दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) और हर्षद मेहता के बहुचर्चित कांड का ग्रहण राष्ट्रीय आवास बैंक (नेशनल हाउसिंग बैंक, एनएचबी) से अभी तक मुक्त नहीं हो पाया ऊपर से एनपीए और ख़र्च में जबर्दस्त बढ़ोत्तरी, साथ में आमदनी और लाभ में अप्रत्याशित गिरावट ने इसकी बैलेंस शीट को कमजोर कर दिया है।
कोविड का दोबारा हमला बैंक की वित्तीय सेहत को चालू साल में और प्रभावित करेगा। एनएचबी का 2436 करोड़ रु डीएचएफएल में फंसा हुआ है, ये धनराशि ऋण के तौर पर दी गई थी। प्रमोटर बाज़वा ग्रुप की धोखाधड़ी की वजह से डीएचएफएल ने वर्ष 2019 के मध्य से ही हाथ खड़े कर दिए थे। एनएचबी सहित कई बैंकों वित्तीय संस्थानों, उत्तर प्रदेश सरकार के पाॅवर काॅर्पोरेशन की अरबों रु की मूल ऋण राशि और इस पर ब्याज की अदायगी ठप हो गई थी।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने नवंबर 2019 में डीएचएफएल के निदेशक बोर्ड को बर्खास्त कर दिया था। इनसाॅलवेंसी ऐंड बैंक्रप्सी कोड (आईबीसी) के तहत डीएचएफएल के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई ब्रांच में केस दर्ज हुआ और प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बावजूद एनएचबी के तत्कालीन शीर्ष प्रबंधन ने न सिर्फ डीएचएफएल को पुनर्वित्त सहायता मुहैया कराई बल्कि बकाया ऋण राशि की अदायगी से छूट देने की मंशा जताई थी।
… लेकिन रिज़र्व बैंक ने 2020 अगस्त में एनएचबी को लिखे गए पत्र में किसी तरह की रियायत देने से मना करते हुए अन्य वित्तीय संस्थानों और वाणिज्यिक बैंकों में अपनाए जाने वाले मानकों को डीएचएफएल पर सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया तब एनएचबी की फ्राॅड माॅनिटरिंग कमेटी ने बकाया रकम को ‘धोखाधड़ी’ के अंतर्गत वर्गीकृत करने की अनुशंसा की जिस पर प्रबंधन ने बकाया रकम 2436 करोड़ का पचहत्तर फीसद अर्थात 1762 करोड़ रु का प्रावधान करने का निर्णय किया।
दूसरा मामला 1991-92 में हुए हर्षद मेहता प्रतिभूति घोटाला से जुड़ा है। इस बहुचर्चित मामले में भी एनएचबी पार्टी के तौर पर फंसा था। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (एससीबी) ने अपनी रकम वसूली के लिए 1995 में हर्षद मेहता पर केस दायर किया था। मेहता से मिलने वाली रकम के बंटवारे को लेकर एससीबी और एनएचबी के बीच आपसी समझौता हुआ था। मेहता से वसूल 1645.87 करोड़ रु का आपसी बंटवारा भी हुआ लेकिन इसके अलावा 506.53 करोड़ रु की बाकी रकम में से 300.11 करोड़ रु कस्टोडियन द्वारा जारी कर देने और एससीबी ने प्राप्त कर लेने के बावजूद एनएचबी को हिस्सा नहीं दिया, मामला अभी तक नहीं सुलझा है।
तभी कोविड के कारण एनसीएलटी में सुनवाई टल गई। पीछा नहीं छूटा हर्षद मेहता और दीवान हाउसिंग घोटालों से अब एनएचबी के निराशाजनक प्रदर्शन का जायजा लेते हैं। इसकी आमदनी का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत ब्याज है। ब्याज से होने वाली इसकी आय बढ़ने के विपरीत 2018-19 में 4741 करोड़ रु से 95 करोड़ रु घटकर 2019-20 में 4646 करोड़ रु रह गई।
आय का दूसरा स्रोत निवेश है, इस मद से होने वाली आय भी 195 करोड़ रु से कम होकर 174 करोड़ रु रह गई। तीसरा स्रोत बैंकों में जमा रकम है, इस मद से होने वाली आय जरूर 47 करोड़ रु की तुलना में करीब साढ़े तीन गुना बढ़ कर 2019-20 में 165 करोड़ रु हो गई। इसकी ब्याज आय तो कमती हो गई लेकिन ब्याज व्यय कमोबेश वही रहा। 2018-19 में 3323 करोड़ रु के सापेक्ष 2019-20 में 3320 करोड़ रु। 2019-20 में इसके समग्र व्यय 4838 करोड़ रु के स्तर पर जा पहुंचे और समग्र आय 5033 करोड़ पर सीमित रही।
लाभार्जन के मोर्चे पर तो बहुत ही निराशाजनक स्थिति रही। बैंक ने 2018-19 में 733 करोड़ रु का शुद्ध लाभ कमाया था। अप्रत्याशित रूप से 73 फीसद से भी ज़्यादा लुढ़ककर 2019-20 में 196 करोड़ रह गया। शेयर पूंजी पर प्रतिफल 9.10 फीसद से घटकर एक चौथाई अर्थात 2.27 फीसद के स्तर पर आ टिका।
इसकी शेयर पूंजी 1450 करोड़ रु है। 69809 करोड़ रु की वितरित ऋण राशि पर एनएचबी की एनपीए 2019, मार्च तक 4.19 करोड़ रु के लगभग नगण्य स्तर पर थी। साल भीतर वितरित ऋण सहायता 83628 करोड़ रु तो दी गई लेकिन बेशुमार इज़ाफे के साथ 2020, मार्च अंत तक एनपीए 2499 करोड़ रु की चोटी पर जा चढ़ी। शीर्ष प्रबंधन ने एनपीए के लिए 1878 करोड़ रु का प्रावधान किया।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी