोड़ रु में बेंचेगी। बताते चलें कि ज़ोमैटो में 18.55 प्रतिशत शेयर पूंजी इनफ़ो एज और 16.53 प्रतिशत शेयर पूंजी अलि पे और ऐंट फ़िन की लगी हुई है। ज़ोमैटो लि. की 14 प्रत्यक्ष सब्सिडियरी कंपनियां, ज्वाइंट वेंचर और इनडाइरेक्ट मिलाकर 44 सब्सिडियरी हैं। इनमें से कुछ तो देश में ही हैं और बाकी कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, लंदन, आयरलैंड, श्रीलंका, चिली, पुर्तगाल, फिलिपींस, इंडोनेशिया और विएतनाम सहित कई अन्य देशों में हैं।
ज़ोमैटो के प्रमोटर बुक बिल्डिंग के तहत आईपीओ ला रहे हैं। कुल 9375 करोड़ रु के साइज़ में से 9000 करोड़ रु के फ्रेश शेयर जारी किए जाने हैं। शेष 375 करोड़ रु के शेयर ऑफर फाॅर सेल के तहत इनफ़ो एज अपने हिस्से के शेयर बेंचेगी। एलाॅटमेंट प्रक्रिया पूरी होने के बाद 26 जुलाई को निवेशकों के डिमैट खातों में शेयरों को ट्रांसफर करने की योजना है।
कंपनी 27 जुलाई को बीएसई पर शेयरों को लिस्ट करा देगी। मौजूदा में ग्रे मार्केट में ज़ोमैटो के शेयर का भाव 85 रु से 90 रु के बीच चल रहा है अर्थात 13-14 रु का प्रीमियम चल रहा है। ज़ोमैटो का वित्तीय प्रदर्शन बीते सालों के दौरान इस तरह रहा है, कोविड में डिलीवरी कर्मियों की कमी के कारण कारोबार का काफी नुकसान उठाना पड़ा।
हालांकि प्रबंधनखर्चों में जबरदस्त कटौती करने में सफल भी रहा। जिसके परिणाम स्वरूप घाटा बीते साल की तुलना में काफी कम हुआ। सेबी में दाखिल प्रासपेक्टस में दिए गए आंकड़ों के आधार पर कंपनी ने 2018-19, 2019-20 और 2020-21 में क्रमशः 1312 करोड़ रु, 2404 करोड़ रु और 1993 करोड़ रु का कारोबार किया तथा इन्हीं वर्षों में अन्य स्रोतों से 85 करोड़, 138 करोड़ और 124 करोड़ रु की आय प्राप्त की।
ज़ोमैटो ने 2018-19 में 1010 करोड़, 2019-20 में 2385 करोड़ और 2020-21 में 816 करोड़ रु का घाटा दर्शाया है। इसने इन तीन वर्षो में कर्मचारियों पर 600 करोड़, 798 करोड़ और 740 करोड़ रु खर्च किए। प्रबंधन ने अन्य खर्चों के नाम पर इन तीन वर्षो में 8467 करोड़ रु की भारी धनराशि खर्च जब करी ही गई तो उसका ब्यौरा निवेशकों से क्यों छिपाया गया? शेयर बाजार नियामक सेबी ऐसी कमियों पर अंकुश लगाने में अब भी परहेज़ क्यों करता है, सेबी के अफसरों की इस छिपा-छिपाई के खेल में संलिप्तता तो नहीं, कोई वजह तो होगी ही ? यदि लेखा नियम आड़े आते हैं तो उनमें संशोधन किया जाना चाहिए।
जनना ज़रूरी है कि ज़ोमैटो ने अपना आईपीओ डाक्युमेंट 28 अप्रैल को सेबी में दाखिल किया था , उसके कुछ ही दिन पहले अंतर्राष्ट्रीय ख्याति की फर्म पीडब्ल्यूसी इंडिया के पूर्व शीर्ष अधिकारी कौशिक दत्ता को कंपनी का चेयरमैन किया। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की आॅडिट फर्म डेलाॅएट हैस्किन्स ऐंड सेल्स ज़ोमैटो की आॅडीटर है। बाकी निवेशक खुद भी बहुत समझदार हैं।
भारतीय फूड डिलीवरी बाजार में दो बड़े खिलाड़ी हैं ज़ोमैटो और स्विगी, बाजार पर काबिज होने के लिए इनमें कांटे की प्रतिस्पर्धा चलती है। कभी स्विगी तो कभी ज़ोमैटो अपने मार्केट लीडर होने का दावा करती रहती हैं। स्विगी फूड के साथ ही किराना और दूध की भी घर-घर डिलीवरी करने लगी है। इसने 2019-20 में ज़ोमैटो के मुकाबले ज्यादा अर्थात 2956 करोड़ रु का कारोबार दर्ज किया था। हालांकि इसने 2018-19 में 2362 करोड़ रु की तुलना में 2019-20 में 3909 करोड़ रु का घाटा उठाया।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी