कोविड ने भारत सहित पूरी दुनिया के संपूर्ण हवाई परिवहन उद्योग को नीचे से ऊपर तक इतना जख्मी कर दिया कि वो अपने पंखों को पसार कर आकाश में स्वच्छंद उड़ान भरने के लायक नहीं रह गया है। विमान निर्माण कंपनियों से लेकर एयर लाइंस, एयरपोर्ट्स और एयर नैविगेशन सेवा प्रदाता तक को मिलाकर 35 लाख करोड़ रु का अभूतपूर्व नुकसान उठाना पड़ा है।
यात्रियों की कमी से अगले पांच-छ:महीनों में ८ हजार विमानों के खड़े होने पर 88-90 हजार पायलट के बेरोजगार होने का अंदेशा विशेषज्ञों ने जताया है। विश्व जीडीपी में वार्षिक 2.7 ट्रिलियन डालर (लगभग 4 फीसद) का योगदान करने वाले और वर्तमान में संकटग्रस्त इस उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए 12-13 लाख करोड़ रु धनराशि की जरूरत आंकी गई है।
पिछले बाईस सालों में एयर ट्रांसपोर्ट उद्योग को पांच झटके लगे। इनमें कोविड ने ‘मेगा शाॅक’ का रोल निभाया। वर्ष 1998 में एशियाई संकट, 2001 सितंबर में अमेरिका में आतंकी हमला, 2003 में सार्स प्रकोप और 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट (लेहमन), पांचवां सबसे भारी पड़ा। जानकार बताते हैं कि उद्योग विभन्न मामलों में आठ-दस से लेकर पंद्रह साल पीछे चला गया। 2019 के स्तर पर पहुंचने में कम से कम चार से छ: साल तो लग ही जाएंगे, वो भी स्थितियां सामान्य रहेंगी तभी।
अपने देश से शुरू करते हैं। भारत ने 2020 में मार्च 23-25 से हवाई सेवाए निरस्त कीं थीं। 25 मई से घरेलू सेवाएं आंशिक रूप से खुलीं और विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के मकसद से वंदे मातरम मिशन भी मई में शुरू किया गया। इंडिगो को चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल -जून 2020 में 2884 करोड़ रु, दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में 1194 करोड़ रु का नुकसान लगा और स्पाइस जेट को 600 करोड़ रु व 112 करोड़ रु, साथ ही दोनों ने वेतन में 10 से 30 फीसद कटौती लागू की। गोएयर ने अप्रैल में अपने अधिकांश स्टाफ को बगैर वेतन की छुट्टी पर भेज दिया।
विस्तारा ने भी बगैर वेतन छुट्टी कर हानि कम करने की कोशिश की। एयर इंडिया के बाबत कुछ कहने की जरूरत नहीं। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (एआईटीए), एयर पोर्ट्स कांउसिल इंटरनेशनल (एसीआई), केपीएमजी, एयरबस इंडस्ट्रीज़ और सेंटर फाॅर एविएशन (सीएपीए) सहित विभिन्न माध्यमों से जुटाई गई जानकारी से पता चलता है कि कोविड-19 में वैश्विक पर्यटन के ठंडा पड़ने से एयर ट्रांसपोर्ट उद्योग में यात्रियों का टोटा पड़ गया। साथ ही माल असबाब की हवाई ढुलाई भी प्रभावित हुई।
यूं तो छोटी मध्यम और बड़ी मिलाकर दुनिया में कोई 5 हजार एयर लाइंस हैं। इनमें से वित्तीय आधार पर सशक्त एयर लाइंस अल्पसंख्या में हैं। आय, बाजार पूंजीकरण, परिसंपत्ति (एसेट्स) के हिसाब से विश्व में सबसे धनी डेल्टा एयर लाइंस है। डेल्टा एयर लाइंस की परिसम्पत्तियां 4.32 लाख करोड़ रु है। विमानों का सबसे बड़ा बेड़ा अमेरिकन एयरलाइंस ग्रुप के पास है। इसकी परिसंपत्ति 4.24 लाख करोड़ रु है। ये दोनों अमेरिकी हैं। जर्मन कंपनी लुफ्थांसा में सबसे ज्यादा कर्मचारी हैं। परिसंपत्ति के आधार पर यह तीसरे पायदान पर आती है।
कोविड के फैलने का नतीजा यह हुआ कि थाई एयरवेज़, दक्षिण अफ्रीकी एयरवेज़, और यूरो विंग्स दिवालिया हो गईं हैं। वर्जिन एयरवेज़ ने अपने 600 पायलटों सहित 3 हजार कर्मचारियों को जबरिया छुट्टी (ले आॅफ) दे दी। लुफ्थांसा एयरलाइन 72 विमानों को दो किस्तों में खड़ा कर रही है। फिन एयरवेज़ ने 12 विमान खड़े कर 2400 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया। फिजी एयरवेज़ ने 700 कर्मचारियों को जबरिया छुट्टी दे दी।
कमोबेश यही स्थिति नार्वेज़ियन एयर लाइंस, ब्रसेल्स एयरलाइन, एयरमाॅरिशस, आईएजी (ब्रिटिश एयरवेज़), लक्स एयर रयान एयर, विज़ एयर, एचओपी, और यू (वाईओयू) की हो गई है। यात्री अभाव से ग्रस्त अमीरात एयरवेज़ ने ‘ए 380’ श्रेणी के 38 विमान खड़े कर दिए। तमाम कर्मचारियों से अवकाश लेने को भी कह दिया है। एतिहाद एयरवेज़ ने 720 कर्मचारियों को छुट्टी पर जाने का निर्देश जारी कर दिया है। स्थिति वर्ष 2008 के स्तर पर आ गई। विश्व में इस वक्त लगभग 16900 यात्री जेट सक्रिय चल रहे हैं। बारह वर्ष पूर्व 2008 में 17000 विमान आ जा रहे थे। 2019 के अंतिम दौर में 23600 विमान यात्री सेवाएं दे रहे थे।
अब विमान निर्माण क्षेत्र पर नजर डालें। शिकागो स्थित बोइंग निर्माता कंपनी के करीब 600 विमानों के खरीद आर्डर रद्द कर दिए गए। बोइंग के प्रतिद्वंद्वी फ्रांस स्थित एयरबस ग्रुप के पास 55 से अधिक नवनिर्मित विमान डिलीवरी के इंतज़ार में खड़े हुए हैं। वर्ष 2020 के शुरू में विश्व में 28 हजार से अधिक विमान यात्री परिवहन में और कोई 3 हजार विमान माल ढुलाई में लगे थे।
इंटरनेशनल सिविल एविएशन आॅर्गनागज़ेशन (आईसीएओ) के क्षेत्रवार आकड़ों से साफ होता है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक 8.4 लाख करोड़ रु का नुकसान एयर ट्रांसपोर्ट उद्योग को हुआ। यूरोप में 7 लाख करोड़ रु उ.अमेरिका में 6.16 लाख करोड़ रु, मध्य पूर्व में 1.54 लाख करोड़, लैटिन अमेरिका में 1.82 लाख करोड़ और अफ्रीका में 98 हजार करोड़ रु सहित 26 लाख करोड़ की हानि हुई। इसके अलावा हवाई अड्डों को 8.05 लाख करोड़ रु और नेविगेशन सेवा प्रदाताओं को 91 हजार करोड़ रु का नुकसान लगा।
विभिन्न देशों की सरकारें संकट से उबारने के लिए पैकेज भी मुहैया करा रहीं हैं। वैसे इस इस उद्योग से सरकारों को समग्र रूप से सालाना 7 लाख करोड़ रु का कर राजस्व मिलता था। विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार पुनर्जीवन देने के लिए इस उद्योग को 12-13 लाख करोड़ रु की जरूरत है।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी